लातूर में बेमौसम बारिश के कारण सब्जी और फलों को हुआ नुकसान, बर्बाद फसलों को मवेशियों को खिला रहे किसान

लातूर में बेमौसम बारिश के कारण सब्जी और फलों को हुआ नुकसान, बर्बाद फसलों को मवेशियों को खिला रहे किसान

इतना ही नहीं बेमौसम बारिश और तापमान में उतार चढ़ाव के कारण फलों और सब्जियों की खेती में कीट का प्रकोप हो रहा है. सब्जियों के खेत में भूरी और डावनी जैसे रोग का प्रकोप हो रहा है.

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लातूर में बेमौसम बारिश के कारण सब्जी और फलों को हुआ नुकसान, बर्बाद फसलों को मवेशियों को खिला रहे किसानखराब फसल दिखाते किसान

महाराष्ट्र में एक बार बेमौसम बारिश किसानों के लिए आफत बनकर आई है. बारिश के कारण किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ा है. मामला लातूर जिले का है. यहा पर बेमौसम बारिश के काऱण किसानों को काफी नुकसान हुआ है. खास कर सब्जी और फल उत्पादक किसानों को अधिक क्षति हुई है. खास कर खीरा, खरबूज और तरबूज खी फसल तो पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. इसके कारण किसान काफी चिंतित हैं. हालांकि पिछले हफ्ते ही मौसम विभाग ने मराठवाड़ा में कुछ जगहों पर बेमौसम बारिश होने की जानाकारी दी थी. इसके बाद लातूर जिले और पास के औसा तहसील में बेमौसम बारिश हुई, इसके कारण फसलों को नुकसान हुआ है. 

इतना ही नहीं बेमौसम बारिश और तापमान में उतार चढ़ाव के कारण फलों और सब्जियों की खेती में कीट का प्रकोप हो रहा है. सब्जियों के खेत में भूरी और डावनी जैसे रोग का प्रकोप हो रहा है. इसके कारण कई ऐसे किसान हैं जिन्होंने अपनी खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया है. वहीं कई ऐसे किसान हैं जो अपनी बर्बाद हो चुकी फसल को मवेशियों को खिलाने पर मजबूर हैं. इतना ही नहीं खेत में कीट के प्रकोप के प्रसार को रोकने के लिए किसान संक्रमित पौधों को उखाड़कर फेक रहे हैं ताकि संक्रमण पूरे खेत में नहीं फैले, इसके अलावा किसान नई फसल की तैयारी भी कर रहे हैं. 

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बारिश के कारण हुआ रोग और कीट का अटैक

लातूर जिले के चांडेश्वर गांव के रहने वाले किसान व्यंकट सपाटे ने बताया कि उन्होंने अपनी दो एकड़ जमीन में खीरे की खेती की थी. पर बारिश के कारण उनकी फसल बर्बाद हो गई. इसके बाद उस किसान ने अपनी फसल को निकालकर मवेशियों को खिला दिया. पीड़ित किसान ने बताया कि खीरे की खेती करने में उन्हें बुवाई, मल्चिंग, ड्रिप और रसायनिक दवा का छिड़काव करने में 80 हजार रुपए की लागत आई थी. पर इस बारिश के कारण उनकी पूरी फसल बर्बाद हो गई, इससे उनकी पूरी पूंजी डूब गई. बारिश के तुरंत बाद उनके खीरे के खेत में भूरी और डावनी रोग का अटैक हुआ और पूरी की पूरी फसल बर्बाद हो गई.

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मवेशियों को खिलादी पूरी फसल

इसके कारण उन्होंने अपने खीरे को निकालकर मविशियों को खिला दिया. फसल की गुणवत्ता इतनी खराब थी कि मवेशियों ने भी उसे ठीक से नहीं खाया. इस नुकसान से पीड़ित किसानों ने प्रशासन से नुकसान का आकलन कर मुआवजा देने की मांग की है. 


 

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