सर्दी के इस मौसम में कोहरे की शुरुआत हो गई है. जिससे आम जनजीवन तो प्रभावित हो ही रहा है, लेकिन इस बदलते मौसम और घने कोहरे के कारण फसलें भी प्रभावित हो रही हैं. ऐसे में यह कोहरे भरा मौसम किसानों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. कोहरा लगातार बढ़ते ही पाला पड़ने लगता है. इससे फसलों में रोग उत्पन्न हो जाते हैं और फसलें नष्ट होने लगती हैं. जो किसान के लिए बड़ा नुकसान हो सकता है.
अपनी फसलों को बचाने के बारे में जानकारी देते हुए उपकृषि निदेशक, इटावा आर.एन सिंह ने बताया कि इटावा जिले में सबसे अधिक पैदावार 80 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि में गेहूं की फसल, 25 हजार हेक्टेयर में सरसों की फसल और 25 हजार और लगभग 10 हजार हेक्टेयर में आलू की फसल होती है.
यदि किसान इस मौसम में पहले से ही अपनी फसल की सुरक्षा का इंतजाम कर ले तो वह फसल को रोगमुक्त कर सकता है. उन्होंने बताया कि इस समय घने कोहरे के कारण झुलसा रोग के कारण आलू, मटर, गेहूं एवं सरसों की फसलें पाले से प्रभावित हो सकती हैं. इसके संकेत के तौर पर पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और पौधों में पानी सूखने लगता है. इससे फसल नष्ट हो जाती है और भारी नुकसान होता है. इसमें मुख्य रूप से कोहरे और पाले से बचने के लिए खेतों के आसपास पत्तियां जलाकर धुआं करने से कोहरे और पाले का प्रभाव कम हो जाएगा. इसके अलावा इस क्षेत्र में आलू में पिछेती झुलसा रोग भी देखा जाता है. इससे बचने के लिए आलू, गेहूं और मटर में हल्की सिंचाई भी कर सकते हैं.
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कोहरे में आलू की फसल में रोग आने से पहले ही 2.5 किलोग्राम मैंकोजिफ दवा को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर आलू की फसल पर छिड़काव करने से फसल रोग से बच जाती है. क्योंकि अगर बीमारी हो जाए तो दवा का कोई असर नहीं होता.
इसी प्रकार मटर की फसल में एक किलोग्राम कार्बोडाइजिंग दवा प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. लेकिन सरसों की फसल पर माहू किट का आक्रमण हो जाता है, जिससे सरसों की फसल में फलियां बनना बंद हो जाती हैं. ऐसे में माहू कीट से बचाव के लिए बाजार से नीम युक्त दवा खरीदकर प्रयोग करें ताकि सरसों की फसल को बचाया जा सके.
इस मौसम में फसलें बैक्टीरिया और वायरस से प्रभावित होती हैं. ऐसे में अगर पहले से ही ध्यान दिया जाए तो फसलों को बचाया जा सकता है. इस मौसम में कीटनाशकों का प्रयोग करना पड़ सकता है. जिससे किसान की मेहनत बच सके.
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