इस साल मई महीने में लगातार मौसम में बदलाव देखा जा रहा है, जिसे लेकर भारतीय मौसम विज्ञान सोसायटी के अध्यक्ष,आनंद शर्मा ने कहा कि मौसम में बदलाव होता रहता है. हर मौसम की अपनी अलग विशेषताएं होती हैं. इस समय हम गर्मी के मौसम में हैं, जिसमें बहुत तेजी से बदलाव होते हैं. कभी-कभी तो कुछ ही सेकंड में मौसम बदल जाता है. हाल ही में, हमने देखा है कि दिन की शुरुआत साफ होती है फिर धूप वाले आसमान से होते हैं, जो जल्दी ही बादलों में बदल जाते हैं, जिसके बाद अक्सर धूल भरी आंधी आती है. ऐसा बहुत ज्यादा गर्मी के कारण होता है, जिससे क्यूम्यलोनिम्बस बादल बनते हैं. बहुत बड़े तूफानी बादल जो आमतौर पर लगभग एक घंटे तक चलते हैं. इन्हें मेसोस्केल मौसम की घटनाएं कहा जाता है.
आनंद शर्मा ने कहा कि पहले हम मौसम में इन उतार-चढ़ावों को जलवायु परिवर्तनशीलता कहते थे. हालांकि, अब हम जलवायु परिवर्तन के साथ विशेष तरीके का दीर्घकालिक पैटर्न देख रहे हैं. हालांकि, हर मौसम में बदलाव की घटना जलवायु परिवर्तन का परिणाम नहीं होती है. तूफान, बिजली और बारिश प्राकृतिक प्रक्रियाएं हैं. ये पृथ्वी की ऊर्जा और आवेश को संतुलित करने का तरीका है.
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उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं के लिए बेहतर तैयारी के लिए पहले चेतावनी देने वाली प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता है. इसके लिए दामिनी (बिजली अलर्ट के लिए) और मेघदूत (कृषि-मौसम की जानकारी के लिए) जैसे प्रयोग इस संबंध में उपयोगी उपकरण हैं, जिनका इस्तेमाल करके हमें आगे की मौसम की जानकारी लेते रहनी चाहिए. मौसम की पूर्व में जानकारी लेकर हम बड़ी अनहोनी होने से बच सकते हैं.
इस मौसम में ओलावृष्टि और गरज के साथ बारिश होना आम बात है और ये खतरनाक हो सकते हैं. खासकर विमान के लिए हाल ही में एक इंडिगो विमान के क्यूम्यलोनिम्बस बादल में प्रवेश करने की घटना ने इस जोखिम को उजागर किया है. सौभाग्य से पायलट की सूझबूझ के कारण, चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद विमान सुरक्षित रूप से उतर गया. इसके अलावा ये बदलाव खेती किसानी के लिए भी खतरनाक और नुकसानदायक हो सकते हैं. ऐसे मौसम में किसानों की फसलें ओलावृष्टि से नष्ट हो जाती हैं, जिससे उन्हें नुकसान होता है.
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