देश में मोटे अनाजों को कभी गरीबों का भोजन कहा जाता था. लेकिन, वक्त के पहिए की धुरी अब बदल गई है. जिसके तहत अब मोटे अनाज विश्व भर में लोकतंत्र में राजा की भूमिका संभाल रहे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की थाली का हिस्सा बनने जा रहे हैं. इसमें वर्ष 2023 में प्रस्तावित इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स की भूमिका अहम होने जा रही है. लेकिन भारत में इसकी शुरुआत हो गई है. इसी कड़ी में मंगलवार यानी आज संसद भवन में मोटे अनाज का भोज (लंच) कार्यक्रम होने जा रहा है. जिसकी तैयारियां पूरी हो गई हैं.
राष्ट्रपति, पीएम समेत 800 सांसदों को न्योता
संसद भवन में मोटे अनाज के भोज का आयोजन कृषि मंत्रालय की तरफ से किया जा रहा है. कृषि मंत्रालय की मेजबानी में आयोजित हो रहे भोज कार्यक्रम के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम नरेंद्र मोदी समेत लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों को न्योता भेजा गया है. ये भोज कार्यक्रम संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान आयोजित हो रहा हैं. ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही है कि इसमें तकरीबन 800 सदस्य प्रतिभाग कर सकते हैं.
संसद भवन में आयोजित हो रहे इस मोटे अनाज के भोज में रागी, बाजरे और ज्वार के पकवान बनाए गए हैं. जानकारी के मुताबिक रागी के पकवान बनाने के लिए कर्नाटक से 20 सेफ आए हैं. जिनकी कमान कृषि मंत्री शोभा ने संभाली थी. वहीं बाजरे के पकवान बनाने के लिए राजस्थान से सेफ आए हैं. जिनकी कमान दूसरे कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने संभाली हुई है.
भारत से पहले अमेरिका में कई देशों के प्रतिनिधि मोटे अनाज की दावत उड़ा चुके हैं. असल में बीते दिनों विदेश मंत्री एस जयशंकर ने न्यूयार्क में यूएन प्रतिनिधियों को लंच पर आमंत्रित किया था, जिसमें मोटे अनाज से बने पकवान शामिल थे.
मोटे अनाज अब जल्द ही दुनिया की थाली का हिस्सा बनेंगे. असल में भारत के प्रयासों के बाद संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स के तौर पर मनाने का फैसला किया है. जिसे अब तक 72 देशों की सहमति मिल चुकी हैं. ऐसे में इन सभी देशों में मोटे अनाजों की स्वीकारती बढ़नी तय बताई जा रही है. जिसका सीधा फायदा किसानों को होगा.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today