Dairy Cooperative: सहकारी समितियों को विश्व बाजार में पहचान दिलाने के लिए तैयार हुआ रोडमैप 

Dairy Cooperative: सहकारी समितियों को विश्व बाजार में पहचान दिलाने के लिए तैयार हुआ रोडमैप 

Dairy Milk Cooperative किसान और पशुपालकों की इनकम बढ़ाने के लिए जरूरी है कि भारत को गुणवत्ता वाले दूध और दूध उत्पादों के निर्यात के माध्यम से "विश्व की डेयरी" बनाया जाए. सहकारिता और गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) को चाहिए कि सहकारी डेरियों को और मजबूत किया जाए. 

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सहकारी समितियों को विश्व बाजार में पहचान दिलाने के लिए तैयार हुआ रोडमैप घी को सरकार ने 12% के जीएसटी स्लैब में रखा (Photo:Pixabay)

Dairy Milk Cooperative किसानों और पशुपालकों की इनकम बढ़ाने के लिए कई योजनाओं पर काम हो रहा है. केन्द्र सरकार इसके लिए सहकारी समितियों की भी मदद ले रही है. यही वजह है कि सिर्फ सहकारिता मंत्रालय ही नहीं कृत्रि और पशुपालन मंत्रालय भी सहकारी समितियों से जोड़ते हुए योजनाओं पर काम कर रहा है. खुद सहकारिता और गृह मंत्री अमित शाह किसानों और पशुपालकों की इनकम बढ़ाने के लिए सहकारी समितियों के उत्पादन को ब्रांड बनाने की बात कह रहे हैं. उनका कहना है कि जब तक उत्पादन को ब्रांड से नहीं जोड़ेंगे तब तक सहकारी समितियां मुनाफे में नहीं आएंगी. 

क्योंकि जब उत्पादन ब्रांड से जुड़ेगा तो विश्व बाजार में उसके सही दाम भी मिलेंगे और और उसको एक पहचान भी मिलेगी. खासतौर पर डेयरी सेक्टर के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि सहकारी समिति के डेयरी प्रोडक्ट ब्रांड के साथ जुड़ते ही पशुपालकों की आय बढ़ने लगेगी. 

कैसे मुनाफे वाली बनेंगी डेयरी सहकारी समिति 

जिन पंचायतों और गांवों में डेयरी उद्योग की क्षमता है वहां डेयरी सहकारी समितियों का गठन करने के लिए कुछ खास काम किए जाएं. भारतीय डेयरी सेक्टर से जुड़ी मल्टी-कमोडिटी और सहकारी समितियों की जरूरत पर जोर दिया जाए. सहकारी समितियों के उत्पादन के निर्यात के लिए एक ब्रांड होना चाहिए. जैविक उत्पाद को बढ़ावा देना चाहिए, सहकारी समितियों के बीच सहयोग से दुग्ध प्रोसेसिंग सुविधाओं का बेहतर उपयोग होना चाहिए, डेयरी मशीनरी के निर्माण में आत्मनिर्भरता लानी होगी. एनडीडीबी की सहायक कंपनी आईडीएमसी लिमिटेड के माध्यम से स्वदेशी डेयरी उपकरणों के निर्यात को बढ़ावा देना चाहिए. एनडीडीबी की सहायक कंपनियों को इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अपना खास रोल अदा करना होगा. 

साइंटीफिक तरीके से क्यों हो पशुपालन 

एनडीडीबी के चेयरमैन मीनेश शाह का कहना है कि एनडीडीबी अपनी नीति “किसान सर्वप्रथम” को ध्यान में रखते हुए ही अपनी सभी योजनाओं में सहकारिता की रणनीति को शामिल करती है. किसानो द्वारा पशुपालन की वैज्ञानिक पद्धति को अपनाकर एनडीडीबी को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है. एनडीडीबी से जुड़ी दूसरी संस्थाओं ने भी डेयरी सहकारिताओं को मजबूत कर करोड़ो किसानों के लिए आय का रास्ता खोलते हुए एनडीडीबी के उद्देश्यों को आगे बढ़ाया है.

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