इस महीने की शुरूआत से हनुमानगढ़ के किसानों ने सरहिंद फीडर से सिंचाई के पानी की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन किया है. धरना, चक्काजाम के बाद किसानों और पंजाब सरकार के बीच नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने बातचीत का प्रस्ताव रखा. बीते दिनों बेनीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री हनुमान बेनीवाल के बीच सिंचाई के पानी के लिए बातचीत भी हुई, लेकिन वहां से भी किसान सिर्फ आश्वासन लेकर वापस आ गए. आखिर सवाल यही है कि लगभग पूरे महीने की मशक्कत के बाद किसानों को क्या मिला?
ग्रामीण किसान-मजदूर समिति के रणजीत सिंह ने किसान तक से कहते हैं, "पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बेनीवाल के सामने हम किसानों को आश्वासन दिया कि वे राजस्थान के हिस्से का 850 क्यूसेक पानी भाखड़ा प्रणाली में छोड़ेंगे. लेकिन हमारे आने के बाद उन्हें विपक्षी दलों के विरोध का सामना करना पड़ा. इसीलिए अब हमें नरमा बिजाई के लिए पानी आने की उम्मीद छोड़ दी है."
फिलहाल हनुमानगढ़, गंगानगर जिलों में फसल को नरमा बिजाई की जरूरत है. इसीलिए किसान सरहिंद फीडर के जरिए 1200 क्यूसेक पानी की मांग कर रहे थे. अब जब उन्हें पानी नहीं मिल रहा तो किसानों ने पानी के वैकल्पिक उपाय ढूंढ़ना शुरू कर दिया है. रणजीत कहते हैं, “किसानों ने अपने स्तर पर पानी की व्यवस्था की है. किसी ने बोरवेल, तालाब, छोटी नहरों और आसपास के कुओं से खेतों की सिंचाई की है.”
ये भी पढ़ें- Rajasthan: भाखड़ा से 1200 क्यूसेक पानी मिलने के वादे के साथ किसानों ने खत्म किया धरना
किसानों ने सिंचाई के पानी के लिए इस मई महीने की शुरूआत में पहले सिंचाई विभाग के दफ्तर के सामने एक दिन का धरना दिया. प्रशासन के आश्वासन के बाद जब मांग के अनुसार पानी नहीं मिला तो नगराना टोल प्लाजा पर किसानों ने चक्काजाम कर दिया. इसके बाद 11 मई से आठ दिन तक लगातार धरना दिया. लेकिन किसानों की मांग कहीं नहीं सुनी गई.
रणजीत कहते हैं, “सरहिंद फीडर से 1200 क्यूसेक पानी के साथ-साथ हमारी चार मांगें और थीं. प्रशासन ने उनमें से दो मांगें पूरी कर दी हैं और बाकी दो मांगों पर काम शुरू कर दिया है,लेकिन हमारी 1200 क्यूसेक पानी की मांग पूरी नहीं हुई है.”
ये भी पढ़ें- हनुमानगढ़ः किसानों को नहीं मिला वादे के मुताबिक पानी, आज टोल प्लाजा बंद
संतवीर कहते हैं कि इस मुद्दे से हनुमानगढ़ जिले की पांच विधानसभा सीट जुड़ी हैं. हजारों की संख्या में किसान परिवार इससे जुड़े हुए हैं. लाखों वोट इस मुद्दे से जुड़े हुए हैं. इसीलिए कुछ राजनीतिक दलों ने भी इसमें दिलचस्पी ली, लेकिन पंजाब की तरफ से कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई.
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today