हरियाणा में सरसों की फसल पर मौसम की मार पड़ने की खबर आई है. हिसार जिले के नलवा क्षेत्र के आसपास लगते हुए कई गांवों में पिछले कुछ दिनों से भयंकर सर्दी और पाले की वजह से फसल खराब हो रही है. प्रभावित किसानों ने हरियाणा सरकार से 50000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देने की मांग की है. हिसार में सरसों की बड़े पैमाने पर खेती होती है. लेकिन, पाले से कई जगहों पर फसल का नुकसान हो रहा है. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक दाम की वजह से इस बार किसानों ने सरसों की खेती का रकबा बढ़ा दिया है. लेकिन अब वो मौसम की मार से परेशान हैं.
नलवा गांव के किसान और सामाजिक कार्यकर्ता प्रद्युमन जोशीला ने बताया कि गांव नलवा, बालावास, दुबेटा, बाड्या रांगड़ान, बाड्या ब्राह्मणान, गुंजार, भोजराज, दाहिमा, कंवारी, धमाणा, मुजादपुर, सुल्तानपुर, उमरा व आसपास के अन्य गांवों में सरसों की फसल खराब हो रही है. पाले की वजह से फली के अंदर सरसों का दाना सिकुड़ रहा है. इससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है. पिछले 10 दिन से सूखी ठंड और पाला पड़ रहा है. जिससे फसल चौपट हो गई है.
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प्रद्युमन ने कहा कि अधिकांश किसान पहले से ही घाटे में चल रहे हैं. पहले भी प्राकृतिक आपदा से फसलों को नुकसान हुआ है. ऐसे में सरसों की फसल से उम्मीद थी कि इसका अच्छा दाम किसानों को राहत देगा. लेकिन, इस उम्मीद पर मौसम ने पानी फेर दिया. जिला प्रशासन तुरंत प्रभाव से विशेष गिरदावरी करवाकर प्रत्येक प्रभावित किसानों को चाहे उसने फसल बीमा करवाया हो या ना करवाया हो कम से कम 50000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा दे. उन्होंने बताया कि हिसार में 8 से 10 क्विंटल प्रति एकड़ सरसों की पैदावार होती है. ऐसे में एक एकड़ में करीब 60 हजार रुपये की सरसों पैदा होती है.
जोशीला ने बताया कि एक तरफ तो किसानों को खाद, बीज, कीटनाशक व डीजल आदि इतने महंगे दाम पर मिल रहे हैं और दूसरी ओर उन्हें मौसम परेशान कर रहा है. अगर सरकार ने जल्द से जल्द स्पेशल गिरदावरी करवाकर सभी प्रभावित किसानों को मुआवजा नहीं दिया तो मजबूरन नलवा क्षेत्र के तमाम प्रभावित किसानों को बहुत जल्द जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए धरना, प्रदर्शन करना पड़ेगा. बता दें कि सरसों उत्पादन में हरियाणा देश में दूसरे नंबर पर आता है. यहां देश की करीब 13.33 फीसदी सरसों पैदा होती है.
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