औरंगाबाद जिले के फुलंब्री तालुका में पिछले साल की तुलना में इस साल अधिक रकबे में कपास की खेती की गई थी, लेकिन भारी बारिश और बेमौसम बारिश ने कपास की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है. इससे उत्पादन में काफी गिरावट दर्ज की गई है. वही जिन किसानों ने कपास लगाई थी और उनकी कपास बच गई थी उन किसानों को उम्मीद थी कि उन्हें अच्छा कीमत मिलेगा, लेकिन अचनाक कीमत गिरने से किसान परेशान हो रहे हैं. जो किसान 3 सप्ताह पहले 9,500 रुपये प्रति क्विंटल पर कपास बेच रहे थे, उन्हें अब 7,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बेचना पड़ रहा है. यानि कीमत में दो हजार रुपये की गिरावट आई है.
पिछले 20 दिनों में कपास की कीमत में भारी गिरावट आई है. वही जब ‘आज तक’ ने औरंगाबाद से 35 किलोमीटर दूरी पर फुलंब्री गांव में पहुंचकर यह जानने की कोशिश की कि कपास की कीमत में गिरावट क्यों आई है, तो पता चला कि भारत हर साल चीन को भारी मात्रा में कपास का निर्यात करता है. नतीजतन स्थानीय किसानों को अच्छी कीमत मिल जाती थी, लेकिन कोरोना के चलते चीन को कपास निर्यात पर केंद्र सरकार की रोक से स्थानीय बाजार में कपास की कीमत में गिरावट आई है और पिछले 15 दिनों में कीमत 1500 से 2000 रुपये तक कम हो गया है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है.
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फुलंब्री के करीब स्थिति कपास जिनिंग कंपनी के मालिक के अनुसार, “चीन में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण केंद्र सरकार ने चीन को निर्यात पर रोक लगा दी है. नतीजतन बड़े व्यापारियों द्वारा पहले से खरीदी गई कपास उनके पास ही पड़ी है. इसलिए छोटे व्यापारियों ने भी कपास खरीदना बंद कर दिया है. इसका असर स्थानीय बाजार में भी दिख रहा है. इससे कपास की कीमत में गिरावट आई है. इसके अलावा कई किसानों ने अपने कपास को घर में ही स्टॉक कर रखा है, लेकिन जरूरतमंद किसान निजी व्यापारियों को कम कीमत पर कपास बेचने को मजबूर हैं.”
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कपास की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि उन्होंने खरीफ फसल की बुवाई से लेकर कटाई तक पर भारी खर्च किया है. ऐसे में भारी बारिश और बेमौसम बारिश के कारण जहां एक ओर कपास की उपज में गिरावट आई है, वहीं दूसरी ओर बाजार में कीमत कम होने से खर्चा निकालना मुश्किल हो रहा है. इन खर्चों के लिए जिनसे हमने लोन लिया था, उनके द्वारा अब लोन चुकाने का दबाव बनाया जा रहा है. इससे हमें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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