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महाराष्ट्र के क‍िसान का कमाल... खेत में ही व‍िकस‍ित कर दी अंगूर की नई क‍िस्म

महाराष्ट्र के क‍िसान का कमाल... खेत में ही व‍िकस‍ित कर दी अंगूर की नई क‍िस्म

Grapes Farming: महाराष्ट्र के सांगली ज‍िले के क‍िसान की मेहनत पर पौधा किस्म रजिस्ट्री ने मुहर लगाई है. अब क‍िसान के पास नवंबर 2022 से अगले 18 साल तक के ल‍िए इस किस्म का उत्पादन, बिक्री, मार्केट‍िंग, वितरण, निर्यात करने का अध‍िकार सुरक्षि‍त रहेगा. उसके बाद नौ-नौ साल पर र‍िनुवल होगा.

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क‍िसान जयकर माने द्वारा व‍िकस‍ित ब्लैक क्वीन बेरी वैराइटी. क‍िसान जयकर माने द्वारा व‍िकस‍ित ब्लैक क्वीन बेरी वैराइटी.

महाराष्ट्र न‍िवासी जपकर राजाराम माने ने कमाल कर द‍िया है. उन्होंने काले अंगूर की एक नई क‍िस्म व‍िकस‍ित की है, जो दूसरे अंगूरों से खास है. इसल‍िए केंद्र सरकार ने भी उनकी सफलता पर मुहर लगा दी है. इस क‍िस्म का नाम ब्लैक क्वीन बेरी (BLACK KWIN BERRY) है. जो मार्केट में म‍िलने वाले अंगूरों से लंबा, मोटा, मीठा और छ‍िलका पतला है. पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण यानी पौधा किस्म रजिस्ट्री ने 15 नवंबर 2022 से अगले 18 साल के ल‍िए माने को इस किस्म के उत्पादन, बिक्री, मार्केट‍िंग, वितरण, निर्यात करने और ऐसा करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति को अध‍िकृत‍ करने का अधिकार दे द‍िया है. उसके बाद नौ-नौ साल बाद नवीनीकरण करवाना होगा. लेक‍िन, सवाल यह है क‍ि आख‍िर एक क‍िसान ने नई वैराइटी कैसे व‍िकस‍ित की. 

सांगली ज‍िले के पलूस तालुका के रहने वाले क‍िसान जयकर माने कई साल से मूंगफली, गन्ना और गेहूं की खेती करते थे. बाद में इन्होंने अंगूर की खेती शुरू कर दी. 'क‍िसान तक' से बातचीत में उन्होंने बताया क‍ि बाजार और खासतौर पर एक्सपोर्ट में लंबे, मोटे और मीठे अंगूर की मांग ज्यादा थी. इसल‍िए नास‍िक के काफी क‍िसान पौधों पर टॉन‍िक का स्प्रे कर ऐसा कर लेते थे, लेक‍िन ऐसा करने से उनका असली स्वाद खत्म हो जाता था. स्वाद खत्म होने की वजह से दाम उतना नहीं म‍िलता था. अगर सांगली ज‍िले के अंगूर को 50 रुपये क‍िलो दाम म‍िलता था. तब टॉन‍िक के जर‍िए बड़ा क‍िए गए नास‍िक के अंगूरों को स‍िर्फ 20 रुपये क‍िलो का भाव म‍िलता था.   

कैसे शुरू हुआ नई क‍िस्म का सफर  

माने बताते हैं क‍ि ऐसे में मैंने सोचा क‍ि अगर क‍िसान ऐसे ही करते रहे तो अंगूर की खेती पर संकट आ जाएगा. फ‍िर करीब दस साल पहले अंगूर अनुसंधान केंद्र के वैज्ञान‍िकों से उन्होंने बातचीत शुरू की. वहां प्लांट ब्रिड‍िंग करने वाले वैज्ञान‍िकों से समझा क‍ि आख‍िर वो नई वैराइटी कैसे तैयार करते हैं. फ‍िर कुछ कोश‍िश तो 2014 में कुछ सफलता म‍िली, लेक‍िन नई वैराइटी अच्छे स्वाद के साथ व‍िकस‍ित करने में सफलता 2018 में हाथ लगी. फ‍िर अंगूर अनुसंधान केंद्र के वैज्ञान‍िकों से स्वाद की जांच करवाई. प्लांट ब्रीड‍िंग की वैज्ञान‍िक डॉ. रोशनी समर्थ की भी उन्हें मदद म‍िली. वैज्ञान‍िकों ने 'ओके' बोला तो द‍िल्ली के पौधा किस्म रजिस्ट्री में अप्लाई क‍िया.  

ह‍िंदी से पीजी हैं माने     

खास बात यह है क‍ि क‍िसान जयकर ने ह‍िंदी में पीजी तक की पढ़ाई की है. उनका बॉटनी से कोई लेना-देना नहीं है, लेक‍िन उनके इस म‍िशन में उनकी बेटी प्राजक्ता माने ने मदद की. वो ऑर्गेन‍िक केम‍िस्ट्री में एमएससी की पढ़ाई कर रही हैं. 'क‍िसान तक' से बातचीत में प्राजक्ता ने बताया क‍ि उनके प‍िता को खेती करने का काफी शौक है. वो हमेशा खेती में कुछ नया करने की कोश‍िश करते रहते हैं, ज‍िसकी बदौलत आज अंगूर की नई वैराइटी सामने आई है. प्राजक्ता ने बताया क‍ि अंगूर के कम से कम 4000 प्लांट पर एक्सपेरीमेंट क‍िया गया. इस सफलता में 12 साल का वक्त लगा, लेक‍िन आज मेरे प‍िता को काफी सुकून है क‍ि वो क‍िसानों के ल‍िए कुछ अच्छा कर पाए. 

क‍िसान जयकर माने, उनकी पत्नी, प्लांट ब्रीड‍िंग की वैज्ञान‍िक डॉ. रोशन समर्थन और प्राजक्ता माने (Photo-Kisan tak).
क‍िसान जयकर माने, उनकी पत्नी, प्लांट ब्रीड‍िंग की वैज्ञान‍िक डॉ. रोशनी समर्थ और प्राजक्ता माने (Photo-Kisan tak).

कमाई नहीं, भलाई का काम करेंगे 

माने के अनुसार इस अंगूर कि गुणवत्ता अच्छी होने कारण बाजार में भाव अच्छा मिल रहा है. माने ने बताया क‍ि इस अंगूर की क‍िस्म को वो क‍िसानों तक फैलाएंगे. यह क‍िस्म उन्होंने अपनी कमाई के ल‍िए नहीं बल्क‍ि क‍िसानों की भलाई के ल‍िए व‍िकस‍ित की है. दावा है क‍ि इस क‍िस्म का अंगूर जल्दी खराब नहीं होगा. नई क‍िस्म का अंगूर उन्होंने अपने तीन एकड़ के बागे में लगाया है. उन्होंने इस नई किस्म का नाम अपने कुल और ग्राम देवता के नाम पर रखा. ज‍िसका अंग्रेजी नाम ब्लैक क्वीन बेरी रखा गया है. 

क‍ितना है दाम          

नई क‍िस्म में रोगों का खतरा भी कम है. सामान्य अंगूर के मुकाबले इसकी ग्रोथ जल्दी होती है और गुणवत्ता भी अच्छी होने के कारण इससे अच्छा दाम मिल रहा है.माने बताते हैं कि 1 एकड़ में 12 टन उत्पादन मिला है. जिसका शुरुआती बाजार भाव 60 से 70 रुपये प्रति किलो म‍िला थी. यह अंगूर दुबई और मेक्सिको एक्सपोर्ट हो रहा है, जिसका 95 रुपये प्रति किलो का र‍िकॉर्ड भाव मिल रहा है.