जम्मू और कश्मीर के बाहर जल्दी खराब होने वाली फसल को ट्रांसपोर्ट करने के लिए जम्मू रेलवे डिवीजन एक खास पहल की है. इस खास पहल के तहत जम्मू रेलवे डिवीजन ने अपना पहला वीपी इंडेंट (माल की शिपमेंट के लिए एक पूर्ण पार्सल वैन के आवंटन का अनुरोध) 3 जून के लिए कटरा रेलवे स्टेशन से बांद्रा (मुंबई) तक रजिस्टर कराया है. रेलवे के एक सीनियर ऑफिसर की तरफ से इसकी पुष्टि भी की गई है.
बागवानी विभाग और फल उत्पादक संघों के साथ काफी विचार-विमर्श के बाद किया गया यह प्रयास एक स्वागत योग्य पहल है. अगर यह सफलतापूर्वक शुरू हो जाता है तो किसानों को काफी फायदा हो सकता है. उत्तर रेलवले जम्मू के सीनियर डिवीजनल कॉमर्शियल मैनेजर (डीसीएम) उचित सिंघल के अनुसार इसकी मदद से रोड ट्रांसपोर्टेशन का बोझ को कम होगा और चेरी जैसे जल्दी खराब होने वाले सामान को कम से कम नुकसान या क्वालिटी में गिरावट के साथ इच्छित बाजारों तक पहुंचने में सक्षम करेगा.
सिंघल ने बताया कि कटरा स्टेशन से मुंबई के बांद्रा स्टेशन तक एक मालगाड़ी से जुड़े वीपी में 24 टन माल ले जाया जाएगा. सिंघल ने कहा कि यह रेलवे और फल उत्पादकों दोनों के लिए फायदेमंद स्थिति होगी और बदले में जम्मू-कश्मीर क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी इससे फायदा होगा. उन्होंने बताया कि कटरा स्टेशन से मुंबई के बांद्रा स्टेशन तक मालगाड़ी से जुड़े वी.पी. में 24 टन माल ले जाया जाएगा. यह माल 30 घंटे में अपनी डेस्टिनेशन तक पहुंच जाएगा.
कश्मीर, भारत में चेरी उत्पादन का एक प्रमुख क्षेत्र है. यह देश के कुल चेरी उत्पादन में करीब 95 प्रतिशत योगदान देता है. कश्मीर में हर साल करीब 12,000 से 14,000 मीट्रिक टन चेरी का उत्पादन होता है और करीब 2,800 हेक्टेयर में इसकी खेती की जाती है. कश्मीर में चेरी की फसल कई किसान परिवारों के लिए आय का एक अहम जरिया है. हालांकि कुल उत्पादन सेब या बादाम की तुलना में मामूली लग सकता है लेकिन इसका आर्थिक प्रभाव बहुत ज्यादा है. चेरी मौसम की पहली फल फसल है, जो लंबी सर्दी और शरद ऋतु में सेब की फसल से पहले के महीनों के बाद किसानों को बहुत जरूरी आय प्रदान करती है.
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