14 दिनों से श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाइवे बंद, कश्मीर के सेब किसानों को 700 करोड़ का नुकसान

14 दिनों से श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाइवे बंद, कश्मीर के सेब किसानों को 700 करोड़ का नुकसान

जम्मू कश्मीर में इस बार बारिश आफत बनकर गिरी है. इसका सबसे बड़ा असर सेब किसानों पर पड़ा है क्योंकि दो हफ्ते से नेशनल हाईवे बंद है. सड़क बंद होने से कश्मीर का सेब देश की अलग-अलग मंडियों में नहीं पहुंच पा रही. इससे किसानों को लगभग 700 करोड़ का नुकसान है.

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14 दिनों से श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाइवे बंद, कश्मीर के सेब किसानों को 700 करोड़ का नुकसानकश्मीरी सेब का नुकसान

पहाड़ों में बाढ़ और बारिश का असर अभी तक देखा जा रहा है. बारिश का सिलसिला भले ही थम गया है, लेकिन अभी उसका असर बड़े पैमाने पर देखा जा रहा है. इसी में जम्मू कश्मीर भी शामिल है जहां कई महंगे फलों की खेती होती है. इन फलों में सेब, नाशपाती और खुबानी आदि शामिल हैं. पिछले 14 दिनों से श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाईवे बंद है जिस वजह से कश्मीर के सेब किसान बहुत परेशान हैं. इन किसानों का 700 करोड़ रुपये तक का नुकसान बताया जा रहा है. अगर सेब की खेप समय पर मंडियों तक पहुंच गई रहती तो किसान इस भारी नुकसान से बच जाते. हाईवे कई जगहों पर टूट गया है, जिसके कारण यातायात बंद है. इससे फलों से लदे ट्रक भी या तो फंसे हैं, या कई दिनों का सफर कर मंडियों में पहुंचते हैं तब तक फल खराब हो जाते हैं.

मंडियों में 700 करोड़ का फल सड़ गया

एक किसान ने 'आजतक' से कहा कि सेब से लदा उनका ट्रक 8 दिन एनएच पर फंसा रहा और नौवें दिन मंडी में पहुंचा तब तक सारा फल खराब हो गया. किसान ने बताया कि इस पूरे मामले में नेशनल हाईवे अथॉरिटी जिम्मेदार है. कश्मीर से जम्मू पहुंचने वाली सड़क कब तक खुलेगी, इसके बारे में अभी कुछ भी पता नहीं. अथॉरिटी भी इसे अभी खोलने को राजी नहीं है. बारिश जब शुरू होती है श्रीनगर-जम्मू हाईवे की जमीन खिसक जाती है जिसकी वजह से श्रीनगर और लद्दाख की कनेक्टिविटी पूरी तरह से कट जाती है. कश्मीर में एशिया की सबसे बड़ी फल मंडी है जहां किसानों को भारी नुकसान हुआ है. किसानों का लगभग 700 करोड़ का माल पूरी तरह से खराब हो गया है.

सेब का सीजन चरम पर, लेकिन बिक्री बंद

श्रीनगर-जम्मू हाईवे बंद होने से सेब और नाशपाती जैसे फलों को बहुत नकुसान झेलना पड़ा है. किसानों का आरोप है कि सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है ताकि किसानों का माल देश की अलग-अलग मंडियों में पहुंच सके. एक किसान ने कहा कि अभी नाशपाती और हाई डेंसिटी सेब का सीजन चरम पर है, लेकिन कई दिनों से हाईवे बंद है जिसकी वजह से पेड़ से फलों की तुड़ाई नहीं हो रही है. किसान ने कहा कि बदकिस्मती की बात ये है कि हुकूमत इस पर ध्यान नहीं दे रही है, मुख्यमंत्री इस समस्या का हल नहीं निकाल पा रहे हैं.

कश्मीर में तुड़ाई के इंतजार में सेब

जम्मू कश्मीर में बागवानी को अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है. किसान का आरोप है कि सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है. जिन किसानों का माल देश की अलग-अलग मंडियों के लिए रवाना किया गया था. वह माल अब श्रीनगर की मंडियों में अनलोड किया जा रहा है क्योंकि हाईवे बंद होने से ट्रक वापस लौट रहे हैं. कश्मीर में सेब का सीजन चरम पर चल रहा है, लेकिन इसकी तुड़ाई इसलिए नहीं हो रही है क्योंकि उसे मंडियों तक पहुंचाने के लिए कोई रास्ता नहीं खुला है. हाई डेंसिटी सेब की शेल्फ लाइफ कम दिनों की होती है. ऐसे में अगर जल्दी इनकी तुड़ाई कर मंडियों तक नहीं पहुंचाया गया तो पेड़ पर ही फल खराब हो जाएंगे.

एनएच बंद होने से किसानों को नुकसान

शोपियां मंडी में काम करने वाले नजीर अहमद मीर ने कहा कि मंडी में लगभग 700 करोड़ से अधिक का नुकसान है. मंडियों में माल सड़ रहे हैं क्योंकि गाड़ियां नहीं चल रही हैं. किसान बहुत परेशान हैं. किसान को सालभर की कमाई (फल) फेंकनी पड़ रही है. अभी माल भेजने के लिए छह चक्का ट्रक ही भेजने की अनुमति है जबकि उससे भी अधिक दस चक्का ट्रक की जरूरत है ताकि अधिक से अधिक फलों को मंडियों तक भेजा जा सके.

प्रदेश के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी माना कि बारिश से जहां फलों और मेवों को नुकसान नहीं हुआ, वहीं अब ट्रकों में माल सड़ रहा है. जब मुआवजा देने की बात आएगी तो उन लोगों को भी लाभ दिया जाएगा जिनका फल ट्रकों में सड़ गया है. मुख्यमंत्री ने रेल मंत्री से आग्रह किया कि अब रेलवे लाइन खुला है तो तीन-चार स्पेशल ट्रेन चलाई जाए ताकि जम्मू से माल श्रीनगर आ सके और श्रीनगर से मेवा-फल आदि को बाहर की मंडियों में भेजा जा सके. (एजाज डार के इनपुट के साथ)

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