Paddy Sowing: पंजाब में धान की सीधी बुवाई से किसानों की दूरी! 10 दिन में मात्र इतने रजिस्‍ट्रेशन हुए

Paddy Sowing: पंजाब में धान की सीधी बुवाई से किसानों की दूरी! 10 दिन में मात्र इतने रजिस्‍ट्रेशन हुए

Paddy Farming: पंजाब सरकार ने किसानों से डीएसआर तकनीक से धान की सीधी बुवाई के लिए अपील की है, जिससे पानी की खपत कम हो और पैदावार बढ़े. सरकार 1500 रुपये प्रति एकड़ की आर्थिक सहायता भी दे रही है, लेकिन अभी तक सिर्फ 1400 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. सरकार का लक्ष्य 5 लाख एकड़ में डीएसआर तकनीक से बुवाई करना है.

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पंजाब में धान की सीधी बुवाई से किसानों की दूरी! 10 दिन में मात्र इतने रजिस्‍ट्रेशन हुएDSR तकनीक से धान की रोपाई (फाइल फोटो)

खरीफ सीजन में प्रमुख रूप से धान की खेती के लिए मशहूर पंजाब में राज्‍य सरकार ने किसानों से डीएसआर तकनीक के इस्‍तेमाल से सीधी बुवाई करने की अपील की है. यह तकनीक धान में पानी की खपत को कम करने और पैदावार बढ़ाने में मदद करती है. सरकार ने 15 मई से इसकी शुरुआत की, लेकिन इसके दस दिन बाद (25 मई तक) भी किसानों ने इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई और सिर्फ 1400 किसानों ने ही डीएसआर के लिए रजिस्‍ट्रेशन कराया.

1500 रुपये की मदद करती है सरकार

राज्‍य सरकार किसानों को डीएसआर तकनीक अपनाने के लिए 1500 रुपये प्रति एकड़ की आर्थ‍िक सहायता भी देती है. लेकिन बावजूद इसके कम किसान इसमें रु‍च‍ि ले रहे हैं. राज्‍य सरकार ने इस साल 5 लाख एकड़ में सीधी बुवाई का लक्ष्‍य रखा है, लेकि‍न किसान इससे मुंह फेरते नजर आ रहे हैं. पिछले साल 2.53 लाख एकड़ रकबे में धान की सीधी बुवाई की गई थी.

महीने के आखिरी में बढ़ेगी DSR से बुवाई

‘दि ट्रिब्‍यून’ की रिपोर्ट के मुताबि‍क, कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि मई के आखिरी में डीएसआर तकनीक से खेती करने वाले किसानों की संख्‍या काफी ज्‍यादा बढ़ सकती है. लेकिन, राज्‍य सरकार ने गैर-बासमती धान की हाइब्रिड किस्‍मों के इस्‍तेमाल पर प्रतिबंध का फैसला लिया है, ऐसे में बड़ी संख्‍या में किसान बासमती धान की बुवाई के बार में सोच रहे हैं. वैसे तो बासमती धान की भी सीधी बुवाई संभव है, लेकिन किसान रोपाई को ज्‍यादा पसंद करते हैं.

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बिजली-मजदूर मिलने से रोपाई कर रहे किसान

रिपोर्ट के मुताबिक, नाभा के किसान गुरबख्शीश सिंह ने बताया कि रेगुलर आठ घंटे बिजली मिलने और मजदूर आसानी से उपलब्‍ध होने के कारण किसान धान की रोपाई करना पसंद करते हैं. वहीं, कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी बासमती धान का रकबा बढ़ने की संभावना जताई है. पिछले साल किसानों को बासमती धान की कीमत भी अच्‍छी मिली थी. पिछले वर्ष 32.43 लाख हेक्टेयर रकबे में धान की खेती हुई थी, जिसमें से 6.80 लाख हेक्टेयर रकबे बासमती धान की खेती की गई थी.

बासमती धान का रकबा 7 लाख हेक्‍टेयर पहुंचने का अनुमान

इस साल बासमती धान का रकबा 7 लाख हेक्टेयर तक पहुंच सकता है. वहीं, धान की बुवाई को लेकर राज्‍य के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां ने कहा कि रोपाई का समय नजदीक आने पर कई और किसान डीएसआर तकनीक काे चुनेंगे. हमें यकीन है कि डीएसआर तकनीक के इस्‍तेमाल से 5 लाख एकड़ में धान की बुवाई का लक्ष्‍य पूरा हो जाएगा.

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