भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने कहा है कि किसान वर्तमान मौसम में सरसों की फसल में माहू की निरंतर निगरानी करते रहें. प्रारंभिक अवस्था में किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पौधे के संक्रमित हिस्से को काटकर नष्ट कर दें. यह कीड़ा पत्तियों की निचली सतह और फूलों की टहनियों पर समूह में पाया जाता है. इसका प्रकोप दिसंबर के अंतिम सप्ताह से मार्च तक बना रहता है. इन कीटों के लगातार आक्रमण से पौधों के कई भाग चिपचिपे हो जाते हैं. जिससे उनके भोजन बनाने की शक्ति कम हो जाती है और पैदावार में कमी आ जाती है. ऐसे में उत्पादन कम हो जाता है.
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि गेहूं की फसल में दीमक के लक्षण दिखाई देने पर क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी@2.0 लीटर प्रति एकड़ की दर से शाम के समय 20 किलोग्राम रेत के मिश्रण का प्रयोग करना चाहिए. चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी के लिए, यदि फूल 10-15 फीसदी तक पहुंच गए हों तो फेरोमोन ट्रैप @ 3-4 ट्रैप प्रति एकड़ की दर से लगाने की सलाह दी जाती है. कीट आबादी को नियंत्रित करने के लिए फसल के खेत में और उसके आसपास "टी" आकार के पक्षी बसेरा स्थापित करना चाहिए.
अगेती कद्दू वर्गीय फसलों की पौध तैयार करने के लिए पॉली हाउस में छोटे पॉलीथीन बैग में पौध तैयार की जा सकती है. वर्तमान मौसम की स्थिति में पत्तागोभी, फूलगोभी, नोलखोल आदि की पछेती किस्मों की स्वस्थ पौध की रोपाई मेड़ों पर की जा सकती है. वर्तमान मौसम में पालक, धनिया और मेथी की बुवाई की जा सकती है. इस सप्ताह गाजर बीज की फसल उगाने के लिए मौसम उपयुक्त है.
अनुकूलतम मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, किसानों को सलाह दी जाती है कि वे इस सप्ताह में प्याज की पौध की रोपाई करें. अंकुर छह सप्ताह से अधिक पुराना नहीं होना चाहिए. रोपाई छोटी क्यारियों में की जानी चाहिए. डीप ट्रांसप्लांटिंग से बचना चाहिए. रोपाई से दस से पंद्रह दिन पहले अंतिम जुताई के समय 20 टन अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद 20 किलो नाइट्रोजन, 60-70 किलो फॉस्फोरस और 80-100 किलो पोटाश के साथ डालें. रोपाई 15 सेमी (पंक्ति-पंक्ति) x 10 सेमी (पौधे-पौधे) की दूरी पर की जानी चाहिए.
गोभी की फसल में डायमंड बैक मॉथ, मटर में फली छेदक और टमाटर में फल छेदक कीट की निगरानी के लिए फेरोमोन ट्रैप @ 3-4 ट्रैप प्रति एकड़ की दर से लगाने की सलाह दी जाती है. फलियों के उचित विकास के लिए 2% यूरिया या पोटेशियम सल्फेट का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है, इससे मटर की फसल को पाले से होने वाले नुकसान से भी बचाया जा सकता है. गेंदा की फसल में पुष्प सड़न रोग की सतत निगरानी आवश्यक है. यदि लक्षण दिखाई दें तो बैविस्टिन @ 1 ग्राम प्रति लीटर या इंडोफिल-एम 45 @ 2 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर आसमान साफ रहने पर छिड़काव करने की सलाह दी जाती है.
ये भी पढ़ें:
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today