फसलें सूखी, नहीं हुए गिरदावरी के आदेश, किसान महापंचायत का आरोप- किसानों को भूली सरकार

फसलें सूखी, नहीं हुए गिरदावरी के आदेश, किसान महापंचायत का आरोप- किसानों को भूली सरकार

बारिश की कमी से सूखती फसलों के कारण हो रहे किसानों का नुकसान उन्हें दिखाई नहीं दे रहा. मूंग, बाजरा जैसी खरीफ फसलों की कटाई शुरू हो गई. इनमें 50 फीसदी तक का नुकसान हुआ है. लेकिन सरकार ने अब तक गिरदावरी के आदेश तक जारी नहीं किए हैं.

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फसलें सूखी, नहीं हुए गिरदावरी के आदेश, किसान महापंचायत का आरोप- किसानों को भूली सरकारबारिश नहीं होने से राजस्थान में फसलें सूख गई हैं.

राष्ट्रीय किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने राजस्थान सरकार पर किसानों के दर्द को भूलने का आरोप लगाया है. जारी बयान में जाट ने कहा, “राजस्थान के मुख्यमंत्री अपनी सरकार की पुनरावृत्ति की घोषणाएं लगातार कर रहे हैं. लेकिन बारिश की कमी से सूखती फसलों के कारण हो रहे किसानों का नुकसान उन्हें दिखाई नहीं दे रहा. मूंग, बाजरा जैसी खरीफ फसलों की कटाई शुरू हो गई. इनमें 50 फीसदी तक का नुकसान हुआ है. लेकिन सरकार ने अब तक गिरदावरी के आदेश तक जारी नहीं किए हैं. अगर गिरदावरी नहीं होगी तो फसलों के खराबे का आकलन सामने नहीं आएगा. साथ ही अकाल की घोषणा भी नहीं होगी. इससे राज्य आपदा राहत कोष की सहायता से किसान वंचित रहेंगे. वहीं, केंद्रीय आपदा राहत कोष से भी राज्य को सहायता नहीं मिल पाएगी. इसका सीधा नुकसान प्रदेश के लाखों किसानों को होगा.” 

पीएम फसल बीमा योजना में नहीं हुई क्रॉप कटिंग, कैसे मिलेगा क्लेम?

किसान महापंचायत ने सीएम गहलोत से सवाल किया कि प्रदेश में अब तक पीएम फसल बीमा योजना में क्रॉप कटिंग क्यों नहीं की गई है? क्रॉप कटिंग नहीं होने से किसान होने वाले नुकसान के लिए क्लेम के योग्य नहीं रहेंगे. क्योंकि फसल बीमा योजना में फसल खराबे का पैमाना क्रॉप कटिंग ही होता है. जबकि राजस्थान के लाखों किसानों से करोड़ों रुपये प्रीमियम के तौर पर वसूल लिए गए हैं. जाट ने आरोप लगाया कि अगर सरकार किसानों का दर्द समझती तो अगस्त में बरसात नहीं होने पर ही क्रॉप -कटिंग एवं गिरदावरी की वैकल्पिक व्यवस्था कर देती. 

इस साल क्यों घाटे में रहेंगे बाजरे-मूंग के किसान?

बता दें कि इस साल प्रदेश में बाजरे का बुआई क्षेत्र 70.81 लाख हेक्टेयर है. यह पिछले साल की तुलना में 0.40 लाख हेक्टर अधिक है. लेकिन बारिश की कमी से उत्पादन घटने के कारण इसका लाभ उत्पादक एवं उपभोक्ताओं को नहीं मिल पाएगा. पूरे देश का करीब 47 प्रतिशत बाजरा राजस्थान में ही पैदा होता है. 

इसी तरह देश का 48 फीसदी तक मूंग का उत्पादन भी राजस्थान में होता है. देशभर में मूंग की बुवाई का क्षेत्रफल तो 0.59 लाख हेक्टेयर कम हुआ है यानी मूंग का क्षेत्रफल 30.98 लाख हेक्टेयर रहा. उड़द का बुवाई क्षेत्रफल भी 0.97 लाख हेक्टेयर कम हुआ है. वहीं, अगस्त में सामान्य से 33 फीसदी कम बारिश हुई है.

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इसका सबसे ज्यादा असर मूंग पर आया है. क्योंकि मूंग की फसल 50-60 दिन में तैयार हो जाती है. साथ ही  यह फसल गर्मी भी सहन नहीं कर पाती. इसीलिए इसका उत्पादन 50 फीसदी तक घटा है. कमोवेश यही स्थिति अन्य खरीफ फसलों की भी है. 

जाट जोड़ते हैं कि उत्पादन कम होने का असर उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा. उन्हें ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी. वहीं, बाजार में कमी होने से सरकार आयात करेगी और किसानों पर इसका दोहरा असर होगा. इसीलिए सरकार अब भी कृषि एवं किसान को सर्वोच्च प्राथमिकता पर लेकर गिरदावरी एवं क्रॉप कटिंग के आदेश जारी कर सकती है. ताकि उन्हें आर्थिक नुकसान ना हो. 

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पटवारियों की हड़ताल पर भी खामोश बैठी है सरकार !

राजस्थान में बीते कई दिनों से पटवारियों की हड़ताल चल रही है. वे किसी भी तरह का काम नहीं कर रहे हैं. रामपाल जाट कहते हैं, “पटवारियों की हड़ताल को लेकर भी सरकार बेखबर बनी हुई है. यदि पटवारियो की मांग उचित है तो उनका समाधान करना चाहिए. वहीं, अगर सरकार पटवारियों की मांगों को सही नहीं मानती तो उसे क्रॉप-कटिंग और गिरदावरी की वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए. सरकार इसके लिए ड्रोन जैसी उच्च तकनीकी का सहायता ले सकती है.” 



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