मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में बेमौसम बारिश ने एक बार फिर किसानों की कमर तोड़ दी है. यहां सैकड़ों एकड़ में लगी प्याज की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है. रायसेन जिला मुख्यालय के करीब 15 गांवों के किसानों की लगभग 3000 एकड़ में लगी प्याज की फसल बारिश की भेंट चढ़ गई है. किसान अब सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि ऐसी बारिश उन्होंने कभी नहीं देखी, वह भी इस मौसम में. किसानों का कहना है कि बारिश से प्याज की फसल का बढ़वार रुक जाएगा और उपज नींबू के आकार का रह जाएगी. इससे पूरे उत्पादन पर गहरा असर देखा जाएगा.
बेमौसम बारिश ने जहां पूरे मध्य प्रदेश में हाल बेहाल कर दिया है, तो वहीं रायसेन के 15 गांवों के किसानों की लगभग 3000 हजार एकड़ में लगी प्याज की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है. पूरे मध्य प्रदेश में रायसेन के ग्राम परसौरा, बन्नी मानपुर, चांदपुर, पैनगंबा, मऊ जागीर, सहित कई गांव के किसानों की प्याज की फसल ही जीवन यापन का साधन है. लेकिन इस पूरे साधन पर मौसम की तगड़ी मार देखी जा रही है.
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किसान फसल की बर्बादी को प्रकृति की मार बता रहे हैं. किसानों का कहना है कि बीते 30 से 35 वर्षों में गर्मी के मौसम में कभी ऐसी बारिश नहीं देखी गई. इस बारिश ने किसानों की प्याज की फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. अब किसान सरकार से मुआवजे की उम्मीद लगाए बैठे हैं. किसानों का कहना है कि बेमौसम बारिश ने पूरी प्याज की फसल को ही खराब कर दिया है. किसानों को अपने बच्चों को पालना और घर चलाना अब मुश्किल नजर आ रहा है. प्याज की कमाई से किसानों का सालभर का खर्च चलता है, बच्चों की पढ़ाई से लेकर शादी-ब्याह की तैयारी इसी खर्च से होती है. लेकिन किसान अब घोर मायूसी में पड़ गए हैं.
यहां के किसान कर्ज लेकर प्याज की खेती करते हैं. लेकिन इस बार लागत भी नही निकलने वाली क्योंकि पूरी फसल ही चौपट हो गई है. किसानों का कहना है कि आगे क्या होगा, कुछ समझ भी नहीं आ रहा है. इस बारे में रायसेन कलेक्टर अरविंद कुमार दुबे का कहना है कि शासन के नियमानुसार प्राकृतिक आपदा में किसानों की जो भी फसल खराब होती है, उसका सर्वे कराकर भुगतान किया जाता है. बहुत जल्द किसानों की प्याज की फसल का भी सर्वे कराएंगे और भुगतान की कार्यवाही करेंगे.
किसान राम नारायण विश्वकर्मा कहते हैं कि पिछले 20-25 साल से वे प्याज की खेती कर रहे हैं, लेकिन ऐसी बारिश नहीं देखी. इस बार तो प्याज की लागत भी नहीं निकल पाएगी. बारिश के बाद खेतों में ही प्याज सड़ने लगा है. एक और किसान प्रेम सिंह राजपूत कहते हैं कि इस बार बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है जबकि उनके माथे पर बैंकों के कर्ज का बोझ यूं ही बना हुआ है. इसलिए, सरकार से आग्रह है कि फसल नुकसान का सर्वे कराकर किसानों को उचित मुआवजा दिलाया जाए.
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एक और किसान कैलाश गौर कहते हैं कि जिस गर्मी में प्याज की फसल को बढ़ना चाहिए, उस मौसम में बारिश ने सबकुछ बर्बाद कर दिया. बारिश के पानी से पूरी फसल सड़ गई है. प्जाय का आकार बेर बराबर गुठली रह गई है. गौर कहते हैं कि रायसेन में सबसे अधिक प्याज की खेती है लेकिन बारिश से लाखों क्विंटल फसल बर्बाद हो गई है. यहां लगभग 90 परसेंट फसल बर्बाद हो गई है. अब शासन से उम्मीद है कि प्याज किसानों को राहत दी जाएगी.
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