महाराष्ट्र में मॉनसून ने जिस स्पीड से समय से पहले एंट्री मारी थी, अब वह उतनी ही स्पीड से हल्का हो रहा है. खरीफ की बुवाई का सीजन बस शुरू होने को है और ऐसे में मॉनसून जिस तरह से रंग बदल रहा है, किसानों की चिंताएं भी बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में राज्य के कृषि विभाग की तरफ से किसानों को एक सलाह दी गई है. कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वो अभी किसी तरह की जल्दबाजी न करें.
महाराष्ट्र सरकार के कृषि विभाग ने खासतौर पर शुष्क भूमि वाले किसानों से अपील की है कि वो किसी भी झूठी खबर पर भरोसा करके बुवाई और खेती में जल्दबाजी न करें.कृषि विभाग ने किसानों से कहा है कि वो फिलहाल बीज न बोएं. मानसून की रफ्तार धीमी होने की वजह से अगले कुछ दिनों में पर्याप्त बारिश होने की संभावना कम है. अनुमान लगाया गया है कि 12 जून के बाद बारिश की तीव्रता फिर से बढ़ सकती है.
आईएमडी का कहना है कि बदलते मौसम की स्थिति के चलते दक्षिण-पश्चिम मानसून अचानक रुक सा गया है. रविवार को यहां जारी एक आधिकारिक मीडिया बयान में कहा गया है कि मानसून अब धीमा पड़ने लगा है और यह फिलहाल पूरी तरह से रुक गया है. कम से कम 10 जून तक मानसून की यही स्थिति रहने की उम्मीद है.
राज्य में आने वाले दिनों में ज्यादा इलाकों में हल्की बारिश होने की उम्मीद है. इस बदलाव से खरीफ सीजन की तैयारियों में देरी होने की संभावना है, खास तौर पर उन इलाकों में जहां प्री-मानसून बारिश के कारण खेत पानी से लबालब हो गए थे. राज्य में हवा की गति भी कम हो गई है जिससे आने वाले समय में पर्याप्त बारिश की संभावना कम हो गई है. मई में बहुत ज्यादा बारिश के चलते किसानों को काफी परेशानी भी हुई.
मई में औसत से करीब दस गुना ज्यादा बारिश हुई है. बहुत सारे खेत पानी में डूब गए हैं और कीचड़ से भरे हुए हैं. इसकी वजह से खरीफ से पहले की गतिविधियों पर असर पड़ रहा है. किसान अब बुवाई के लिए जरूरी वातावरण का इंतजार कर रहे हैं. मिट्टी की सही नमी, जिसमें काली, गहरी मिट्टी में जमने में आमतौर पर 10-15 दिन लगते हैं, किसानों को अब इसका इंतजार है. अगर इस शुष्क अवधि के दौरान फिर से तेज बारिश होती है तो बुवाई में और देरी हो सकती है. आईएमडी ने किसानों से सतर्क रहने और अपनी कृषि योजना को अति-स्थानीय पूर्वानुमानों पर आधारित करने की अपील की है.
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