'दाल का कटोरा' कहे जाने वाला 'मोकामा टाल' बिहार के चार जिलों पटना, नालंदा, लखीसराय और शेखपुरा के एक लाख हेक्टेयर से भी अधिक जमीन पर फैला हुआ है. वहीं यहां की मिट्टी दाल उत्पादन के अनुकूल है इसलिए अधिकांश किसान दलहनी फसलों की खेती करते हैं. इस क्षेत्र के लगभग 1.5 लाख किसान और 3 लाख खेतिहर मजदूर दाल की खेती करते हैं. वहीं यहां 70 फीसदी से अधिक कृषि भूमि में मसूर दाल की खेती की जाती है. चना और दूसरी दलहन फसलों की खेती बहुत कम की जाती है.
गौरतलब है कि अब यहां धान की खेती भी हो रही है. ऐसे में यह टाल क्षेत्र देशभर में अब सिर्फ दाल ही नहीं, बल्कि चावल के लिए भी जाना जाएगा. मालूम हो कि यहां के किसानों ने पहली बार यहां गरमा धान की खेती की है.
दरअसल, सालभर में सिर्फ एक दाल की खेती करने की वजह से यहां के किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा था. जिस वजह से यहां के किसानों का खेती के प्रति रुझान कम होने लगा था. इसके परिणामस्वरूप कृषि विज्ञान केंद्र ने इस इलाके की 30 अलग-अलग जगहों की मिट्टी की जांच की. जांच में कृषि वैज्ञानिकों ने यह पाया कि यह इलाका गरमा धान की खेती के लिए उपयुक्त है. जिसके बाद यहां के किसानों ने गरमा धान की खेती की है. गौरतलब है कि केवीके के प्रयास से ही टाल क्षेत्र में अब धान की फसल भी लहलहा रही है.
इसे भी पढ़ें- Sugarcane Part-4 : गन्ने के लिए पानी है वरदान लेकिन ज्यादा बारिश से हो सकता है नुकसान, इसलिए जरूर करें ये काम
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 'मोकामा टाल' में उपजी मसूर जब कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से देशभर में पहुंचा, तो यह दलहन का उन्नत बीज साबित हुई. इसके लिए लखीसराय के कृषि विज्ञान केंद्र हलसी और प्रबंधक सुधीर चौधरी को पुरुस्कार भी मिल चुका है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक स्थानीय किसान ने कहा कि लंबे समय से उनकी इच्छा थी कि कोई ऐसी फसल लगाएं जो बरसात से पहले कट जाए. जिसके बाद कृषि विज्ञान केंद्र हलसी से जुड़े अवणिकांत, शंभू राय और सुधीर चौधरी ने उन्हें गरमा धान की खेती करने की सलाह दी जिसके बाद मैंने खेती की.
इसे भी पढ़ें- धान की खेती में यूरिया का आंशिक विकल्प बन सकता है अजोला, कृषि वैज्ञानिक ने दी पूरी जानकारी
धान की गरमा किस्म कंचन के बारे में बताते हुए किसान ने बताया कि इस किस्म की फसल 90 से 105 दिनों की अवधि में तैयार हो जाती है. वहीं हरियाणा से कंचन किस्म के बीज को लाकर बिहारशरीफ में नर्सरी तैयार किया गया. वहां से लाकर इसे खेतों में लगाया गया. टाल क्षेत्र में पानी आने से पहले ही धान की फसल तैयार हो जाती है. इस सीजन में धान की 53 एकड़ में खेती हुई है. वहीं किसानों को प्रति एकड़ लगभग पांच हजार रुपये मुनाफा होने की उम्मीद है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today