झारखंड में रबी सीजन में प्रमुख तौर पर सब्जियों और गेंहू की खेती की जाती है. इसकी खेती पूरी तरह से सिंचाई पर आधारित होती है. हालांकि इस बार कृषि विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि झारखंड में गेहूं की उपज में कमी आ सकती है. इसके पीछे का कारण यह बताया जा रहा है कि पूरे ठंड के मौसम मे झारखंड में एक भी दिन बारिश नहीं हुई. झारखंड में अक्टूबर महीने के बाद से ही बारिश बंद हो गई थी, अभी फरवरी का महीना चल रहा है पर इन चार महीनों में एक बार भी बारिश नहीं हुई.
मौसम विज्ञान विभाग रांची के मुताबिक एक जनवरी से लेकर 10 फरवरी तक पूरे झारखंड में कही भी बारिश नहीं हुई. जबकि आईएमडी के पहले के आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि के दौरान राज्य में 12 मिमी की बारिश होती रही है. बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के एग्रोमेट्रोल़ॉजी विभाग के चैयरमैन रमेश कुमार ने कहा की लंबे अंतरात तक बारिश नहीं होने के कारण जमीन में नमी की कमी हो गई है. इसका असर उन पौधों पर पड़ रहा है जो तैयार होने वाले हैं.
हालांकि गेहूं के उत्पादन में कमी आने की चिंता को लेकर रमेश कुमार अधिक चिंतित नहीं दिखे, क्योंकि झारखंड में वहीं किसान गेहूं की खेती करते हैं जिनके पास सिंचाई की सुविधा उलपब्घ रहती है. वहीं इस साल मॉनसून देरी से गया है, इसके कारण उन इलाकों में तालाब और डोभा में पानी हैं, जहां पर बारिश हुई थी. इसका इस्तेमाल किसान सिंचाई के लिए कर रहे हैं. आईएमडी रांची के आंकड़ों के मुताबिक ठंड के मौसम में जो बारिश होती है वो राज्य की वार्षिक औसत में पांच फीसदी का योगदान देती है. जबकि बारिश के मौसम में 84 फीसदी बारिश झारखंड में हो जाती है.
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रमेश कुमार ने कहा कि इस सर्दियों में बारिश नहीं होने के कारण ददलहन, मटर और चना की फसल अच्छी हुई है. पर बारिश की कमी के कारण गेहूं कि बुवाई में कमी आई है इसके कारण इस बार इसका रकबा घटा है और उत्पादन में भी कमी आएगी. गौरतलब है कि गेंहू की पैदावार में कमी आने की आंशका राज्य के किसानों परेशान करने वाली हो सकती है, क्योंकि बारिश की कमी के कारण किसान पहले से ही धान उत्पादन में कमी का सामना कर रहे हैं. राज्य के 24 में से 22 जिलों के 226 प्रखंड गंभीर सूखे का संकट झेल रहे हैं. इसके कारण इन प्रखंडों में धान की खेती प्रभावित हुई थी. अब गेंहू की खेती भी प्रभावित हो रही है.
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