घरेलू स्तर पर चावल के दाम में उछाल देखा जा रहा है. उबले चावल के दाम में 10 रुपये प्रति किलो तक की बढ़ोत्तरी ने चिंता बढ़ा दी है. जबकि, सामान्य चावल की अधिकम कीमत में सप्ताह भर के अंदर 3 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया है. हालांकि, एक्सपर्ट ने केंद्र के पास भरपूर चावल स्टॉक को देखते कीमतों के स्थिर होने की बात कही है. कहा गया है कि बीते साल से चावल निर्यात पर रोक के साथ ही एमईपी हटने से निर्यात में बढ़ोत्तरी ने आपूर्ति में बाधा डाली है, जिससे कीमतों में अंतर देखा गया है. यह लंबे समय के लिए नहीं है.
उपभोक्ता मामले विभाग के मूल्य निगरानी प्रभाग के आंकड़ों के अनुसार चावल की खुदरा कीमत में 2 दिन के अंतर 3 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. 24 फरवरी 2025 को चावल की अधिकतम खुदरा कीमत 67 रुपये प्रति किलो दर्ज की गई है, जो 2 दिन पहले 22 फरवरी को 62 रुपये प्रति किलो थी. चावल की औसत खुदरा कीमत 42.95 रुपये प्रति किलो और न्यूनतम दाम 25 रुपये प्रति किलो दर्ज किया गया है.
उबले चावल की कीमत में 10 रुपये प्रति किलो की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश के चावल व्यापारियों की ओर से भारतीय व्यापारियों को निजी ऑर्डर मिलने के बाद उबले चावल की कीमत में 10 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी हुई है. बांग्लादेश सरकार जरूरत के आधार पर भारत से सालाना 3 लाख टन से 5 लाख टन चावल आयात करती है. एक्सपर्ट ने कहा निजी ऑर्डर में जनवरी से मिलने शुरू हो चुके हैं. इससे भारतीय बाजार में बारीक उबले चावल के लिए हमने लगभग 10 प्रति किलोग्राम की कीमत में वृद्धि देखी है, जबकि सामान्य किस्मों में थोड़ा बदलाव देखा गया है.
निर्यातकों के अनुसार चावल की मांग में अचानक बढ़ोत्तरी से बारीक उबले चावल की कुछ किस्मों की कीमतों में 10 प्रति किलोग्राम और सामान्य किस्मों के लिए 2-3 रुपये प्रति किलोग्राम का उछाल देखा गया है. रिपोर्ट में बताया गया कि मिनिकेट चावल एक महीने पहले 43 रुपये प्रति किलोग्राम पर था वो अब 53 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है.
घरेलू आपूर्ति बनाए रखने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने जुलाई 2023 में चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था और भारी एमईपी भी लागू कर दिया था. बीते अक्टूबर 2024 में केंद्र ने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने के साथ ही एमईपी को भी हटा दिया है. केंद्र के इस फैसले के बाद से विदेशी खरीदारों की ओर से डिमांड बढ़ी है. निर्यातकों का कहना है कि वैश्विक मांग में मजबूती के चलते वित्त वर्ष 25 में चावल के निर्यात में 10 फीसदी का उछाल देखा जा सकता है. बता दें कि भारत सबसे बड़ा चावल निर्यातक है और दुनियाभर की चावल मांग का 40 फीसदी अकेले पूरा करता है.
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