करेला कड़वा होता है. लेकिन इस कड़वे करेले से होने वाली आमदनी किसान की जिंदगी में मिठास भर सकती है. ऐसा ही कुछ हुआ है महाराष्ट्र के नांदेड में. यहां के एक किसान की कमाई करेले से इतनी हो रही है कि वे करेले का कड़वापन भूल गए हैं. नांदेड़ के खैरगांव के किसान ज्ञानेश्वर जाधव ने केवल तीन गुंटे यानी आधा एकड़ में करेले की खेती की है. जाधव ने छह महीने पहले अपने खेत में करेले की फसल लगाई थी. आज जब करेले की उपज निकलने लगी है, तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं. जाधव को इतनी अच्छी कमाई हो रही है जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा नहीं था.
अब कोई दिन ऐसा नहीं जब किसान ज्ञानेश्वर जाधव खेत से बड़ी मात्रा में उपज निकालते हैं और बाजार में बेचकर अच्छा मुनाफा कमाते हैं. जाधव ने शुक्रवार को कहा, खेत से एक क्विंटल करेला तोड़ा गया जिसे बाजार में बेचकर 5000 रुपये का मुनाफा हुआ. पहले दिन खेत से एक क्विंटल उपज निकली जबकि दूसरे दिन तीन क्विंटल और तीसरे दिन पांच क्विंटल करेला तोड़ा गया. इस कड़वे करेले का सीजन साल में चार महीने का ही होता है. लेकिन इसी चार महीनों में किसान को बंपर कमाई मिल जाती है. ज्ञानेश्वर जाधव हफ्ते में तीन बार करेला तोड़ते हैं और बाजार में बेचते हैं.
करेले की खेती के बारे में किसान ज्ञानेश्वर जाधव 'आजतक' से कहते हैं कि उन्होंने अपने आधा एकड़ खेत में एक्सपोर्ट क्वालिटी का करेला लगाया है. फसल लगाने के 60 दिनों बाद ही उपज मिलने लगी और अब अच्छा मुनाफा हो रहा है. जाधव कहते हैं कि हर किसान का सपना अपने खेत में कुछ नया करने का होता है. इसीलिए उन्होंने आधुनिक खेती करने के बारे में सोचा. जाधव कहते हैं कि अभी हफ्ते में चार-पांच क्विंटल तक उपज मिल रही है. मगर आगे चलकर उपज 10 क्विंटल तक जा सकती है.
ये भी पढ़ें: PMFBY: अब नहीं चलेगी फसल बीमा कंपनियों की मनमानी, राष्ट्रीय स्तर पर बनेगी एक हेल्पलाइन
किसान ज्ञानेश्वर जाधव कहते हैं, करेले की फसल चार महीने की होती है जिसमें एक लाख रुपये तक का खर्च आता है. अभी तक उन्होंने करेले की खेती पर 50-60 हजार रुपये तक खर्च कर दिया है. मुनाफा के बारे में जाधव कहते हैं कि चार महीने की खेती में उन्हें आराम से चार से पांच लाख रुपये का फायदा हो जाएगा. किसानों को एक सलाह में वे कहते हैं कि खेती सही ढंग से करनी होगी, तभी किसान की कमाई बढ़ सकेगी.
खेती करने के तरीके के बारे में जाधव कहते हैं, तीन बाई पांच फुट की दूरी पर मेढ़ बनाई जाती है जिसमें मल्चिंग लगाने के बाद पौधे लगाए जाते हैं. पौधों को ऊपर चढ़ाने के लिए बांस की बल्लियां लगाई जाती हैं ताकि अधिक से अधिक बढ़वार मिले. बांस पर करेले की बेलें चढ़ने से करेले के फल का साइज बड़ा होता है जिसका दाम अच्छा मिलता है.
जाधव के मुताबिक, बाजार में उन्हें प्रति किलो 40 रुपये थोक भाव मिलता है. जब मांग बढ़ती है और कम किसान करेले की खेती करते हैं तो बाजार में थोक भाव 60 रुपये तक चला जाता है. जाधव ने अच्छी उपज लेने के लिए मंडप (पॉली हाउस) में करेले की खेती की है जिससे फूलों पर हवा का असर कम होता है. फूल टूट कर नहीं गिरते और फल बड़े लगते हैं. जाधव ने जिस खेत में करेले की फसल लगाई है उसकी देखभाल वे एकदम सही ढंग से करते हैं. पौधों की बेलों को स्वस्थ रखने के लिए उसे तार से बांध दिया है ताकि हवा चलने से पौधे जमीन पर न गिरें और उससे कोई क्षति या नुकसान न हो.
बहुत बार ऐसा भी होता है कि जाधव के खेत में व्यापारी पहुंचते हैं और वहीं से सब्जी लेकर बाजार चले जाते हैं. जाधव को गाड़ी भाड़ा खर्च कर बाजार में उपज ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती. इससे उनका खर्च बचता है. अगर बाजार लेकर जाना भी पड़े तो करेले का साइज और रंग इतना आकर्षक होता है, कि हाथों हाथ उपज बिक जाती है.
ये भी पढ़ें: Tornado Video: पंजाब में चक्रवाती तूफान की तबाही, फसलों को भारी नुकसान तो कई घरों की उड़ीं छतें
जाधव कहते हैं कि अर्धपुर तहसील इसापुर बांध के आसपास होने से अधिकांश किसानों का रुझान बड़ी फसलों की तरफ होता है. लेकिन किसान ज्ञानेश्वर जाधव का झुकाव पिछले कई साल से सब्जी की खेती की तरफ रहा है. इस साल उन्होंने कड़वा करेला, गोभी, मिर्च, बैंगन आदि की खेती की है. वे खुद भी बाजार जाकर सब्जियां बेचते हैं. 'आजतक' से बात करते हुए ज्ञानेश्वर जाधव ने कहा है कि उन्हें ज्यादा पैसे इसलिए मिलते हैं क्योंकि वे बाजार में खुद भी सब्जियां बेचते हैं.
कड़वा करेला फायदेमंद होता है और बहुत से लोग इसे सब्जी के रूप में उपयोग करते हैं. इसके रस को औषधि के रूप में भी लेते हैं. इसके औषधीय गुणों के कारण बहुत से लोग इसका सेवन करते हैं. इस वजह से खैरगांव के ज्ञानेश्वर जाधव हमेशा कड़वा करेले की खेती करते हैं जिससे उन्हें ज्यादा मुनाफा मिलता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today