महाराष्ट्र के चीनी उत्पादन में 25% तक की गिरावट, समय से पहले ही खत्म होने वाला है पेराई सीजन

महाराष्ट्र के चीनी उत्पादन में 25% तक की गिरावट, समय से पहले ही खत्म होने वाला है पेराई सीजन

महाराष्ट्र में इस साल गन्ना उपज में गिरावट, इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने का उपयोग और पेराई सीजन की देरी से शुरूआत के कारण राज्य में चीनी का उत्पादन सीधे 25 प्रतिशत गिरा है. इसकी वजह से इस साल पेराई का सीजन भी समय से पहले ही समाप्त हो जाएगा.

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महाराष्ट्र के चीनी उत्पादन में 25% तक की गिरावट, समय से पहले ही खत्म होने वाला है पेराई सीजन उत्पादन में गिरावट के चलते चीनी मिलों पर संकट

महाराष्ट्र में इस साल चीनी उत्पादन में भारी गिरावट देखी गई है. राज्य में कुल चीनी उत्पादन केवल 79.74 लाख टन ही हुआ है, जबकि ये आंकड़ा पिछले सीजन 106.75 लाख टन था, यानी इस साल महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन लगभग 25 प्रतिशत कम रहा है. लिहाजा चालू सीजन 100 दिनों से भी कम समय तक ही चलने की उम्मीद है. इससे चीनी मिलों पर भारी वित्तीय दबाव पड़ने वाला है. राज्य की 200 में से 182 चीनी मिलें के बंद हो चुकी हैं, जिससे अब महाराष्ट्र का 2024-25 का चीनी पेराई सीजन समाप्ति की ओर है.

चीनी उत्पादन में क्यों और कितनी गिरावट?

दरअसल, चीनी उत्पादन में इस गिरावट का कारण पेराई सीजन की देरी से शुरूआत, इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने का उपयोग और गन्ना उपज में गिरावट है. चीनी आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य में चीनी मिलों ने अब तक 843.33 लाख टन गन्ने की पेराई की है, जिसमें औसत चीनी रिकवरी दर 9.46 प्रतिशत है. वहीं पिछले साल मिलों ने 10.2 प्रतिशत की हाई रिकवरी दर के साथ 1046.58 लाख टन गन्ने की पेराई की थी.

समय से पहले ही खत्म होगा सीजन 

चीनी उद्योग विशेषज्ञों की मानें तो बाकी शुगर मिलें भी जल्द ही अपना काम बंद कर देंगी और ये चीनी पेराई सीजन जल्दी खत्म हो जाएगा. आमतौर पर महाराष्ट्र में पेराई सीजन अक्टूबर के मध्य में शुरू होता है और मार्च या अप्रैल की शुरुआत यानी लगभग 140 से 150 दिनों तक चलता है. जबकि इस साल आम चुनावों और गन्ने की खेती में गिरावट के कारण सीजन नवंबर के अंत से शुरू हो पाया था. महाराष्ट्र में अधिकांश चीनी मिलें नवम्बर के अंत तक ही परिचालन शुरू कर सकीं हैं. 

चीनी मिलों के सामने बड़ा संकट

गौर करने वाली बात ये है कि गन्ने की उपलब्धता कम होने के कारण राजस्व में गिरावट आई है, लेकिन मिलों के परिचालन के खर्चे उतने ही रहे हैं. बढ़ते खर्च और घटती आय के कारण चीनी मिलें अब अभूतपूर्व नकदी संकट से जूझ रही हैं. चीनी उद्योग के अंदरूनी सूत्रों ने चेतावनी दी है कि कई मिलों को किसानों का बकाया चुकाने और कर्मचारियों को वेतन देने में कठिनाई हो सकती है, जिससे क्षेत्र की परेशानियां और बढ़ जाएंगी.

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