नाफेड ने शुरू की प्याज की खरीदी नाफेड ने महाराष्ट्र में रबी सीजन के प्याज की खरीद शुरू कर दी है. दावा है कि किसानों को राहत देने के लिए ऐसा किया जा रहा है. इसने इस साल 1,50,000 मीट्रिक टन प्याज खरीदने का टारगेट रखा है. इतना ही नहीं प्याज एनसीसीएफ यानी नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन भी खरीदेगा. यानी दो सहकारी संगठन मिलकर कुल तीन लाख मीट्रिक टन प्याज खरीदेंगे. नाफेड के डायरेक्टर अशोक ठाकुर ने बताया कि खरीद के लिए कुछ सेंटर मंडियों में बनाए गए हैं और कुछ प्याज फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन यानी एफपीओ के फेडरेशन के जरिए खरीदा जाएगा. उनका दावा है कि नाफेड की खरीद शुरू होने के तीन-चार दिन बाद मार्केट में प्याज का दाम थोड़ा बढ़ जाएगा.
किसान तक ने इस दावे की पुष्टि करने के लिए जब ठाकुर यह पूछा कि नाफेड किसानों से किस भाव पर प्याज खरीदेगा तो उन्होंने इसे बताने से इनकार कर दिया. दरअसल, कड़वा सच तो यह है कि किसान इस साल नाफेड को भी घाटा सहकर ही प्याज बेचेंगे. किसान संगठन लगातार यह मांग कर रहे हैं कि नाफेड उत्पादन लागत पर मुनाफा जोड़कर मार्केट से अलग अधिक दाम पर किसानों से प्याज खरीदे. क्योंकि वह सहकारी संगठन है जिसका गठन किसानों के हित के लिए हुआ है. ऐसा करने से निजी व्यापारियों पर प्याज का दाम बढ़ाने का दबाव बनेगा.
हालांकि दूसरा सच यह है कि नाफेड इस तरह दाम तय करके खरीद नहीं करता. वो मार्केट भाव के आसपास ही दाम रखकर खरीद करता है. महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि इस समय महाराष्ट्र में प्याज का दाम 1 से लेकर 15 रुपये प्रति किलो तक चल रहा है, जबकि औसत भाव 7-8 रुपये किलो है. नाफेड औसत दाम को आधार बनाकर खरीद करेगा. मार्केट के औसत भाव पर वो सुपर क्वालिटी का प्याज खरीदेगा. जबकि प्याज की उत्पादन लागत ही 18 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है. ऐसे में नाफेड की खरीदी से किसानों को कोई फायदा नहीं होने वाला है.
फायदा तब होगा जब उत्पादन लागत के ऊपर मुनाफा तय करके नया दाम फिक्स हो. नेशनल हर्टिकल्चर बोर्ड और केंद्रीय कृषि मंत्रालय के पास प्याज के उत्पादन लागत का साइंटिफिक आंकड़ा है. उस पर मुनाफा तय करके नाफेड खरीद करे. वरना किसानों के लिए वो भी एक व्यापारी से ज्यादा कुछ नहीं है.
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दिघोले का कहना है कि अगर नाफेड वाकई किसानों का हितैषी है तो उसे अप्रैल से ही प्याज खरीदना शुरू कर देना चाहिए था. आज एक बड़ा विज्ञापन है कि नेफेड प्याज खरीदना शुरू कर रहा. विज्ञापन में प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों और विधायकों की तस्वीरें हैं, लेकिन विज्ञापन में कीमत का जिक्र नहीं है. यह नहीं बताया जा रहा है कि नाफेड किस भाव पर प्याज खरीदेगा. इस तरह की गोलमोल वाली पॉलिसी से प्याज उत्पादक किसानों का भला नहीं होने वाला है. बता दें कि पिछले दो साल से महाराष्ट्र में प्याज के दाम गिरे हुए हैं. इसकी वजह से किसान परेशान हैं. महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक प्रदेश है. जिसकी कुल उत्पादन में हिस्सेदारी करीब 43 फीसदी की है.
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