scorecardresearch
Basmati Rice Export: बासमती चावल के एक्सपोर्ट ने बनाया नया र‍िकॉर्ड, ज्यादा दाम के बावजूद बढ़ा दबदबा

Basmati Rice Export: बासमती चावल के एक्सपोर्ट ने बनाया नया र‍िकॉर्ड, ज्यादा दाम के बावजूद बढ़ा दबदबा

प‍िछले साल के मुकाबले 3.45 लाख टन ज्यादा बासमती चावल का हो चुका है एक्सपोर्ट. दाम में भी प्रत‍ि टन 77 डॉलर का इजाफा. अप्रैल से द‍िसंबर 2023 तक भारत बासमती एक्सपोर्ट से करीब 33 हजार करोड़ रुपये कमा चुका है. आख‍िर क्या वजह है क‍ि एक्सपोर्ट में इतनी वृद्ध‍ि हुई है. 

advertisement
बासमती चावल का क‍ितना हुआ एक्सपोर्ट. बासमती चावल का क‍ितना हुआ एक्सपोर्ट.

क्वीन ऑफ राइस कहे जाने वाले बासमती चावल (Basmati Rice) का दुन‍िया भर के बाजार में दबदबा बढ़ रहा है. प‍िछले साल के मुकाबले इस बार 6254 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट बढ़ चुका है. जबक‍ि दाम पहले के मुकाबले ज्यादा है. यही नहीं, व‍िशेषज्ञों को अनुमान है क‍ि इस साल मार्च तक इसका एक्सपोर्ट 45 हजार करोड़ रुपये को पार कर जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी. व‍िदेशी बाजारों में हमारे इस प्रीम‍ियम चावल की इतनी मांग है क‍ि इसके आसपास भी कोई नहीं ठहरता. साल 2022-23 के दौरान कुल एग्री एक्सपोर्ट में बासमती चावल की ह‍िस्सेदारी 17.4 फीसदी रही थी, ज‍िसे इस साल और बढ़ने का अनुमान है. 

एप‍िडा के एक अध‍िकारी ने बताया क‍ि साल 2023-24 के अप्रैल से द‍िसंबर तक की बात करें तो इस दौरान हमने 35,42,875 मीट्र‍िक बासमती का एक्सपोर्ट क‍िया. इससे 32,845.2 करोड़ रुपये की व‍िदेशी मुद्रा हमें म‍िल चुकी है. इसी अवध‍ि में 2022-23 के दौरान भारत ने 26590.9 करोड़ रुपये का बासमती एक्सपोर्ट क‍िया था. जबक‍ि 2021-22 की इस समय अवध‍ि में 17689.3 करोड़ रुपये का ही एक्सपोर्ट हो पाया था. बासमती की खेती बढ़ाने में अहम योगदान देने वाले पूसा के न‍िदेशक डॉ. अशोक स‍िंह ने उम्मीद जताई है क‍ि इस साल मार्च तक एक्सपोर्ट 45000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. 

इसे भी पढ़ें: किसानों ने 1,74,000 एकड़ जमीन पर धान की खेती छोड़ी, पानी बचाने की जंग में कूदे अन्नदाता

ज्यादा रेट के बावजूद बढ़ा एक्सपोर्ट 

साल 2021-22 के दौरान स‍िर्फ 868 डॉलर प्रत‍ि टन के दाम पर एक्सपोर्ट के सौदे हो रहे थे और मौजूदा साल (2023-24) में भारत को 1121 डॉलर प्रत‍ि टन का रेट म‍िल रहा है. दाम बढ़ने के बावजूद अप्रैल से द‍िसंबर की अवध‍ि में अगर प‍िछले एक साल की तुलना करें तो हम 3,45,521 टन ज्यादा बासमती चावल का एक्सपोर्ट कर चुके हैं. साल 2022-23 के दौरान हमने अप्रैल से द‍िसंबर के दौरान 1044 यूएस डॉलर प्रत‍ि टन के भाव पर एक्सपोर्ट क‍िया था. यानी प‍िछले साल के मुकाबले कीमत में प्रत‍ि टन 77 डॉलर का इजाफा है. 

एमईपी का बैर‍ियर भी नहीं रोक पाया

केंद्र सरकार ने 26 अगस्त 2023 को बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर 1200 डॉलर प्रत‍ि टन का म‍िन‍िमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) लगा द‍िया था. उद्योग जगत के भारी व‍िरोध के बाद 26 अक्टूबर को इसे घटाकर 950 डॉलर क‍िया गया. यानी दो महीने तक बासमती 1200 डॉलर प्रत‍ि टन से कम दाम पर एक्सपोर्ट नहीं हुआ. इसके बावजूद इन दो महीनों यानी स‍ितंबर-अक्टूबर 2023 के दौरान भारत ने 5.99 लाख मीट्र‍िक टन चावल का एक्सपोर्ट क‍िया.

जबक‍ि 2022 के इन्हीं दो महीनों में उससे कम 5.34 लाख टन बासमती ही एक्सपोर्ट हुआ था और तब 1200 डॉलर का बैर‍ियर भी नहीं था. डायरेक्टरेट जनरल ऑफ़ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स (DGCIS) ने इन आंकड़ों की तस्दीक की है. बाजार व‍िशेषज्ञों का कहना है क‍ि गैर बासमती सफेद चावल के न‍िर्यात पर रोक लगने की वजह से बासमती का बाजार बढ़ रहा है. 

स‍िर्फ दो देशों में ही होती है बासमती की खेती 

दुन‍िया में दुन‍िया के स‍िर्फ दो देशों में ही बासमती चावल की खेती होती है. इसका सबसे बड़ा शेयर धारक भारत है. जहां सात राज्यों में बासमती चावल का उत्पादन होता है. इन सात सूबों को बासमती चावल का जीआई टैग म‍िला हुआ है. पूरे पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, पश्च‍िम यूपी (30 ज‍िलों), दिल्ली, उत्तराखंड व जम्मू, कठुआ और सांबा में इसकी खेती को सरकार ने मान्यता दी हुई है. इन क्षेत्रों में 60 लाख टन बासमती चावल की पैदावार होती है. इसका मतलब यह है क‍ि कुल चावल उत्पादन में इसकी ह‍िस्सेदारी महज 4.5 प्रत‍िशत ही है. 

महंगा होने की वजह से यह खास लोगों का चावल बन जाता है. इसल‍िए इसे सार्वजन‍िक व‍ितरण प्रणाली यानी पीडीएस में नहीं द‍िया जाता. उत्पादन का ज्यादातर ह‍िस्सा एक्सपोर्ट हो जाता है. पाक‍िस्तान बासमती का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. वहां कानूनी तौर पर इसकी खेती के ल‍िए स‍िर्फ 14 ज‍िले तय हैं. लेक‍िन अंतरराष्ट्रीय बाजार में वो भारत को काफी नुकसान पहुंचाने की कोश‍िश करता है. भारतीय बासमती की कई क‍िस्मों के बीजों की वो चोरी करके अपने यहां खेती करता है.

इसे भी पढ़ें: Wheat Price: ओपन मार्केट सेल के बावजूद कम नहीं हुआ गेहूं-आटे का दाम, क‍िसे फायदा और क‍िसका नुकसान?