बदहाली में खेति‍हर मजदूर, 5 साल में स‍िर्फ 51 रुपये ही बढ़ी दिहाड़ी

बदहाली में खेति‍हर मजदूर, 5 साल में स‍िर्फ 51 रुपये ही बढ़ी दिहाड़ी

संसद में दी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि हरियाणा के खेतिहर मजदूरों को प्रति दिन 400.88 रुपये की दिहाड़ी मिलती है. हिमाचल प्रदेश में यह दिहाड़ी 470.56 रुपये निर्धारित है जबकि केरल में तो पंजाब की तुलना में लगभग दोगुना 736.31 रुपये मेहनताना दिया जाता है. पंजाब में यह रकम मात्र 378 रुपये है.

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बदहाली में खेति‍हर मजदूर, 5 साल में स‍िर्फ 51 रुपये ही बढ़ी दिहाड़ीखेतिहर मजदूरों की दिहाड़ी कम (सांकेतिक तस्वीर-ANI)

एक तरफ महंगाई और दूसरी ओर कमाई में गिरावट. ये ऐसी हालत है जिससे खेती-बाड़ी में लगे श्रमिक जूझ रहे हैं. पूरे देश में कमोबेस यही हालत है, लेकिन पंजाब की खेती में लगे श्रमिकों की स्थिति कुछ ज्यादा ही गंभीर है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पंजाब को खेती के मामले में नजराने के तौर पर पेश किया जाता है. पंजाब के खेतिहर मजदूर दिहाड़ी के मामले में सबसे अधिक प्रभावित बताए जाते हैं. यहां के मजदूरों की हर दिन की दिहाड़ी 378 रुपये के आसपास है. यह आंकड़ा संसद में जारी किया गया है. किसानों की समृद्धि के मामले में पंजाब को सबसे अच्छा माना जाता है. मगर दिहाड़ी मजदूरों की स्थिति कुछ अलग ही कहानी बयां करती है.

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस बाबत संसद में 2021-22 का डेटा प्रस्तुत किया. डेटा वाली इस रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले 5 साल में खेतिहर मजदूरों की दिहाड़ी में मात्र 51.62 रुपये की वृद्धि हुई है. यह स्थिति तब है जब भारत को कृषि प्रधान देश का दर्जा मिला हुआ है.  

अभी स‍िर्फ 470.56 रुपये की द‍िहाड़ी

संसद पटल पर रखी गई रिपोर्ट कहती है, साल 2017-18 में खेतिहर मजदूर की दिहाड़ी 326.79 रुपये हुआ करती थी. विशेषज्ञ बताते हैं कि जिस हिसाब से महंगाई बढ़ी है, उस हिसाब से खेतिहर मजदूरों की दिहाड़ी में इजाफा देखने को नहीं मिला है. पांच साल में हर चीज की महंगाई कहां से कहां पहुंच गई, जबकि खेतिहर मजदूर की दिहाड़ी में महज 51 रुपये की वृद्धि देखी गई है.

पंजाब का मामला थोड़ा अधिक गंभीर है क्योंकि यहां बाहर से मजदूर कमाई करने आते हैं. पंजाब के मजदूर इस तरह के दिहाड़ी वाले काम कम ही करते हैं. पंजाब में बाहर से आए मजदूरों को पड़ोसी राज्यों की तुलना में कम मेहनताना मिल रहा है. अगर हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की तुलना करें तो पंजाब के खेतिहर मजदूरों को कम दिहाड़ी मिल रही है.

संसद में दी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि हरियाणा के खेतिहर मजदूरों को प्रति दिन 400.88 रुपये की दिहाड़ी मिलती है. हिमाचल प्रदेश में यह दिहाड़ी 470.56 रुपये निर्धारित है जबकि केरल में तो पंजाब की तुलना में लगभग दोगुना 736.31 रुपये मेहनताना दिया जाता है. पंजाब में यह रकम मात्र 378 रुपये है.

क्या कहते हैं व‍िशेषज्ञ

पंजाब के संगठन जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी के पंजाब अध्यक्ष मुकेश मलौड 'दि ट्रिब्यून' से कहते हैं, महंगाई की तुलना में देखें तो पंजाब के खेतिहर मजूदरों को बहुत कम मेहनताना मिलता है. महंगाई तेजी से बढ़ी है, लेकिन पांच साल में दिहाड़ी में केवल 51.62 रुपये की वृद्धि हुई है. मलौड कहते हैं, इस साल जून महीने में इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री भगवंत मान से मुलाकात हो चुकी है. 

मुकेश मलौड कहते हैं कि पंजाब के मुख्यमंत्री ने कम दिहाड़ी के मुद्दे पर गौर फरमाया है और इसे 500 रुपये से ऊपर ले जाने की बात कही है. मुख्यमंत्री से दिसंबर अंत में फिर से मुलाकात होगी और दिहाड़ी बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी. मुकेश मलौड की शिकायत है कि बड़े-बड़े किसान खेतिहर मजदूरों का शोषण करते हैं. बड़े किसान ही दिहाड़ी की सीमा तय करते हैं, यहां तक कि आधिकारिक न्यूनतम दिहाड़ी से भी इसे कम रखा जाता है. यह मुद्दा नागरिक अधिकारों के खिलाफ है.

इस मुद्दे पर कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा का कहना है, खेती के मामले में परिवारों की कमाई देखें तो पंजाब देश में दूसरा स्थान रखता है जहां 26,701 रुपये की इनकम होती है. लेकिन खेतिहर मजदूरों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है.

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