मक्के की फसल पर 'फॉल आर्मीवर्म' कीट का हमला, 20 फीसदी तक नुकसान, पैदावार बचाने के लिए करें ये उपाय

मक्के की फसल पर 'फॉल आर्मीवर्म' कीट का हमला, 20 फीसदी तक नुकसान, पैदावार बचाने के लिए करें ये उपाय

सोलन की कृषि उपनिदेशक सीमा कंसल ने कहा कि नाइट्रोजन के ज्यादा इस्तेमाल के कारण पौधों की रोगों और कीटों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है. इसके बाद कई प्रकार के रोग और कीट फसल को नुकसान पहुंचाते हैं.

Advertisement
मक्के की फसल पर 'फॉल आर्मीवर्म' कीट का हमला, 20 फीसदी तक नुकसान, पैदावार बचाने के लिए करें ये उपायहिमाचल प्रदेश में मक्के में लगी नई बीमारी. (सांकेतिक फोटो)

हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में लगातार चौथे साल 'फॉल आर्मीवर्म' कीट का प्रकोप देखने को मिल रहा है. इससे मक्के की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. कहा जा रहा है कि जले में करीब 4750 हेक्टेयर क्षेत्र में इसका असर देखने को मिल रहा है. इससे मक्के की फसल की 15 से 20 फीसदी तक बर्बादी हो सकती है. ऐसे में किसानों के बीच भय का माहौल बना हुआ है. किसानों का कहना है कि फॉल आर्मीवर्म के चलते अगर उत्पादन प्रभावित होता है, तो उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, सोलन की कृषि उपनिदेशक सीमा कंसल ने कहा कि नाइट्रोजन के ज्यादा इस्तेमाल के कारण पौधों की रोगों और कीटों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है. इसके बाद कई प्रकार के रोग और कीट फसल को नुकसान पहुंचाते हैं. उन्होंने कहा कि यह कीट मक्के की फसल पर हमला करता है. इससे पत्तियां जालीदार हो जाती है. यह लक्षण कीड़े के लार्वा के कारण होता है. सीमा कंसल ने कहा है कि फॉल आर्मीवर्म कुछ साल पहले अफ्रीकी देशों के रास्ते कर्नाटक में आया था. दक्षिणी राज्य से उत्तर-पूर्वी राज्यों में पहुंचने के बाद अब यह उत्तरी राज्यों में भी पहुंच गया है.

ये भी पढ़ें- ड्रैगन फ्रूट की खेती पर मिलेगी 3 लाख रुपये की सब्सिडी, 'पहले आओ-पहले पाओ' की तर्ज पर तुरंत उठाएं लाभ

4750 हेक्टेयर में फसल पर असर

कृषि विशेषज्ञ कीड़े के फैलने के लिए जलवायु परिवर्तन और उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल को जिम्मेदार ठहराते हैं. कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने बताया कि सोलन जिले के निचले इलाकों में अन्य इलाकों की तुलना में अधिक प्रकोप हुआ है. वहीं, कंसल ने बताया कि अब तक 4,750 हेक्टेयर मक्के की फसल में 10 से 15 प्रतिशत पौधे खेत के बीच में स्थानीय पैच के रूप में कीट-संक्रमित पाए गए हैं. अधिकारियों ने किसानों को फसल का नियमित सर्वेक्षण करने जैसे कई उपाय करने के निर्देश दिए हैं. यदि खेत में 5 प्रतिशत से अधिक पौधे फॉल आर्मीवर्म से प्रभावित पाए जाते हैं, तो नियंत्रण उपाय शुरू किए जाने चाहिए.

इस तरह करें फसल का बचाव

विशेषज्ञों का सुझाव है कि सबसे पहले, प्रभावित पौधों की सबसे ऊपरी पत्तियों/मध्य छल्लों को खेत की मिट्टी/रेत/राख से भर दें. यदि उसके बाद बारिश नहीं होती है, तो खेत में पानी भर दें. इससे कैटरपिलर मर जाएंगे. वे खेत में लाइट और फेरोमोन ट्रैप लगाने की भी सलाह देते हैं. इसके अलावा जैविक कीटनाशक जैसे बीटी (2 ग्राम प्रति लीटर पानी), नीम आधारित कीटनाशक (2 मिली प्रति लीटर पानी) और फफूंदनाशकों का उपयोग करने की सलाह देते हैं. विशेषज्ञ कीटों को नियंत्रित करने के लिए जैविक उपाय भी सुझाते हैं.

दूसरी फसलों को भी पहुंचेगा नुकसान

उन्होंने कहा कि मक्का की फसल में ट्राइकोग्रामा, कोटेसिया, टेलीनोमस आदि परजीवियों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रयोगशाला में तैयार परजीवियों के अंडे खेतों में छोड़े जाएं. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इन उपायों के बावजूद फाल आर्मीवर्म का प्रकोप कम नहीं होता है तो अंतिम उपाय के रूप में स्पिनोसैड (0.3 मिली प्रति लीटर पानी), क्लोरोट्रानिलिप्रोल (0.3 मिली प्रति लीटर पानी), अमाबैक्टिन बेंजोएट (0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी), थायोडिकार्ब (2 ग्राम प्रति लीटर पानी), फ्लूबेंडामाइड (0.3 मिली प्रति लीटर पानी) या थायोमेथेक जैसे रसायनों का इस्तेमाल करें. उन्होंने प्रभावित पौधों के अवशेषों को खेत में न छोड़ने की भी सलाह दी है, अन्यथा अगली पीढ़ी अन्य फसलों को नुकसान पहुंचाएगी.

58750 टन पैदावार की उम्मीद

यह कीट 80 से अधिक फसलों को नुकसान पहुंचाता है और इसलिए इसके पुन: प्रजनन को रोकने के लिए सभी सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए. मक्के की फसल के साथ उड़द, लोबिया आदि दलहन की फसलें लगाकर मिश्रित फसल अपनाने की भी सिफारिश की गई है. मिश्रित फसल से फॉल आर्मीवर्म का प्रकोप कम होता है और मक्के की फसल को दालों से मुफ्त नाइट्रोजन मिलती है. इन उपायों के अलावा, फॉल आर्मीवर्म की उपस्थिति को रोकने के लिए मुख्य फसल से 10 दिन पहले मक्के की फसल के चारों ओर नेपियर घास की तीन-चार लाइनें लगाने की भी सिफारिश की गई है. सोलन जिले के विभिन्न हिस्सों में 23,600 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में मक्के की खेती की जाती है, जिससे 58,750 मीट्रिक टन पैदावार होती है.

ये भी पढ़ें-  Budget 2024: कृषि क्षेत्र का बजट बढ़ाने की घोषणा, खेती-किसानी से जुड़ी स्कीम्स पर 1.52 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे

 

POST A COMMENT