Rajasthan: क्या है ARS, बांसवाड़ा में खेती में नवाचारों को कैसे दिया इसने बढ़ावा? 

Rajasthan: क्या है ARS, बांसवाड़ा में खेती में नवाचारों को कैसे दिया इसने बढ़ावा? 

यह संस्था आईसीएआर के तहत काम करती है. राजस्थान के दक्षिणी जिले बांसवाड़ा में एआरएस काम करती है. इसका मुख्य काम आमों की नई किस्म विकसित करना और ग्राफ्टिंग करना है.

Advertisement
Rajasthan: क्या है ARS, बांसवाड़ा में खेती में नवाचारों को कैसे दिया इसने बढ़ावा? बांसवाड़ा में एआरएस ने कई वर्षों की मेहनत से 51 वैरायटी के आम विकसित किए हैं. GFX- Sandeep Bhardwaj

बांसवाड़ा. राजस्थान के आदिवासी बहुल जिलों में से एक यह जिला आम के बगीचों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है. यहां आम के बड़ी संख्या में बगीचे हैं और कई किस्मों के देसी आम यहां पैदा होते हैं. आमों की प्रदर्शनी भी उद्यान विभाग की ओर से हर साल लगाई जाती है. केवीके, उद्यान विभाग, पर्यटन विभाग और पूरा जिला प्रशासन इस मेले का आयोजन कराते हैं. ‘किसान के पास किसान तक’ सीरीज के तहत बीते दिनों हम बांसवाड़ा पहुंचे. इस शहर में और आसपास के क्षेत्र में बड़ी मात्रा में आमों के बगीचे हैं.

इसीलिए आम की समझ बढ़ाने और एआरएस के उसमें योगदान को लेकर किसान तक ने एआरएस के जोनल डायरेक्टर हरगिलास से बात की. 

क्या है एआरएस और क्या है इसका काम?

एआरएस यानी एग्रीकल्चर रिसर्च स्टेशन. यह संस्था आईसीएआर के तहत काम करती है. राजस्थान के दक्षिणी जिले बांसवाड़ा में एआरएस काम करती है. इसका मुख्य काम आमों की नई किस्म विकसित करना और ग्राफ्टिंग करना है. साथ ही इस जोन के सभी किसानों को आम सहित अन्य फसलों, कृषि के नवाचारों से जोड़ना भी एआरएस का काम है. 

हरगिलास किसान तक को बताते हैं कि एफआरएस यानी फ्रूड रिसर्च स्टेशन विंग आमों पर रिसर्च करती है. यह विंग भी एआरएस का एक हिस्सा है. यही विंग बांसवाड़ा में आमों की क्रॉसिंग, ग्राफ्टिंग का काम करती है. ताकि आमों की किस्मों को बढ़ाया जा सके. 

ये भी पढ़ें- Mango Farming: अंधड़ में उड़े 15 लाख के आम, फूट-फूटकर रोया कर्ज में डूबा किसान

सबसे अधिक वर्षा वाला क्षेत्र है बांसवाड़ा

आम को जिस जलवायु की जरूरत होती है, उसके लिए बांसवाड़ा मुफीद क्षेत्र हैं. क्योंकि यहां साल में 850 सेंटीमीटर से अधिक बारिश दर्ज होती है. जो राजस्थान की औसत बारिश से अधिक है. साथ ही इस क्षेत्र में नमी है. प्रदेश के 10 एग्रो क्लाइमेटिक जोन में से यह क्षेत्र चार-बी में आता है. जिसे आर्द सदर्न क्षेत्र कहते हैं.

इसके अलावा सर्दियों में भी यहां तापमान 10 डिग्री से नीचे नहीं जाता. इसीलिए पाले की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं. यही मौसम बांसवाड़ा को आम के लिए सबसे अच्छा बनाता है. साथ ही गर्मी भी यहां अच्छी पड़ती है. कुलमिलाकर आम को जिस तरह की जलवायु की जरूरत होती है, वह सब उसे बांसवाड़ा में मिलती है. 

ये भी पढ़ें- गुजरते सीजन में यहां मनाया गया मैंगो फेस्टिवल !

एआरएस ने तैयार किए 51 वैरायटी के आम

हरगिलास कहते हैं कि एआरएस ने अब तक बांसवाड़ा और आसपास के क्षेत्र में आम की 51 वैरायटी तैयार की हैं. हमसे पहले भी संस्था के सीनियर्स ने अलग-अलग जगह के आमों को यहां लाकर उनकी ग्राफ्टिंग की. जैसे आम्रपाली आम को दशहरी और नीलम के क्रॉस से डेवलप किया गया है. यह करीब 400 ग्राम का होता है. इसमें दशहरी और नीलम दोनों का स्वाद है. खाने में भी काफी मीठा है. एआरएस की तैयार की हुई वैरायटी का लोकल जर्मप्लाज्म का सभी का रजिस्ट्रेशन हमने करा रखा है. 

एआरएस के अंडर पांच जिले आते हैं

हरगिलास किसान तक को जानकारी देते हुए बताते हैं कि एआरएस के अंडर तीन जिले पूरी तरह से आते हैं. जो बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और डूंगरपुर हैं. इसके अलावा कुछ हिस्सा उदयपुर और चित्तौड़गढ़ का भी हमारे कार्यक्षेत्र में आता है. यहां हम आम सहित उगने वाली फसलों पर रिसर्च करते हैं और किसानों की मदद करते हैं. 


 

POST A COMMENT