अब पानी का झंझट खत्म, इस खास तकनीक से करें धान की बुवाई...कम समय में फसल होगी तैयार

अब पानी का झंझट खत्म, इस खास तकनीक से करें धान की बुवाई...कम समय में फसल होगी तैयार

डीएसआर, जिसे 'प्रसारण बीज तकनीक' भी कहा जाता है. यह धान बोने की एक खास विधि है जिसका इस्तेमाल पानी को बचाने में किया जाता है. इस विधि में बीजों को सीधे खेतों में बोया जाता है. यह पारंपरिक धान की बुवाई करने की विधि के विपरीत,पानी को बचाने का काम करता है.

Advertisement
अब पानी का झंझट खत्म, इस खास तकनीक से करें धान की बुवाई...कम समय में फसल होगी तैयारDRS technique

भारत में धान की खपत और खेती दोनों ही बड़े पैमाने पर की जाती है. ऐसे में जब भी धान की खेती की बात होती है तो पंजाब का नाम सबसे ऊपर रहता है. पंजाब में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. जिसके कारण इन राज्यों में पानी की समस्या काफी बढ़ जाती है. खासकर जब धान की बुआई का समय नजदीक आ जाता है. ऐसे में इन समस्याओं को कम करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा कई कदम उठाए गए हैं. जिनमें से एक है DSR तकनीक. ऐसे में आइए जानते हैं कि यह तरीका क्या है और इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है.

क्या है DSR तकनीक?

डीएसआर, जिसे 'प्रसारण बीज तकनीक' भी कहा जाता है. यह धान बोने की एक खास विधि है जिसका इस्तेमाल पानी को बचाने में किया जाता है. इस विधि में बीजों को सीधे खेतों में बोया जाता है. यह पारंपरिक धान की बुवाई करने की विधि के विपरीत,पानी को बचाने का काम करता है. डीएसआर तकनीक से किसानों को धान की बुआई सिंचाई के बाद ही करनी चाहिए, सूखे खेतों में नहीं. इसके अलावा, खेत को लेजर से समतल किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें: इस खरीफ सीजन DSR तकनीक से सूखा रोधी धान की किस्मों की बुवाई करें क‍िसान

1950 से प्रयोग में है ये विधि

डीएसआर विधि में धान के बीज सीधे खेत में बोये जाते हैं. इस विधि को 1950 के दशक से विकासशील देशों में चावल की बुआई की प्रमुख विधि के रूप में अपनाया गया था. धान की सीधी बुआई पूर्व-अंकुरित बीजों को तालाब वाली मिट्टी या खड़े पानी या तैयार बीज क्यारियों (सूखी बुआई) में बोकर की जा सकती है. कम अवधि और अधिक उपज देने वाली किस्मों, पोषक तत्वों और खरपतवार प्रबंधन तकनीकों ने किसानों को पारंपरिक रोपाई प्रणाली के स्थान पर डीएसआर विधि अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है. धान की सीधी बुआई से न केवल सिंचाई के पानी, श्रम, ऊर्जा और समय की बचत होती है बल्कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन भी कम होता है और भविष्य की फसलों की वृद्धि में सुधार होता है.

कृषि में है पानी की गंभीर समस्या!

कृषि में पानी की गंभीर समस्या और रोपण प्रणाली की कम दक्षता के कारण, ऐसी बुवाई तकनीकों की आवश्यकता है जिसमें कम पानी की आवश्यकता हो और पानी का अधिक कुशलता से उपयोग किया जा सके. इस कड़ी में, धान की सीधी बुआई पानी की खपत में एक कुशल तकनीक होने के नाते एक उपयुक्त समाधान प्रदान कर सकती है. न्यूनतम या शून्य जुताई के साथ सीधी-सूखी बुआई पानी और मेहनत बचाने में अधिक कुशल साबित होती है.

POST A COMMENT