हर्षिता प्रियदर्शनी मोहंती, ओडिशा की सीड गर्ल, जमा किए हैं 150 से अधिक दुर्लभ किस्म के बीज

हर्षिता प्रियदर्शनी मोहंती, ओडिशा की सीड गर्ल, जमा किए हैं 150 से अधिक दुर्लभ किस्म के बीज

हर्षिता की मेहनत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि  आज उसके खाद्यान्न बीज बैंक में धान की 150 से अधिक दुर्लभ किस्मों के बीजों को संग्रहित किया है इसके साथ ही  53 किस्मों की फिंगर बाजरा और सात किस्मों के मोती बाजरा के बीज संरक्षित किए हैं.

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हर्षिता प्रियदर्शनी मोहंती, ओडिशा की सीड गर्ल, जमा किए हैं 150 से अधिक दुर्लभ किस्म के बीजओडिशा की सीड गर्ल हर्षिता मोहंती फाइल फोटो

देशी बीजों को संरक्षित करने के लिए राज्य और केंद्र के साथ-साथ विभिन्न संस्थाएं और लोग कार्य कर रहे हैं. ओडिशा की रहने वाली हर्षिता मोहंती भी धान और बाजर की दुर्लभ किस्मों के संरक्षण करने में जुटी हुई है. कोरापुट के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाली हर्षिता धान और बाजरा की दुर्लभ किस्मों को खोजने के लिए अक्सर स्थानीय हाट बाजार और पुराने किसानों के पास जाती है. ताकि वो पुराने किस्म के बीजों को हासिल कर सकें. इस तरह से बीजों को जमा करते हुए छात्रा हर्षिता ने अपने ही घर में खाद्यान्न का बीज बैंक स्थापित किया है.  

हर्षिता की मेहनत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि  आज उसके खाद्यान्न बीज बैंक में धान की 150 से अधिक दुर्लभ किस्मों के बीजों को संग्रहित किया है इसके साथ ही  53 किस्मों की फिंगर बाजरा और सात किस्मों के मोती बाजरा के बीज संरक्षित किए हैं. हर्षिता बताती है कि उसे दुर्लभ किस्म के बीजों को संरक्षित करने की प्रेरणा कमला पुजारी से मिली. गौरतलब है कि कमला पुजारी की पहचान जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए होती है, उन्होंने 100 से अधिक देशी किस्मों की बीजों को संरक्षित करने का कार्य किया है. 

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हर्षिता के पास हैं 150 से अधिक बीज का कलेक्शन

आज हर्षिता के पास एक बेहतरीन बीज बैंक है जिसमें 150 से अधिक किस्म के बीज है. पर इसकी शुरूआत हर्षिता ने तीन साल पहले की थी. तीन साल पहले शुरू किए गए बीज यात्रा में उन्होंने कोरापुट जिले के जेपोर, बोइपरिगुडा, कुंद्रा और बोर्रिगुम्मा ब्लॉकों के विभिन्न हाटों और किसानों से सभी धान और बाजरा के बीज एकत्र किए. आज भी हर्षिता बीजो को संग्रहित करने के लिए यही कार्य करती है. बीजों को संग्रहित करने के बाद उसने अपने घर पर एक खाद्यान्न और बीज बैंक की स्थापना की. इस बीज बैंक में वो बीज और खाद्यान्न को कांच के बोतल में सुरक्षित रुप से संग्रहित करती है. 

इस तरह सुर्खियों में आयी हर्षिता

हर्षिता के बीज संग्रिहत करने की खबर जब सुर्खियों में आय़ी तब सरकारी अधिकारी भी उनके घर आने लगे. इस तरह से हर्षिता को  किसानों के अधिकारी पर वैश्विक संगोष्ठी में भाग लेने का अवसर मिला. इस संगोष्ठी का अविष्कार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया था. यह नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में दुनिया भर के 125 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस मंच पर हर्षिता ने अपने सीड बैंक के बारे में बताया और जैविक खेती के बताया साथ ही इस संगोष्ठी में अपने संग्रह को भी प्रस्तुत किया.

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किसानों की मदद करने के लिए बनाया है साइंस बैंक 

इतना ही नहीं हर्षिता प्रियदर्शनी ने एक साइंस क्लब भी बनाया है. उनके इस क्लब में उनके दोस्त और कई स्थानीय किसान शामिल हैं. अपने साइंस क्लब के माध्यम से हर्षिता खेती के लिए दुर्लभ किस्मके देशी खाद्यान्नों के बीज मुफ्त में उपलब्ध कराती है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक भविष्य में कृषि वैज्ञानिक बनने की इच्छा रखने वाली हर्षिता ने बताया की कमला पुजारी के अभियान के बारे में उन्होंने पढ़ा था. इसके बाद वो भी इस तरह के कार्य करने के लिए प्रेरित हुई. उन्होंने कहा कि अगर कोई कोरापुट के प्राकृतिक खजाने की बात करता है तो वो सिर्फ प्राकृतिक सुदंरता नहीं बल्कि इसकी धान और बाजरा की भी संपत्ति होगी. हर्षिता अपने संग्रह के माध्यम से किसानों को भविष्य में दुर्लभ किस्म के धान और बाजरे को उगाने में मदद करना चाहती है. 

हर्षिता के संरक्षित किए गए बीज

हर्षिता के सीड बैंक में कालाजीरा, चटिया नाकी, उमुरिया चूड़ी, असन चूड़ी, नदिया भोग, तुलसी भोग, कलाबती, राधा बल्लव, बादशाह, पठान गोदा, दुबराज, बर्मा चावल, गोलकी मोची, लाडनी, दुबराज, कटारा, माछा धान के बीज के अलावा कांता, हती दांता, सिकलाला कोली, महुला कुंची जैसे अन्य दुर्लभ बीज हैं. 
 

 

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