कपास की नीचे गिरती कीमतों ने किसानों की मुश्किल बढ़ा दी है. कपास का भाव 1 महीने के अंदर एमएसपी से 600 रुपये प्रति क्विंटल नीचे आ गया है. ऐसे में किसानों को सही दाम नहीं मिलने और लागत तक नहीं निकल पाने की चिंता सता रही है. बता दें बीते साल भी कपास किसानों को सही दाम नहीं मिलने और कीटों के हमले की वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ा था, जिसके चलते इस खरीफ सीजन में कपास के रकबे में 12 लाख हेक्टेयर की रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है.
केंद्र सरकार ने 2024-25 के लिए कपास के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर रखा है, ताकि किसानों को लागत से अधिक और सही दाम मिलना पक्का हो जाए. वर्तमान में मीडियम स्टेपल कपास के लिए 7,121 रुपये प्रति क्विंटल और लॉन्ग स्टेपल कपास के लिए 7,521 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी है. लेकिन, बीते कुछ सप्ताह में कपास की कीमत में लगातार जारी गिरावट ने परेशानी बढ़ा दी है.
तेलंगाना की खम्मम थोक मंडी में 4 नवंबर को कपास का औसत भाव 7300 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया है. जबकि, 8 अक्तूबर को राजस्थान की अनूपगढ़ थोक मंडी में कपास का औसत भाव 8300 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया था. दोनों मंडी भाव की तुलना करें तो करीब 27 दिन के भीतर कीमत में 12 फीसदी की गिरावट देखी जा सकती है. यह गिरावट जारी है जो जल्द ही एमएसपी से नीचे जाने की ओर बढ़ रही है.
कांग्रेस नेता नाना पटोले ने कहा है कि महाराष्ट्र में मौजूदा कपास की कीमत 6,500 से 6,600 रुपये प्रति क्विंटल के बीच है, जो 7,122 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी से करीब 600 रुपये कम है. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि बाजार में कम कीमत के कारण किसान अपना कपास बेचने से परहेज कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कपास का स्टॉक किसानों के साथ-साथ भारतीय कपास संघ के पास मौजूद है. जब पहले से ही खूब स्टॉक है तब केंद्र से कपास आयात रोकने को कहा है. ताकि कपास बाजार को ध्वस्त होने से रोक जा सके और जिससे किसानों को नुकसान से बचाया जा सके.
भारतीय कपास संघ के पास पर्याप्त कपास का स्टॉक होने के दावों और खरीफ फसल की ताजा आवक के चलते बाजार में भाव नीचे जाने की बात कही जा रही है. जबकि, कुछ मंडियों में कपास में नमी की मात्रा अधिक बताकर फसल का कम दाम लगाए जाने की शिकायत किसानों ने की है. कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार पिछले कुछ दिनों में लगातार बारिश के चलते किसानों की चुनी गई फसल भी नमी से प्रभावित हो गई है. वे अपने घर में कपास स्टोर नहीं कर सकते. किसानों को 3,000 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से कपास बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. यह एमएसपी से काफी कम है.
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