गेहूं की सरकारी खरीद का क्या है हाल? (Photo-Kisan Tak). बफर स्टॉक के लिए गेहूं खरीद की रफ्तार अब धीमी हो गई है. पिछले एक सप्ताह में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर मुश्किल से 11 लाख मीट्रिक टन ही गेहूं खरीदा जा सका है. भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई के अनुसार 14 मई तक सिर्फ 258 लाख मीट्रिक टन की खरीद पूरी हुई है. जबकि टारगेट 341.5 लाख मीट्रिक टन का है. यानी अभी 83.5 लाख मीट्रिक टन की और खरीद होगी तब जाकर लक्ष्य पूरा हो पाएगा. लेकिन ऐसा होता संभव नहीं दिख रहा. यूपी और बिहार में सरकारी खरीद की खराब स्थिति केंद्र का टारगेट पूरा न होने की वजह बन सकती है. अगर सबसे ज्यादा खरीद करने वाले पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश अपने राज्य का टारगेट पूरा कर लें तो भी केंद्र का लक्ष्य पूरा नहीं होगा. क्योंकि इन तीन राज्यों में अब सिर्फ 35 लाख मीट्रिक टन की ही खरीद बाकी है.
उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा गेहूं सूबा है. इसकी कुल उत्पादन में हिस्सेदारी 32 फीसदी से अधिक है. लेकिन सरकारी खरीद में यह बहुत पीछे है. रबी मार्केटिंग सीजन 2022-23 के दौरान उत्तर प्रदेश में 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन सिर्फ 3.36 लाख मीट्रिक टन की ही खरीद हो पाई थी. इस बार यानी 2023-24 में यहां से गेहूं खरीद का लक्ष्य और घटाकर सिर्फ 35 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया. लेकिन, 14 मई तक इतने बड़े प्रदेश में सिर्फ 1,93,545 टन ही गेहूं खरीदा जा सका है. ऐसे में अगर केंद्र सरकार का लक्ष्य पूरा नहीं होता है तो उसके लिए बड़ा जिम्मेदार उत्तर प्रदेश को माना जाएगा.
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बिहार आमतौर पर फसलों की सरकारी खरीद में काफी पीछे रहा है. पिछले 14 साल में कभी भी यहां गेहूं की खरीद अच्छी नहीं रही. इस दौरान सबसे अच्छी खरीद साल 2011-12 में हुई थी जब सेंट्रल पूल यानी बफर स्टॉक के लिए 5.57 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था. दूसरी बार अक्ष्छी खरीद 4.56 लाख मीट्रिक टन के साथ 2021-22 में हुई. लेकिन, हमेशा की तरह इस बार भी स्थिति खराब है. यहां 10 लाख मीट्रिक टन खरीद का टारगेट दिया गया था जबकि सिर्फ 467 मीट्रिक टन गेहूं ही खरीदा जा सका है. ऐसे में बिहार भी केंद्र की गेहूं खरीद न पूरी होने का एक बड़ा फैक्टर बनेगा.
इसी तरह उत्तराखंड में सिर्फ 189 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है जबकि 2 लाख मीट्रिक टन का टारगेट है. गुजरात को भी इतना ही टारगेट दिया गया है लेकिन खरीद बिल्कुल नहीं हुई है. राजस्थान को 5 लाख मीट्रिक टन का टारगेट दिया गया था और इसने 3.5 लाख टन का टारगेट पूरा कर लिया है.
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