चिलचिलाती गर्मी और तेज धूप के कारण न सिर्फ इंसान बल्कि पशु-पक्षी भी पूरी तरह से परेशान रहते हैं. सभी ठंडे ठिकाने की तलाश में रहते हैं, ताकि चिलचिलाती गर्मी से राहत मिल सके. भीषण गर्मी से किसानों का सबसे पुराना व्यवसाय मधुमक्खी पालन प्रभावित हो रहा है. सदियों से मधुमक्खियों के छत्तों से शहद निकाल कर किसान और बेरोजगार इससे लाभ कमाते आ रहे हैं. आज इस व्यवसाय का दायरा काफी बड़ा हो चुका है. हालांकि, गर्मी के मौसम में मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों को मधुबक्सों की देखभाल ज्यादा बेहतरी से करनी होती है. क्योंकि ऐसे क्षेत्र जहां तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच जाता है वहां मधुमक्खियां मरने लगती या फिर मधुबक्सों को छोड़कर चली जाती हैं.
30 साल से मधुमक्खी पालन कर रहे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के पीपीगंज के रहने वाले सफल मधुमक्खी पालक राजू सिंह आज वे 1000 बक्सों के साथ मधुमक्खी पालन करके 350 क्विंटल शहद का उत्पादन कर सालाना लाखों की आमदनी करते हैं . वह मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग देते हैं. उन्होंने गर्मी में मधुबक्सों और मधुमक्खियों की कैसे देखभाल करनी चाहिए, इसके बारे में मधुपालकों को सुझाव दिए हैं.
प्रगतिशील मधु पालक राजू सिंह ने बताया कि जब गर्मी में तापमान 40 सेंटीग्रेड से उपर चला जाता है तो मधुबक्सों को किसी छायादार स्थान पर रखना चाहिए. लेकिन इस बात का ध्यान देना चाहिए कि मौनबक्सों पर सुबह की सूर्य की रोशनी पड़नी चाहिए. इससे मधुमक्खियां सुबह के समय सक्रिय होकर वह अपना काम शुरू कर देती हैं. उन्होंने बताया कि इस समय मधुमक्खियों को साफ और बहता हुआ पानी होती है इसलिए अगर संभव होतो मधुबक्सों को ऐसे ही स्थान पर रखें. अगर छायादार स्थान नहीं है तो मधुबक्सों को प्रात:काल और सायंकाल जूट की बोरी में पानी में भिगोकर ऊपर से रखना चाहिए. राजू सिंह ने कहा कि मधुमक्खियों को लू से बचाने के लिए छप्पर का प्रयोग करना चाहिए, जिससे गर्म हवा सीधे मौनगृहों के अंदर न घुस सके. बक्से जो अधिक फ्रेम हो उसको निकाल कर उचित स्थान पर रखना चाहिए. मौनबक्स में अगर छायादार स्थान हो, तो बक्से के ऊपर छप्पर या पुआल डालकर उसे सुबह-शाम भिगोते रहना चाहिए, जिससे मौनगृह का तापमान कम बना रहे.
राजू सिंह ने कहा गर्मी में मधुमक्खी बक्सों से कम ही बाहर निकल पाती है, जिससे उसे पराग कण नहीं मिल पाता. ऐसे में मधुमक्खियों को जिंदा रखने के लिए कृत्रिम आहार यानि आर्टिफिशल तरीके से तैयार भोजन की व्यवस्था करनी पड़ती है. कृत्रिम आहार बनाने के लिए एक भाग चीनी को दो भाग पानी में घोला जाता है. मतलब अगर आप 200 ग्राम चीनी का घोल तैयार करना चाहते हैं तो आपको 400 मिलीलीटर पानी की ज़रूरत पड़ेगी. इस घोल को मधुबाक्स के अंदर एक किनारे पर रखें, जिससे मधुमक्खियों को कहीं भटकने की ज़रूरत न पड़े. वैसे सफल मधुमक्खी पालन के लिए मौन वंशों को साल भर फूल वाले पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए फूल पौधों वाले क्षेत्रों की पहचान और उन स्थानों पर मौन वंशों की शिफ्टिंग जरूरी है.
मधुमक्खीपालक पहले शहद का उत्पादन सीजनल कर पाते थे, लेकिन आपके लिए ये जानना ज़रूरी है कि आप साल भर शहद का उत्पादन ले सकते हैं. कुछ रिसर्च और अनुभवों के बाद ये पाया गया है कि मधुमक्खीपालन में अगर उचित फ़सल चक्र के अनुसार मधु बक्सों को रखा जाए, तो उत्पादन ज्यादा मिलता है. साल भर ऐसी फूल वाली फ़सलों को चुनें जिससे मधुमक्खियों को उनका भोजन परागकण लगातार मिलता रहे. जैसे अगर आप अपने इन बक्सों को तोरिया, सरसों के खेतों के बाद लीची और लीची के बाद यूकेलिप्टस, करंज जैसे सीजनल फूल वाले पौधों के बीच रखते हैं, तो इससे आपको ज्यादा लाभ होगा. राजूसिंह ने कहा जब आप इसकी बारीकियों को जानेंगे तो गर्मी में मौसम उचित देखभाल करके मधुमक्खी पालन व्यवसाय में सफल होकर बेहतर लाभ कमा सकते हैं.
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