देश में किसान अब धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं. पारंपरिक फसलों के साथ-साथ वे कम समय में बढ़िया मुनाफा देने वाली फसलों की भी खेती करने लगे हैं. इस दौरान किसान अब सीजनल सब्जियों की खेती की तरफ तेजी से रुख कर रहे है. सेम भी कुछ इसी तरह की फसल है. किसान इसकी खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं. सेम की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है, इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. बाजार में इसकी डिमांड पूरे साल बनी रहती है ऐसे में किसानों के लिए सेम की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है.
सेम की बीजो की रोपाई अलग-अलग स्थानों में अलग-अलग समय पर करते है, इसमें उत्तर पूर्वी राज्यों में बीजो की रोपाई अक्टूबर से नवम्बर माह के मध्य तक की जानी चाहिए, जबकि उत्तर पश्चिम राज्यों में बीजो को सितम्बर माह के मध्य तक लगाया जाता है. खरीफ सीजन चालू है ऐसे में किसान सेम की खेती कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों ले सकते हैं.
यह सेम की उन्नतशील एक असिमित बढ़वार वाली किस्म जो भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गयी है. इस किस्म का अखिल भारतीय समन्वित सब्जी सुधार परियोजना के तहत परिक्षण किया गया है, जो मेघालय, कोयम्बटूर, बंगलौर, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल के लिये उपयोगी किस्म मानी गयी है.इस किस्म की औसत पैदावार 339 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
इस सेम की उन्नतशील किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली से विकसित किया गया है. इसके पौधे लता के रूप में बढ़ते हैं. इसकी फलियाँ चौड़ी, गहरे रंग की रेशा रहित तथा 15 से 17 सेंटीमीटर लम्बी होती है. इसकी हरी फलियों की औसत पैदावार 138 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है.
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इस किस्म को भी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली से विकसित किया गया है. इसके पौधे लता के रूप में बढ़ते हैं| फलियाँ काफी चौड़ी, मुलायम, गूदेदार तथा बिना रेशे की होती है.फलियों की लम्बाई 15 से 16 सेंटीमीटर होती है.इसकी हरी फलियों की औसत उपज 170 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है.
यह सेम की उन्नतशील एक अगेती किस्म है, इसे भी जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर द्वारा विकसित किया गया है. यह किस्म जे. बी.पी.- 2 की सुधरी किस्म है. इसके पौधे लता के रूप में बढ़ते हैं. इसका तना गहरे बैगनी रंग का होता है. फलियाँ हरे सफेद रंग की होती है तथा किनारे पर बैंगनी रंग के धब्बे होते है.फलिया 8 से 10 सेंटीमीटर लम्बी तथा 3 से 7 सेंटीमीटर चौड़ी होती हैं.
अवधि इस किस्म की फलियाँ मध्यम आकार की और हरे रंग की होती है.फलियाँ गुछो में लगती है , जो 7 से 15 तक हो सकती है.इससे 120 से 130 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार प्राप्त की जा सकती है.
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