सरकारी दावों के बीच एमएसपी पर बाजरा बेचने के ल‍िए धक्के खा रहे हैं हर‍ियाणा के क‍िसान

सरकारी दावों के बीच एमएसपी पर बाजरा बेचने के ल‍िए धक्के खा रहे हैं हर‍ियाणा के क‍िसान

किसानों का कहना है कि सरकार उनके ल‍िए कागजों में बहुत कुछ करती है. बात भी करती है, लेक‍िन धरातल पर वैसा कुछ नहीं होता. मंडी में कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है क‍ि क‍िसान आसानी से फसल बेच सकें. जिसके कारण पहले सरसों की बिक्री के लिए परेशान होना पड़ा और अब बाजरा बेचने के लिए परेशान होना पड़ रहा है. 

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सरकारी दावों के बीच एमएसपी पर बाजरा बेचने के ल‍िए धक्के खा रहे हैं हर‍ियाणा के क‍िसानकिसानों को मंडी में उपज बेचने के लिए घंटो कतार में खड़ा रहना पड़ रहा हैं

किसानों को हर साल क‍िसी न क‍िसी फसल को बेचने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस सीजन में भी किसानों को बाजरे की उपज बेचने के लिए धक्के खाने पड़ रहे हैं. हरियाणा के रेवाड़ी अनाज मंडी में ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है. यहां मंडी में सुबह से ही किसान टोकन कटाने के लिए लाइन में खड़े हैं. टोकन म‍िलेगा तो फसल ब‍िकेगी. किसानों का कहना है कि सरकार किसानों के लिए कोई व्यवस्था नहीं कर रही है. जिसके कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि ये हर साल की बात है. फसल बेचने के ल‍िए धक्के खाने पड़ते हैं. मंडी सुविधा नहीं होने के कारण हम किसानों को हर साल ऐसे ही परेशान होना पड़ता है. कुछ परेशान क‍िसानों ने मंडी में हंगामा क‍िया ताक‍ि व्यवस्था सुधर जाए. 

जानकारी के मुताबिक खरीद एजेंसी 2200 रुपये प्रति क्व‍िंटल के हिसाब से बाजरे की खरीद कर रही है. एमएसपी की बची राशि सरकार भवांतर भरपाई योजना के तहत किसानों को देगी. लेकिन किसानों का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि कैसे उपज खरीद प्रकिया की जा रही है. उन्हें टोकन कटाने के लिए लाइनों में खड़े होकर परेशान होना पड़ रहा है.

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मंडी में व्यवस्था नहीं होने पर गुस्से में हैं किसान

किसानों का कहना है कि सरकार उनके ल‍िए कागजों में बहुत कुछ करती है. बात भी करती है, लेक‍िन धरातल पर वैसा कुछ नहीं होता. मंडी में कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है क‍ि क‍िसान आसानी से फसल बेच सकें. जिसके कारण हम किसानों को पहले सरसों की बिक्री के लिए परेशान होना पड़ा और अब बाजरा बेचने के लिए परेशान होना पड़ रहा है. सुबह से ही रेवाड़ी अनाज मंडी के बाहर लगी ट्रैक्टरों की लंबी कतारें बता रही हैं क‍ि हालात क‍ितने खराब हैं. मंडी में टोकन नहीं काटने से किसान परेशान हो रहे हैं जिसके चलते मार्केट कमेटी के ऑफिस में कुछ किसानों ने हंगामा भी किया. कमेटी के ऑफिस में बैठकर कई किसानों ने किसान एकता जिंदाबाद के नारे भी लगाए. 

मार्केटिंग कमेटी के सचिव ने क्या कहा? 

दक्षिण हरियाणा में बाजरे की पैदावार सबसे ज्यादा होती है. काफी किसान 1700 से 2100 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल के दाम पर बाजरा बेच चुके हैं. ये कहा जा रहा था कि एक अक्टूबर से बाजरे की एमएसपी पर खरीद की जानी है. लेकिन इस बीच किसान संगठन लगातार धरना प्रदर्शन करके बाजरे की जल्द खरीद शुरू करने की मांग कर रहे थे. जिसके बाद दो दिन पहले ही सरकार ने बाजरे की व्यवसायिक खरीद शुरू करने का फैसला लिया. वहीं मार्केटिंग कमेटी के सचिव ने कहा कि कल करीबन एक हजार किसान मंडी में आए थे. ज‍िसमें से करीबन 600 किसानों से बाजरे की खरीद की गई थी. बचे किसानों का बाजरा आज खरीदा जाएगा.

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