राजस्थान के किसान अब अपनी फसलों के खराबे का आकलन खुद कर पाएंगे. इसके लिए भू-प्रबंध विभाग ने किसान गिरदावरी एप लांच कर दिया है. इसके इस्तेमाल से किसान फसल खराब होने के तुरंत बाद एप के जरिए गिरदावरी रिपोर्ट बना सकेंगे. एप लांच होने का फायदा यह होगा कि किसानों को बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि या सरकारी नुमाइंदों का गिरदावरी के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा.
साथ ही गिरदावरी में पक्षपात और गड़बड़ी की आशंका भी खत्म हो जाएगी. प्रदेश में कई जगह पानी की कमी से खराब हुई फसलों की गिरदावरी किसानों ने इसी एप से की है. फिलहाल इसे प्रदेश के सभी जिला कलक्टरों को भेजा गया है. सरकार ने किसान गिरदावरी एप के साथ-साथ राजस्व अधिकारी (पटवारी) एप और जनाधार खाता सीडिंग एप भी लॉंच कर दिए हैं. इस एप के जरिए किसान के जनाधार से खाते और खरसे को जोड़ा जाएगा. साथ ही खाते और खसरे को मैप भी किया जा सकता है.
वहीं, किसान गिरदावरी एप की जानकारी गांव-गांव में किसानों को देने के लिए भू-प्रबंध विभाग के लोग गांव-गांव जाएंगे और किसानों को एप के इस्तेमाल का तरीका बताएंगे. साथ ही किसानों को होने वाली परेशानियों और शंकाओं को दूर कर रहा है.
किसान गिरदावरी एप को इस्तेमाल करने के लिए काश्तकारों को खराब हुए खेतों में जाना होगा. एप को जनाधार नंबर से लॉग-इन करना होगा. इसके बाद कंफर्मेशन के लिए ओटीपी आएगा. फिर किसानों को जिला, तहसील और पटवार मंडल सलेक्ट करना होगा. खेत का खसरा नंबर डालते ही यह खुल जाएगा.
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इसमें सिंचिंत, असिंचित एरिया, खेत में फसल की फोटो और किस्म डालकर सेव करना होगा. फिर किसानों को देशांतर और अक्षांक्ष भी डालना होगा. एप के माध्यम से फसल के अलावा फूल, फल और बागवानी की गिरदावरी भी की जा सकेगी. सारी डिटेल्स भेजने के बाद पटवारी इसे वेरिफाइ करेगा. किसानों को फसल खराबे के असल आंकड़ों के लिए खेत पर जाना ही होगा.
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फिलहाल राजस्थान में टीआरएस गिरदावरी की जाती है. प्रदेश में 16 सितंबर से 15 अक्टूबर तक खरीफ की सामान्य गिरदावरी की जाती है. इससे 15 दिन पहले सामयिक सूचना भेजी जाती है तब गिरदावरी की जाती है. सामान्य गिरदावरी के लिए ट्रेनिंग कार्यक्रम किए जाते हैं. हालांकि फिलहाल प्रदेश में पटवारी हड़ताल पर हैं. इसीलिए वे सामान्य गिरदावरी के लिए ट्रेनिंग प्रोग्रामों का भी विरोध कर रहे हैं.
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