क्या शुगर के मरीज भी खा सकते हैं मणिपुरी ब्लैक राइस, इसकी खास‍ियत जानकर चौंक जाएंगे आप

क्या शुगर के मरीज भी खा सकते हैं मणिपुरी ब्लैक राइस, इसकी खास‍ियत जानकर चौंक जाएंगे आप

Manipuri Black Rice: विशेष गुणों की वजह से मणिपुर के काले चावल को मिल चुका है जीआई टैग. इसे चाक-हाओ भी कहते हैं. इस सुगंधित चावल की कई देशों में फैली खुशबू. बासमती और काला नमक चावल से भी कम है इसका ग्लाइसेम‍िक इंडेक्स. जान‍िए इसके बारे में सबकुछ. 

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क्या शुगर के मरीज भी खा सकते हैं मणिपुरी ब्लैक राइस, इसकी खास‍ियत जानकर चौंक जाएंगे आपजानिए मणिपुर के काले चावल की क्या है खासियत-(Photo-Kisan Tak)

अपनी खास गुणवत्ता की वजह से मणिपुर का ब्लैक राइस (Manipuri Black Rice) अब देश-विदेश में चावल खाने वालों के बीच खास जगह बना रहा है. उमियम (बारापानी), मेघालय स्थित केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कैंपस में इसके एफपीओ ने हमें इसके गुणों की जानकारी दी. दावा क‍िया गया है क‍ि इस चावल का ग्लाइसेम‍िक इंडेक्स स‍िर्फ 43 है. जो भारत में सबसे कम है. इसकी वजह से इसे शुगर के रोगी भी खा सकते हैं. सामान्य चावल का ग्लाइसेम‍िक इंडेक्स 70 से 85 होता है. जबक‍ि काला नमक राइस का 49 से 55 के बीच है. मणिपुरी ब्लैक राइस को स्थानीय भाषा में चाक-हाओ (Chak-Hao) कहते हैं. इसकी खासियत की वजह से इसे जीआई टैग मिला हुआ है. इसकी कीमत 200 रुपये प्रति किलो तक है. अब इसकी दूसरे देशों में काफी मांग हो रही है.

मणिपुर में इसकी खेती करने वाले किसानों का एक एफपीओ यानी यानी किसान उत्पादक कंपनी है. जिसमें करीब एक हजार किसान जुड़े हुए हैं. जिसका नाम चाक-हाओ पोयरिशन ऑर्गेनिक प्रोड्यूशर कंपनी है. यह चावल ऑर्गेनिक के साथ-साथ सुगंधित भी है. इस एफपीओ से जुड़े लोगों ने दावा किया कि चाक-हाओ में पोषक तत्वों की मात्रा अन्य चावलों से ज्यादा है. 

किन देशों में ज्यादा है मांग?

साल 2017 में शुरू हुए इस एफपीओ का टर्नओवर पिछले साल लगभग 3.5, करोड़ रुपये था. इससे ऑपरेशन हेड मारचंग शिने ने किसान तक को बताया कि इस चावल की नीदरलैंड, दुबई और जर्मनी में अच्छी मांग है. अपने देश में भी जैसे-जैसे लोगों को इसके औषधीय गुणों के बारे में पता चल रहा है वो इसे खाने के लिए मंगा रहे हैं. हाल ही में 80 मीट्रिक टन मणिपुरी ब्लैक राइस भोपाल भेजा गया है. यानी विदेश-विदेश सब जगहों पर इसके मुरीद बढ़ रहे हैं. खास बात यह है क‍ि इसका ग्लाइसेम‍िक इंडेक्स बहुत कम है इसल‍िए शुगर के रोगी भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.   

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कितनी होती है पैदावार?

चाक-हाओ का उत्पादन भी काफी अच्छा है. यहां पर इसके धान की प्रति हेक्टेयर करीब 2600 से 2900 क्विंटल तक की पैदावार है. धान से अगर 65 प्रतिशत चावल की रिकवरी मान लें तो प्रति हेक्टेयर के धान से 1800 किलो चावल निकल जाता है. दाम भी अच्छा मिलता है इसलिए यह मणिपुर के किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. दूसरी ओर मेडिशनल वैल्यू की वजह से खाने वालों के लिए तो अच्छा है ही.

प्रति 100 ग्राम चावल में कितना है पोषक तत्व

मारचंग शिने ने दावा किया कि चाक-हाओ में एंथोसायनिन नामक एंटी ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में मौजूद है जो कार्डियोवेस्कुलर और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाने में मददगार माना जाता है. इसमें एंथोसायनिन 69.2 से 74 एमजी तक है. इसी तरह कैल्शियम 24.6 एमजी, मैग्नीशियम 58.46 एमजी और जिंक 2.36 एमजी है. इसमें प्रोटीन 12.15 और कार्बोहाइड्रेट-72.43 प्रतिशत है.

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