देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में किसान दाम को लेकर बड़े संकट का सामना कर रहे हैं. एक तरफ सोयाबीन और कपास के दामों में गिरावट जारी है. वहीं प्याज के गिरते कीमतों के चलते किसानों को पिछले एक साल से राहत नहीं मिल रही है. राज्य की बहुत सी मंडियों में प्याज की कीमत महज एक से दो रुपये प्रति किलो है. प्याज के गिरते दामों से किसान परेशान हैं. किसानों का कहना है कि गर्मियों के नए प्याज का अगर इतना कम भाव मिलेगा तो हम प्याज नहीं बेचेंगे. इतना कम भाव मिलने पर हम किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है.
महाराष्ट्र स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के मुताबिक, 17 फरवरी को सोलापुर जिले में प्याज का न्यूनतम दाम सबसे निचले स्तर तक आ गया. वहीं अहमदनगर जिले में किसानों को प्याज का 200 रुपये प्रति क्विंटल का दाम मिल रहा है. राज्य की कई मंडियो में किसानों को 100 रुपये से लेकर 300 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा है. मालेगांव में प्याज की खेती करने वाले किसान सावंत सुरेश मंडल ने किसान तक को बताया कि मैंने इस साल प्याज और कपास दोनों की खेती है और दोनों उपज का दाम कम मिल रहा है. वहीं मैंने कपास को अभी तक बेचा नहीं है. अगर गर्मियों के नए प्याज का दाम कम मिलेगा तो मुनाफा तो छोड़िए लागत भी ठीक से नहीं निकल पाएगा.
प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि लगातार हो रहे घाटे से परेशान किसान अब प्याज की खेती से ज्यादा दूसरी फसलों पर जोर देने लगे हैं. हालांकि, राज्य के कई जिलों में किसान पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं. ऐसे में किसानों के लिए प्याज की खेती के अलावा दूसरा कोई अच्छा विकल्प नहीं दिखता. दिघोले का कहना है कि राज्य में कई मंडियो में प्याज का दाम 2 से लेकर 5 रुपये प्रति किलो मिला रहा है, जबकि किसानों की प्रति किलो प्याज उत्पादन की लागत ही 20 से 22 रूपये प्रति किलो है. ऐसे में किसान कैसे गुजारा कर पाएगा पहले एक साल से किसान प्याज की कीमतों को लेकर संकटों का सामना कर रहे हैं, लेकिन सरकार का ध्यान किसानों पर नहीं है.
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