बेलगावी में गन्ना किसानों का विरोध प्रर्दशन जारी है (सांकेतिक तस्वीर)कर्नाटक के बेलगावी में गन्ना किसानों का आंदोलन जारी है. किसानों का कहना है कि जब तक गन्ना के रेट 3500 रुपये टन नहीं किए जाते तब तक वे अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे. हालांकि किसानों को मनाने की कवायद लगातार जारी है. इसी सिलसिले में बेलगावी में सीनियर अधिकारियों ने किसानों से गन्ने की अधिक कीमत की मांग को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन को खत्म करने की अपील की है.
'द हिंदू' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बेलगावी के डिप्टी कमिश्नर मोहम्मद रोशन और पुलिस सुपरिटेंडेंट भीमशंकर एस. गुलेड ने बेलगावी जिले के गुरलापुर में गन्ने के किसानों से मुलाकात की, जो गन्ने की कम से कम 3,500 प्रति टन कीमत की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं और उनसे विरोध प्रदर्शन खत्म करने की अपील की. उन्होंने किसानों को चीनी मिल मालिकों और किसानों के बीच बातचीत कराने का भरोसा दिलाया.
मोहम्मद रोशन ने कहा कि वह उनकी समस्याओं को समझते हैं और उनके साथ हैं. उन्होंने उन्हें भरोसा दिलाया कि वह उनकी मांगों को फैक्ट्री मैनेजमेंट के सामने रखेंगे. डिप्टी कमिश्नर ने कहा, "मैं आपसे यह समझने की अपील करता हूं कि मैं आपके साथ हूं. मैं आपके हितों की रक्षा के लिए अपनी पूरी कोशिश करूंगा."
उनकी मांगों में ट्रांसपोर्ट और कटाई के खर्च के अलावा सप्लाई किए गए गन्ने के लिए कम से कम 3,500 रुपये प्रति टन का पेमेंट, उपज का साइंटिफिक तरीके से वज़न, तेज़ी से पेराई और कच्चे माल के प्रति टन चीनी की उपज में पारदर्शी कटौती शामिल है.
किसानों ने अधिकारियों को बताया कि महाराष्ट्र, गुजरात और हरियाणा की फैक्ट्रियां पहले से ही 3,500 रुपये प्रति टन का पेमेंट कर रही हैं. किसान नेता शशिकांत पदासलागी ने शिकायत की कि मेनस्ट्रीम टीवी चैनलों ने उनके विरोध प्रदर्शन को नजरअंदाज़ कर दिया है. अगर चैनल वाले इसे प्राथमिकता दें तो और भी किसान इस आंदोलन में शामिल होंगे और मुद्दे की गंभीरता को समझेंगे.
एक अन्य किसान नेता चुनप्पा पुजारी ने कहा कि लगातार सरकारों ने गन्ने के किसानों के साथ धोखा किया है. उन्होंने दावा किया कि कीमतों में असल बढ़ोतरी सिर्फ़ 10 रुपये प्रति टन प्रति साल हुई है, जबकि खेती की लागत हर साल 20 परसेंट से ज़्यादा बढ़ रही है.
नेता शिवपुत्र जकाल ने कहा कि सभी चीनी मिलें नेताओं या बड़े इंडस्ट्रियल घरानों के जरिये चलाई जाती हैं और उनका सरकारों पर बहुत ज्यादा असर है. उन्होंने केंद्र सरकार से देश की सभी चीनी मिलों का राष्ट्रीयकरण करने की अपील की, क्योंकि यह किसानों के हित में होगा.
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