क्या आपके आम के पेड़ फल देना बंद कर चुके हैं? अपनाएं यह तकनीक तो बूढ़े पेड़ में भी लौट आएगी जान

क्या आपके आम के पेड़ फल देना बंद कर चुके हैं? अपनाएं यह तकनीक तो बूढ़े पेड़ में भी लौट आएगी जान

अगर आपके आम के पुराने पेड़ों ने फल देना बंद कर दिया है, तो उन्हें काटने की जरूरत नहीं है. एक खास 'नई जान देने वाली विधि' जिसे जीर्णोद्धार कहते हैं अपनाकर आप इन बूढ़े पेड़ों को फिर से फलदार बना सकते हैं. यह तकनीक आपके पुराने बाग को फिर से फायदेमंद बनाने का एक बहुत अच्छा और आसान तरीका है, जिससे बूढ़े पेड़ भी ज़्यादा फल देने लगते हैं.

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आम के पेड़ ने फल देना बंद कर दिया है? अपनाएं यह तकनीक तो बूढ़े पेड़ में भी लौट आएगी जाननई तकनीक का इस्तेमाल कर आम की पैदावार बढ़ा सकते हैं

अक्सर देखा जाता है कि जब आम के बाग में पेड़ 40 साल से ज्यादा पुराने हो जाते हैं, तो वे फल देना कम कर देते हैं या धीरे-धीरे बंद ही कर देते हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि पुराने बाग बहुत घने हो जाते हैं, जिससे पेड़ों तक धूप, रोशनी और ताजी हवा नहीं पहुंच पाती. इस वजह से पेड़ों में प्रकाश-संश्लेषण और भोजन बनाने की क्रिया ठीक से नहीं हो पाता और कीट-रोगों का हमला भी बढ़ जाता है. ऐसे पेड़ किसानों के लिए फायदेमंद नहीं रह जाते. अगर आपके आम के पुराने पेड़ों ने फल देना बंद कर दिया है, तो उन्हें काटने की जरूरत नहीं है.

आप घबराइए भी नहीं, क्योकि सीआईएसएच, लखनऊ की तकनीक से इन बूढ़े पेड़ों का 'जीर्णोद्धार' या 'कायाकल्प' करके इन्हें फिर से जवान और फलदायी बनाया जा सकता है. जीर्णोद्धार का मतलब है बूढ़े और कम फल देने वाले पेड़ों की खास तरीके से कांट-छांट करना, ताकि उनमें नई शाखाएं निकलें और वे फिर से अच्छी पैदावार दे सकें. यह तकनीक आपके पुराने बाग को फिर से फायदेमंद बनाने का एक बहुत अच्छा और आसान तरीका है, जिससे बूढ़े पेड़ भी ज्यादा फल देने लगते हैं.

आम के बूढ़े पेड़ों को "जवान" कैसे बनाएं?

आम के पुराने पेड़ों का जीर्णोद्धार' या 'कायाकल्प' करने की दो मुख्य विधियां हैं. पहली विधि में पेड़ 3 साल बाद दोबारा फल देना शुरू करता है,  फिर कई सालों तक एक नए पेड़ की तरह फल देता रहता है. दूसरी विधि में पेड़ 1 साल बाद ही फल देने लगता है, लेकिन इस प्रक्रिया को हर 7-8 साल में दोहरान पड़ता है.

आम के पेड़ों की कटाई-छंटाई के लिए 15 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच का समय सबसे अच्छा माना जाता है. सबसे पहले पेड़ की 3 से 4 मुख्य और मजबूत शाखाओं को चुनें जो बाहर की तरफ जा रही हों. इनके अलावा बाकी सभी शाखाओं को तने के पास से ही काट कर हटा दें. इसके बाद पेड़ को 3 से 4 मीटर की ऊंचाई पर से काट दें, ताकि पेड़ का ऊपरी घना हिस्सा हट जाए. जो 3-4 मुख्य शाखाएं आपने छोड़ी हैं, उन्हें भी लगभग 2 फीट की लंबाई छोड़कर बाकी हिस्सा काट दें.

इस बात का जरूर ध्यान दें कि किसी मोटी डाली को काटते समय, पहले उसे नीचे की तरफ से थोड़ा काटें और फिर ऊपर से. इससे डाली टूटते समय पेड़ के मुख्य तने की छाल नहीं उखड़ेगी.

अपनाएं यह 'नई जान' देने वाली विधि

पेड़ की कटाई के बाद, उसकी कटी हुई डालियों पर बीमारी से बचाव के लिए लेप लगाना बहुत जरूरी है. इसके लिए आप या तो कॉपर ऑक्सीक्लोराइड और अरंडी के तेल का पेस्ट, या फिर देसी गाय के गोबर और पीली मिट्टी का लेप इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके कुछ समय बाद, जब मार्च-अप्रैल में पेड़ पर घनी नई टहनियां निकल आएं, तो उनमें से कमजोर और एक-दूसरे से टकरा रही टहनियों को छांटकर हटा दें और इन नई कटी जगहों पर भी वही गोबर या दवाई का लेप दोबारा लगा दें.

पेड़ की कटाई के बाद, फरवरी में उन्हें भरपूर पोषण दें, जिसमें प्रति पेड़ 120 किलो गोबर की खाद, 3 किलो यूरिया, 1.5 किलो फॉस्फोरस, 1.5 किलो पोटाश और थोड़ी नीम की खली शामिल है. खाद देने के बाद हर 15 दिन में पानी (सिंचाई) देते रहें. साथ ही, पेड़ पर निकल रही नई मुलायम पत्तियों को कीड़ों से बचाने के लिए 'नूवान' जैसी कीटनाशक दवा का छिड़काव करें. 

बूढ़े पेड़ों को फिर से फलदार बनाने के फायदे 

आम के पेड़ों को जवान बनाने की इस तकनीक के कई फायदे हैं. कटाई के बाद पहले और दूसरे साल में ही, बची हुई पुरानी शाखाओं से 50 से 150 किलो प्रति शाखा तक फल मिल जाते हैं. फिर लगभग तीन साल में, वही पुराना पेड़ एक नया और छोटा आकार लेकर दोबारा ज्यादा फल देने लगता है. इस बीच, पेड़ों के बीच खाली हुई जगह में आप सब्जियां या दालें उगाकर अलग से कमाई भी कर सकते हैं. और अच्छी बात यह है कि इस काम के लिए सरकार से आर्थिक मदद (सब्सिडी) भी मिलती है. यह तरीका आपके पुराने बागों से आमदनी बढ़ाने का एक शानदार रास्ता है.

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