
महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले की लाल मिर्च देश-दुनिया में मशहूर है. एक तो इसका सुर्ख लाल रंग, दूसरा-खुशबूदार स्वाद बाकी सभी मिर्चियों से इसे अलग बनाता है. तभी इस मिर्च का डंका चारों ओर बज रहा है. इसी कैटेगरी में नांदेड़ के बरबडा गांव की देगलुरी मिर्ची आती है जिसकी मांग चारों ओर बढ़ रही है. इस गांव में एक हजार एकड़ क्षेत्रफल में लाल मिर्च उगाई जाती है. इसके बाद लाल मिर्च के बीजों से नई फसल भी उगाई जाती है. वर्तमान में इस मिर्च को राज्य के बाहर कीमत लगभग 25000 रुपये मिल रही है. उत्पादन के बाद प्रति एकड़ करीब दो लाख की आमदनी होती है. इस लाल मिर्च की फसल साल में तीन बार निकाली जाती है. इस तरह साल में छह लाख तक कमाई हो जाती है.
लाल मिर्च पाउडर आजकल हमारे आहार का अभिन्न अंग बन चुका है. यह मांसाहारी भोजन के लिए एक आवश्यक सामग्री है. यदि आप अधिक तीखापन चाहते हैं, तो नांदेड़ की मशहूर गावरान मिर्च को आजमा सकते हैं. आजकल नांदेड़ जिले में नायगांव तहसील का बरबडा गांव सुर्खियों में है. ये सुर्खियां यहां की तीखी देसी लाल मिर्च की वजह से हैं. इस गांव के किसान पिछले 50 वर्षों से अपने खेतों में खास किस्म की देसी मिर्च उगा रहे हैं.
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इस मिर्च को उगाकर यहां के किसान भारी मुनाफा कमाते आ रहे हैं. इस समय बरबडा गांव के किसान एक हजार एकड़ में देगलुरी किस्म की मिर्च की खेती कर रहे हैं. इससे अच्छी आमदनी होने की संभावना है. फिलहाल पुणे, मुंबई, गुजरात, राजस्थान के व्यापारी इस गांव में आकर मिर्च खरीदते और अपने यहां ले जाते हैं. चूंकि यह देगलुरी देसी मिर्च बहुत तीखी होती है, इसलिए व्यापारियों के बीच इसकी काफी मांग है.
बरबड़ा गांव के किसान इस फसल के बीज को पारंपरिक तरीके से तैयार करते हैं. इन बीजों से वे नई फसल उगाते हैं. वर्तमान में महाराष्ट्र से बाहर इस मिर्च की कीमत 25000 रुपये तक मांगी जा रही है. हालांकि स्थानीय किसानों को यह रेट नहीं मिलता. जो व्यापारी इस मिर्च को बाहर ले जाते हैं, उनकी अच्छी कमाई हो जाती है.
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महाराष्ट्र के बाहर इस मिर्च की भारी मांग है. नांदेड़ के धर्माबाद के व्यापारी इस मिर्च को खरीदकर राज्य के बाहर भेजते हैं. मिर्च उत्पादक महिला किसान अंजनबाई भुसलाड ने बताया कि इस लाल मिर्च के बीज हमारे गांव के हैं, इसलिए खाद, रोपण और खाद पर 50 हजार रुपये तक का खर्च आता है. लेकिन उत्पादन के बाद करीब दो लाख की आमदनी हो जाती है और लाल मिर्च की फसल साल में तीन बार निकाली जाती है. इस तरह एक एकड़ में साल में छह लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है.(रिपोर्ट/कुंवरचंद)
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