कहीं बाढ़ और कहीं सूखे की वजह से इस साल खरीफ फसलों की बुवाई बुरी तरह से प्रभावित हुई है. पिछले साल यानी 2022 में 14 जुलाई तक देश में 607.98 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी, जबकि इस बार अब तक सिर्फ 598.43 लाख हेक्टेयर में ही बुवाई हो पाई है. यानी 9.55 लाख हेक्टेयर में कम बुवाई हुई है. देश में खरीफ फसलों का कुल एरिया 1091.73 लाख हेक्टेयर है. इस बार दलहन फसलों, धान और कॉटन की बुवाई इस बार बहुत पिछड़ी हुई है. दूसरी ओर, तिलहन फसलें और मोटे अनाजों की बुवाई का रकबा पहले से अधिक हुआ है, इनमें पानी की खपत कम लगती है. बाढ़ खत्म होने और सूखा प्रभावित राज्यों में बारिश शुरू होने के बाद बुवाई के रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक 14 जुलाई तक देश में 123.18 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई और रोपाई हुई है. जबकि 2022 के दौरान इसी अवधि में 131.23 लाख हेक्टेयर में रोपाई हो चुकी थी. यानी खरीफ सीजन की मुख्य फसल ही पिछले साल के मुकाबले 8.05 लाख हेक्टेयर पीछे है. कुछ राज्यों में इसका रकबा पहले से ज्यादा हुआ है तो कुछ में कम. बुवाई मौसम पर आधारित है, इसलिए इसमें उतार-चढ़ाव होता रहता है. भारत में खरीफ सीजन के धान की बुवाई आमतौर पर 400 लाख हेक्टेयर में होती है.
इसे भी पढ़ें: क्या शुगर के मरीज भी खा सकते हैं मणिपुरी ब्लैक राइस, इसकी खासियत जानकर चौंक जाएंगे आप
धान का रकबा सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ में कम हुआ है. यहां पिछले साल के मुकाबले इस बार 5.37 लाख हेक्टेयर में कम रोपाई हुई है. पंजाब में 3.83 लाख हेक्टेयर की कमी है. ओडिशा में 2.55 लाख हेक्टेयर, असम में 2.04 लाख हेक्टेयर, मध्य प्रदेश में 1.58 लाख हेक्टेयर और पश्चिम बंगाल में 1.10 लाख हेक्टेयर की कमी दर्ज की गई है.
धान की रोपाई में उत्तर प्रदेश में पिछले साल के मुकाबले काफी बढ़ गई है. यहां इस बार 14 जुलाई तक 4.88 लाख हेक्टेयर में अधिक रोपाई हो चुकी है. बिहार में 3.02 लाख हेक्टेयर, हरियाणा में 1.39 लाख हेक्टेयर, राजस्थान में 0.56 लाख हेक्टेयर, झारखंड में 0.45 लाख हेक्टेयर, तेलंगाना में 0.30 लाख हेक्टेयर में ज्यादा रोपाई हो चुकी है. हरियाणा के कुछ हिस्सों में अब बाढ़ की वजह से धान की काफी फसल चौपट हो चुकी है.
दलहनी फसलों की बुवाई का एरिया भारत में 140 लाख हेक्टेयर है. लेकिन अब तक सिर्फ 66.93 लाख हेक्टेयर में ही बुवाई हो सकी है. जबकि पिछले साल यानी 22 में 14 जुलाई तक 77.17 लाख हेक्टेयर में दलहनी फसलें बोई जा चुकी थीं. यानी पिछले साल के मुकाबले इस बार 10.25 लाख हेक्टेयर में कम बुवाई हुई है. अरहर की बुवाई पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है. इस बार अब तक मुश्किल से 17.04 लाख हेक्टेयर में ही अरहर की बुवाई हुई है. जबकि पिछले साल अब तक 27.59 लाख हेक्टेयर में इसकी बुवाई हो चुकी थी.
देश में खरीफ सीजन की तिलहन फसलों का सामान्य एरिया 186 लाख हेक्टेयर है. इसमें से अब तक 139.25 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है, जो कि पिछले साल की 14 जुलाई की अवधि से 2.30 लाख हेक्टेयर अधिक है. पिछले साल अब तक 136.95 लाख हेक्टेयर में ही बुवाई हुई थी. इस साल मूंगफली का अच्छा दाम मिल रहा है इसलिए इसकी बुवाई में 2.14 लाख हेक्टेयर का उछाल है. जबकि सोयाबीन और सूरजमुखी की बुवाई में कमी दर्ज की गई है.
सोयाबीन का सामान्य एरिया 118 लाख हेक्टेयर है. जिसमें से 14 जुलाई तक 99.46 लाख हेक्टेयर में बुवाई पूरी हो चुकी है. जबकि पिछले साल 101.32 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी. सूरजमुखी की बुवाई अभी तक सिर्फ 0.40 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले वर्ष 1.42 लाख हेक्टेयर में हुई थी.
मोटे अनाजों की बुवाई 14 जुलाई तक 110.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले वर्ष इस अवधि तक 93.67 लाख हेक्टेयर में ही बुवाई हुई थी. इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स के तहत मोटे अनाजों के बारे में किए जा रहे प्रचार-प्रसार की वजह से इसके रकबे में पिछले साल के मुकाबले 16.98 लाख हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की गई है. गन्ने की बुवाई 55.81 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जो पिछले साल से 2.50 लाख हेक्टेयर अधिक है. जबकि कॉटन की बुवाई सिर्फ 96.26 लाख हेक्टेयर में हुई है जो पिछले साल के मुकाबले 12.71 लाख हेक्टेयर कम है. इसका प्रमुख उत्पादक महाराष्ट्र अभी सूखे का सामना कर रहा है. महाराष्ट्र और तेलंगाना में इसका रकबा कम हो गया है.
इसे भी पढ़ें: बासमती चावल का बंपर एक्सपोर्ट, पर कम नहीं हैं पाकिस्तान और कीटनाशकों से जुड़ी चुनौतियां
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today