रोक के बावजूद हरियाणा में किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं. खबर है कि यमुनानगर जिले में गेहूं की पराली जलाने के चार मामले सामने आए हैं. इसके बाद कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने प्रत्येक किसान पर 2,500 रुपये का जुर्माना लगाया है. साथ ही पुलिस को पत्र लिखकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा है. खास बात यह है कि विभाग को हरियाणा अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (HARSAC) और अन्य स्रोतों की मदद से 11 स्थानों पर पराली में आग लगाने की जानकारी मिली है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, यमुनानगर के कृषि उपनिदेशक आत्मा राम गोदारा ने कहा कि जब उपायुक्त द्वारा गठित समिति ने इन स्थानों का निरीक्षण किया, तो 11 में से केवल चार घटनाएं फसल अवशेष जलाने से संबंधित पाई गईं. उन्होंने कहा कि चारों किसानों पर 10,000 रुपये (प्रत्येक 2,500 रुपये) का जुर्माना लगाया है. गोदारा ने कहा कि हमने पुलिस को भी पत्र लिखकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया है.
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इससे पहले धान सीजन 2023 में जिले में फसल अवशेष जलाने के 58 मामले सामने आए थे. उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने कहा कि पराली जलाना अपराध है. हमारा उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना है. इसलिए कृषि विभाग की टीमों ने कार्रवाई करने के साथ-साथ किसानों को पराली जलाने के दुष्प्रभावों के बारे में भी जागरूक किया. उन्होंने कहा कि यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है और भूमि की उर्वरता को प्रभावित करता है.
वहीं, कल ही खबर सामने आई थी कि पलवल जिले में किसान कुछ ज्यादा ही पराली जला रहे हैं. इससे वायु गुणवत्ता खराब होने का खतरा मडराने लगा है. 1 अप्रैल से 3 मई के बीच पलवल जिले में पराली जालने के 8 घटनाएं सामने आई हैं. वहीं, आरोपी किसानों के खिलाफ 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है. नागरिक संसाधन सूचना विभाग की एक नोडल एजेंसी, हरियाणा अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र ने 1 अप्रैल से जिले में पराली जलाने की 31 घटनाएं दर्ज कीं, लेकिन 23 झूठी निकलीं.
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