जीरा उत्‍पादन में भारी गिरावट का अनुमान, अगले 2-3 हफ्ते फसल के लिए बेहद खास, क्‍यों बनी यह स्थिति‍?

जीरा उत्‍पादन में भारी गिरावट का अनुमान, अगले 2-3 हफ्ते फसल के लिए बेहद खास, क्‍यों बनी यह स्थिति‍?

देश में सीजन 2024-25 में जीरा का उत्‍पादन 65 से 90 लाख बैग तक रह सकता है, जो पिछले सीजन 2023-24 में 1.15 करोड़ बैग था. यह साफ तौर पर बड़ी गिरावट की ओर इशारा कर रहा है. हर बैग में 55 किलोग्राम जीरा होता है. वहीं, राजस्‍थान में अगले 2-3 हफ्ते फसल के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण बताए जा रहे हैं, क्‍योंकि इसी से फाइन उत्‍पादन तय होगा.

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जीरा उत्‍पादन में भारी गिरावट का अनुमान, अगले 2-3 हफ्ते फसल के लिए बेहद खास, क्‍यों बनी यह स्थिति‍?जीरा उत्‍पादन गिरने का अनुमान

मसालों के लिए मशहूर भारत में इस साल जीरा के उत्‍पादन में भारी गिरावट का अनुमान है. व्‍यापार उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि जीरा खेती का रकबा घटने, अनिश्‍चि‍त मौसम और कुछ प्रमुख उत्‍पादक क्षेत्रों में कीटों के हमले के कारण उत्‍पादन करने की वजह से यह स्थित‍ि बन रही है. अनुमान के मुताबिक, सीजन 2024-25 में जीरा का उत्‍पादन 65 से 90 लाख बैग तक रह सकता है, जो पिछले सीजन 2023-24 में 1.15 करोड़ बैग था. यह साफ तौर पर बड़ी गिरावट की ओर इशारा कर रहा है.
हर बैग में 55 किलोग्राम जीरा होता है. वहीं, राजस्‍थान में अगले 2-3 हफ्ते फसल के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण बताए जा रहे हैं, क्‍योंकि इसी से फाइन उत्‍पादन तय होगा. 

20 लाख बोरी कैरी फॉरवर्ड स्‍टॉक मौजूद

गुजरात, राजस्‍थान और उत्‍तर- पश्चिमी राज्‍यों में बड़े पैमाने पर जीरे की खेती होती है. 2023-24 के मुकाबले सीजन 2024-25 में जीरा की बुवाई 25 फीसदी कम हुई थी. 'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरराराष्‍ट्रीय ब्रोकर स्पिकएक्सिम के सीईओ योगेश मेहता ने कहा कि मौसम की अनिश्‍चितता जैसे परेशानी और बुवाई में देरी के बाद भी फसल 65 से 70 लाख बैग के बीच रहने का अनुमान है. वहीं, करीब 20 लाख बोरी जीरा कैरी फॉरवर्ड स्‍टॉक में शामिल होगा, जिससे यह कुल 85 से 90 लाख बोरी तक पहुंच जाएगा और घरेलू खपत और एक्‍पोर्ट डिमांड के हिसाब से पर्याप्‍त है.

किन वजहों से कम हुई बुवाई?

मालूम हो कि अक्‍टूबर-नवंबर के दौरान न्‍यूनतम और अधि‍कतम तापमान सामान्‍य से अध‍िक चल रहा था, जिसके कारण बुवाई पर असर पड़ा और अंकुरख अच्‍छे से नहीं हुआ. यहां तक कि इसकी वजह से राजस्‍थान में कुछ इलाकों के किसानों को कई बार बुवाई करनी पड़ी. रिपोर्ट के मुताबिक, जोधपुर के मसाला व्‍यापारी और निर्यातक श्री श्याम इंटरनेशनल के दिनेश सोनी ने उम्मीद जताई है कि उत्‍पादन 90 लाख बोरियों तक रह सकता है. यह गिरावट गुराजत और राजस्‍थान में उत्‍पादन के प्रभाव‍ित होने से होगी. गुजरात में जीरे का रकबा करीब 20 फीसदी और राजस्थान में करीब 5 फीसदी घटा है.

राजस्‍थान में अगले 2-3 हफ्ते महत्‍वपूर्ण

वहीं, जोधपुर की राजस्थानी एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेज के वित्त निदेशक सोनी ने कहा कि राजस्थान के नागौर के आसपास के कुछ इलाकों में बादल छाए होने की बात कहते हुए फसल के आकार और क्‍वालिटी पर असर पड़ने की आशंका जताई है. जीरे की फसल के लिए अगले 2-3 हफ्ते बहुत ही मायने रखने वाले हैं. जोधपुर में साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर के संस्थापक निदेशक भागीरथ चौधरी ने बताया कि  राजस्थान में इस साल जीरे की फसल लगभग 30 प्रतिशत कम हो सकती है. राज्‍य में सिर्फ 60-65 प्रतिशत फसल जल्‍दी बोई गई है और यह अच्‍छी स्थित‍ि में है. देरी से बुवाई वाली फसल पर बुरा असर पड़ा है.

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