इस स्कूल के किचन गार्डन में जैविक खेती से सब्जी उगाते हैं बच्चे, मिड-डे मील में होता है इस्तेमाल

इस स्कूल के किचन गार्डन में जैविक खेती से सब्जी उगाते हैं बच्चे, मिड-डे मील में होता है इस्तेमाल

राजस्थान के दौसा जिले में बरखेड़ा गांव के स्कूल में किचन गार्डन बनाया गया है. उसमें सब्जी उगाई जा रही है और स्कूली बच्चों को मिड-डे मील के जरिए उन सब्जियों को परोसा जा रहा है. किचन गार्डन के प्रभारी शिक्षक हेमराज मीणा ने बताया कि स्कूल परिसर में जैविक खेती की जा रही है. स्कूली बच्चों को पढ़ाई के साथ सब्जी भी उगाना और उनकी बारीकियों की जानकारी दी जाती है.

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इस स्कूल के किचन गार्डन में जैविक खेती से सब्जी उगाते हैं बच्चे, मिड-डे मील में होता है इस्तेमालदेश में जैविक खेती पर जोर दिया जा रहा है

वैसे तो आए दिन सरकारी स्कूलों में नए नवाचार होते रहते हैं. मगर राजस्थान के दौसा जिले के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बाणे में एक नए तरह का नवाचार हो रहा है. यहां बरखेड़ा स्कूल में बच्चे पढ़ाई के साथ कुछ नया सीख रहे हैं जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है. दरअसल, यहां के स्कूल स्टाफ और बच्चों ने मिलकर किचन गार्डन तैयार किया है. 

यहां स्कूल के बच्चे जैविक खेती करना और उससे जुड़ी हुई बारीकियां सीखते हैं और कई प्रकार की सब्जियां उगाई जाती हैं. इन सब्जियों का उपयोग स्कूल में तैयार होने वाले पोषाहार के भजन में होता है. ऐसे में स्कूल के बच्चों को शुद्ध और पौष्टिक भोजन मिल पाता है.

दौसा जिले के स्कूल में जैविक खेती

राजस्थान के दौसा जिले में बरखेड़ा गांव के स्कूल में किचन गार्डन बनाया गया है. उसमें सब्जी उगाई जा रही है और स्कूली बच्चों को मिड-डे मील के जरिए उन सब्जियों को परोसा जा रहा है. किचन गार्डन के प्रभारी शिक्षक हेमराज मीणा ने बताया कि स्कूल परिसर में जैविक खेती की जा रही है. स्कूली बच्चों को पढ़ाई के साथ सब्जी भी उगाना और उनकी बारीकियों की जानकारी दी जाती है. 

साल 2023-24 में सब्जी उगाने का फैसला किया गया और अब हर मौसम के हिसाब बच्चों को मिड-डे मील में मूली, गाजर, मेथी, कसूरी मेथी, पालक, चुकूंदर, हरा धनिया जैसी सब्जियां किचन गार्डन में उगाई जाती हैं. पढ़ाई में इस विद्यालय के स्कूली बच्चे अव्वल हैं. बारहवीं क्लास में कुल 24 विधार्थी हैं जिनमें से 23 बच्चों के पॉलिटिकल साइंस और भूगोल विषय में 99 प्रतिशत नंबर आए हैं.

बच्चों को मिलता है पौष्टिक आहार

स्कूल के शिक्षकों ने बताया कि किचन गार्डन से बच्चों को एक तरफ एजुकेशन मिल रही है, तो दूसरी तरफ शुद्ध पौष्टिक सब्जियां मिल रही हैं. इस किचन गार्डन में किसी भी तरह के केमिकल और रासायनिक दवाई का उपयोग नहीं किया जाता है. 

स्कूल में खाली पड़ी जमीन को जोतकर सब्जी उगाई जाती है. जुलाई में जनसहयोग से ट्रैक्टरों से किचन गार्डन तैयार कराया गया. इसके बाद बच्चों ने देसी खाद तैयार कर गार्डन में डाली थी. प्रधानाचार्य और शिक्षकों ने बाजार से बीज लाकर बुवाई की. 

जनसहयोग और शिक्षकों के सहयोग से पानी के टैंकरों की व्यवस्था कर सिंचाई की जा रही है. सप्ताह में एक बार किचन गार्डन से ताजी हरी सब्जियां तोड़ी जाती हैं. मिड-डे मील में इनका इस्तेमाल हो रहा है. शिक्षकों ने बताया कि पहले हर छह दिन में 500 रुपये और महीने में 2 हजार रुपये सब्जियों पर खर्च होते थे. लेकिन किचन गार्डन शुरू होने से स्कूल को फायदा हुआ है. साथ ही बच्चों को शुद्ध और पौष्टिक सब्जियां मिल रही हैं.(हिमांशु शर्मा की रिपोर्ट)

 

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