Rajasthan: गुलाबी सुंडी और बरसात से खराब हुई फसलों पर मुआवजे की मांग, कलेक्ट्रेट का घेराव

Rajasthan: गुलाबी सुंडी और बरसात से खराब हुई फसलों पर मुआवजे की मांग, कलेक्ट्रेट का घेराव

श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, अनूपगढ़ जिलों में पहले गुलाबी सुंडी का प्रकोप फसलों में रहा. इससे जो फसल बची उसे आंधी-बरसात ने बर्बाद कर दिया. इससे कपास, मूंग, ग्वार की फसलें चौपट हो गईं. किसानों के अनुसार फसलों में 70-80 फीसदी तक नुकसान हुआ है.

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Rajasthan: गुलाबी सुंडी और बरसात से खराब हुई फसलों पर मुआवजे की मांग, कलेक्ट्रेट का घेरावश्रीगंगानगर में मुआवजे की मांग को लेकर इकठ्ठा हुए किसान.

राजस्थान के श्रीगंगानगर में किसानों की फसलें हाल ही में हुई बरसात और गुलाबी सुंडी से बर्बाद हो गई हैं. इससे प्रभावित किसान आज श्रीगंगानगर कलेक्ट्रेट का घेराव कर रहे हैं. साथ ही मुआवजे के लिए सभा भी कर रहे हैं. किसान गुलाबी सुंडी और आंधी-बरसात से खराब हुई फसल को प्राकृतिक आपदा घोषित करने, प्रभावित किसानों को मुआवजा देने सहित कई मांगों को लेकर सभा कर रहे हैं. किसान संगठन ग्रामीण किसान मजदूर समिति की ओर से किए जा रहे इस घेराव में सैंकड़ों किसान शामिल हो रहे हैं.

समिति के पदाधिकारी रामकुमार सहारण ने किसान तक को बताया कि अगर हमारी मांगें नहीं मानी गई तो किसान वोट नहीं देने का निर्णय लेंगे. 

फसलों में हुआ 80 फीसदी तक नुकसान

सहारण बताते हैं कि कलेक्ट्रेट के घेराव के लिए एक दिन पहले समिति ने गांवों में नुक्कड़ सभाएं की. इन सभाओं में किसानों को श्रीगंगानगर कलेक्ट्रेट आने का न्योता दिया गया. वे बताते हैं कि श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, अनूपगढ़ जिलों में पहले गुलाबी सुंडी का प्रकोप फसलों में रहा. इससे जो फसल बची उसे आंधी-बरसात ने बर्बाद कर दिया. इससे कपास, मूंग, ग्वार की फसलें चौपट हो गईं. किसानों के अनुसार फसलों में 70-80 फीसदी तक नुकसान हुआ है. खेत के खेत गुलाबी सुंडी और बारिश से खराब हो गए हैं. 

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सहारण कहते हैं कि बीटी कॉटन में रोग प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण अधिकतर किसानों ने इसका बीमा भी नहीं कराया था. श्रीगंगानगर जिले में इस साल करीब 22 लाख हेक्टेयर में बीटी कॉटन बोई  गई थी, लेकिन ज्यादातर जगह फसल खराब हो चुकी है. इसीलिए सरकार इसे प्राकृतिक आपदा घोषित कर किसानों को जल्द से जल्द मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए. हालांकि अब तक सरकार की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं आया है. अगर सरकार मांगों के प्रति ऐसे ही उदासीन रही तो विधानसभा चुनावों में किसी भी प्रत्याशी को गांव में घुसने नहीं दिया जाएगा. 

ये हैं किसानों की मुख्य मांगें

पहले गुलाबी सुंडी और फिर आंधी-बरसात के कारण बर्बाद हुई फसलों को प्राकृतिक आपदा मानकर मुआवजा दिया जाए. इसके साथ ही नरमे के बीटी बीज में सुंडी का प्रकोप कैसे हुआ, किसान इसकी जांच कराने की मांग कर रहे हैं. वहीं, बीटी बीज में नॉन बीटी बीज की मिलावट करने, मिलावटी बीज विक्रेताओं पर कार्रवाई की मांग किसान कर रहे हैं. 

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सहारण बताते हैं कि फसल खराबे पर हर किसान को आपदा घोषित कर कपास, मूंग, बाजरा और ग्वार का 25 हजार रुपये और गन्ना का 35 हजार रुपये मुआवजा दिया जाए. साथ ही हर खेतिहर मजदूर को भी मुआवजा राशि का 10 प्रतिशत राशि दी जाए. 

इसके अलावा बैंकों द्वारा कुर्की और नीलामी पर रोक लगाने, फसल खरीद करने, खराब हुई फसल में क्वालिटी पर छूट देने की मांग किसान कर रहे हैं. साथ ही अगले रबी सीजन में बिजान के लिए ग्राम सेवा सहकारी समिति के माध्यम से किसानों को कर्ज देने की मांग भी किसान संगठन कर रहे हैं.

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