भारत एक कृषि प्रधान देश है. 75 फीसदी से अधिक आबादी की आजीविका कृषि पर निर्भर है. बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उडिशा, असम, छत्तीसगढ़ और पूर्वी उत्तर प्रदेश में किसान बड़े स्तर पर धान की खेती करते हैं, लेकिन इन राज्यों में हर साल बाढ़ आने से लाखों हेक्टेयर में लगी धान की फसल बर्बाद हो जाती है. इससे किसानों को बहुत अधिक आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन किसानों को अब चिंता करने की जरूरत नहीं है. वे नीचे बताए गए बाढ़ प्रतिरोधी धान की किस्म की बुवाई कर फसल को बर्बाद होने से बचा सकते हैं.
दरअसल, भारत के कई राज्यों में अधिक बारिश होने या बाढ़ आने से खेतों में जरूरत से ज्यादा पानी का जमाव हो जाता है. ऐसे में पानी में अधिक समय तक डूबे रहने की वजह से धान की फसल खराब हो जाती है. इसलिए किसानों को बुवाई करने से पहले जलवायु के अनुसार ही धान की उन्नत किस्मों का चयन करना करना चाहिए. जिन राज्यों में अधिक बारिश होती है, वहां के किसान बाढ़ प्रतिरोधी किस्म स्वर्णा सब-1 का चयन कर सकते हैं.
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कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, स्वर्णा सब-1 धान की एक बेहतरीन किस्म है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह बाढ़ प्रतिरोधी है. इस किस्म के धान के पौधे 12 से 14 दिन तक पानी में डूबे रह सकते हैं. इसके बावजूद भी खराब नहीं होते हैं. हालांकि, 10 दिन तक लागातार पानी में डूबे रहने के बाद इसकी पत्तियां थोड़ी बहुत मुरझा जाती हैं. फिर भी फसल को नुकसान नहीं पहुंचता है. ऐसे में धान की यह किस्म बाढ़ संभावित और निचले क्षेत्रों के लिए उपयोगी है.
स्वर्णा सब-1 की सबसे बड़ी खासियत है कि यह धान की एक अर्ध बोनी किस्म है. इसके पौधों की लंबाई 105 से 110 सेमी तक होती है. स्वर्णा सब-1 धान की फसल सीधी बुआई करने पर 140 दिनों में ही फसल तैयार हो जाती है. यानी आप इसकी कटाई कर सकते हैं. वहीं रोपाई करने पर फसल को पकने में 145 दिन लगते हैं. इसके चावल दाना मध्यम पतला होता है. इससे 66.5 प्रतिशत अविभाजित चावल यानि हेड राइस मिलता है. साथ ही स्वर्णा सब- 1 की पैदावार 4.5 से 5.5 टन प्रति हेक्टेयर है. यदि यह किस्म बाढ़ या जलभरवा की चपेट में आती है, इसके बावजूद भी पैदावार 3 से 4 टन प्रति हेक्टेयर तक होती है.
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