दलहन और तिलहन की तरफ रुख कर रहे किसान, क्या कम हो जाएगा कपास का दायरा! 

दलहन और तिलहन की तरफ रुख कर रहे किसान, क्या कम हो जाएगा कपास का दायरा! 

अमेरिकी कृषि विभाग की तरफ से कहा गया है कि पंजाब में रोपाई का रकबा पहले की तरह ही रहेगा मगर हरियाणा में इसमें गिरावट होगी. रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा में इसमें पांच फीसदी की गिरावट आ सकती है क्‍योंकि किसान धान की खेती की तरफ मुड़ गए हैं. दोनों ही राज्‍यों में उपज में गिरावट रहने की उम्‍मीद है क्‍योंकि किसान दूसरी फसलों पर ध्यान लगाने लगे हैं. 

Advertisement
दलहन और तिलहन की तरफ रुख कर रहे किसान, क्या कम हो जाएगा कपास का दायरा! कपास की खेती

कपास, देश के कई राज्‍यों की अहम फसल है लेकिन माना जा रहा है कि इस साल इस फसल के रकबे में कमी आ सकती है. पिछले साल भी कपास के रकबे में कमी देखी गई थी और इस साल भी इसमें 3 फीसदी की गिरावट आ सकती है. बताया जा रहा है कि किसान दालों और तिलहन की खेती की तरफ रुख करने लगे हैं. इसकी वजह से ही उनका कपास की खेती से अब मन हटने लगा है. यही कारण है कि साल 2025-26 में कपास की खेती का रकबा घट सकता है. 

कुल तीन फीसदी की गिरावट 

यूनाइटेड स्‍टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्‍चर (USDA) की तरफ से कहा गया है कि मार्केटिंग वर्ष 2025-26 के लिए भारत में कपास का रकबा 110 लाख हेक्टेयर रहने का अनुमान है. अगर पिछले साल से इसकी तुलना करें तो इसमें तीन प्रतिशत की कमी आई है. किसान इस साल कपास से ज्‍यादा फायदा देने वाली फसलें जैसे दालों और तिलहनों की खेती की ओर रुख कर चुके हैं. 

ये भी पढ़ें: MSP: बीजेपी या कांग्रेस...किसकी सरकार ने किया एमएसपी पर सबसे ज्यादा खर्च?

अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार भले ही रोपाई क्षेत्रे में गिरावट हो लेकिन इसके बावजूद, सामान्य मॉनसून सीजन के आधार पर भारत का कपास उत्पादन 25 मिलियन 480 पाउंड गांठ तक हो सकता है. यूएसडीए ने अनुमान लगाया है कि औसत उपज 477 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक रह सकती है. यह वित्‍तीय वर्ष 2024-25 के आधिकारिक अनुमान 461 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से तीन फीसदी ज्‍यादा है. पर्याप्त सिंचाई सुविधाओं और पानी की उपलब्धता वाले क्षेत्रों में उत्पादन इतना रहने का अनुमान है. 

दाल, मक्‍का, ग्‍वार ने ली कपास की जगह 

अमेरिकी कृषि विभाग की तरफ से कहा गया है कि पंजाब में रोपाई क्षेत्र पहले की तरह ही रहेगा, मगर हरियाणा में इसमें गिरावट होगी. रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा में इसमें पांच फीसदी की गिरावट आ सकती है क्‍योंकि किसान धान की खेती की तरफ मुड़ गए हैं. दोनों ही राज्‍यों में उपज में गिरावट रहने की उम्‍मीद है क्‍योंकि किसान दूसरी फसलों के लिए पानी का अधिक इस्तेमाल करने लगे हैं. 

गुजरात में 3 प्रतिशत कमी 

वहीं राजस्‍थान में कपास के रोपाई क्षेत्र में दो फीसदी की गिरावट रह सकती है. यहां के किसान बढ़ती कीमतों के चलते ग्‍वार, मक्‍का और दालों (मूंग) की खेती को तरजीह देने लगे हैं. वहीं बेहतर कीट प्रबंधन के चलते यहां पर उपज बढ़ सकती है. इसी तरह से गुजरात, जहां कपास का उत्‍पादन सबसे ज्‍यादा होता है, वहां पिछले साल की तुलना में इसमें तीन फीसदी की गिरावट आ सकती है. यहां के किसान अब दाल, मूंगफली, जीरा और तिल की खेती को पसंद करने लगे हैं. 

महाराष्‍ट्र के असंतुष्‍ट किसान 

वहीं महाराष्‍ट्र की अगर बात करें तो यहां पर स्थिति पिछले साल के जैसी ही रहने वाली है. यहां पर किसान सोयाबीन की कम कीमतों की वजह से असंतुष्‍ट हैं. किसान अब इस वजह से फसल विविधता को प्राथमिकता देने लगे हैं. ऐसे में तूर (अरहर) दाल और मक्‍का की उनकी लिस्‍ट में सबसे ऊपर हैं. वहीं मध्‍य प्रदेश में भी कपास के रकबे में पांच फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया गया है. यहां भी किसान तिलहन और दालों की तरफ मुड़ने लगे हैं. 

ये भी पढ़ें: सरकार ने बढ़ाया BG-II कपास बीज का दाम, फिर भी नहीं होगी लागत की भरपाई!

दक्षिण में सात फीसदी की गिरावट 

दक्षिण के राज्‍यों का हाल भी कुछ ऐसा ही है. यहां पर मजबूत सरकारी योजनाओं की वजह से इथेनॉल उत्‍पादन को बढ़ावा दिया जाने लगा है. ऐसे में किसान कपास से हटकर चावल और मक्‍का की खेती कर रहे हैं. इस वजह से दक्षिण में कपास की खेती में सात फीसदी तक की गिरावट हो सकती है.
 

 

POST A COMMENT