देश के किसान अगर कृषि उत्पाद के साथ-साथ उसके प्रसंस्करण पर ध्यान दें और उन्हें इसकी जानकारी हो तो उनकी कमाई दोगुना नहीं बल्कि कई गुना बढ़ सकती है. महाराष्ट्र के एक किसान राजकुमार आतकरे ने इसे साबित कर दिया है. उन्होंने अपने उत्पाद को ना सिर्फ प्रसंस्कृत किया बल्कि उत्पाद तैयार करके एक ब्रांड का नाम दिया जो आज एक सफल ब्रांड हैं. अपने उत्पाद की ब्रांडिंग करने के लिए उन्हों खुद की एक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी भी तैयार की है. राजकुमार की सफलता के इस सफर में उनकी पत्नी रानी आतकरे ने पूरा साथ दिया और उनका ब्रांड राजारानी लोगों की जुबान पर है.
राजकुमार आतकरे सीताफल की खेती करते हैं. उपज अच्छी होती है पर कई बार बाजार में अच्छी कीमत नहीं मिलती है. उन्होंने यह भी देखा की कई किसानों को अच्छी कीमत नहीं मिलती है इसके कारण वो कर्ज में डूब जाते हैं, पर राजकुमार ने इस सबसे बचने के लिए सीताफल का का बनाने की फैक्ट्री की शुरुआत की. उन्होंने 35 हजार रुपये डीप फ्रीजर से फैक्ट्री की शुरुआत की थी पर आज उनके बिजनेस का टर्नओवर करोड़ो में है. राजकुमार आतकरे डाक विभाग में नौकरी करने वाले राजकुमार आतकरे मोहोल तालुका के देगांव में 10 एकड़ में खेती करते हुए अलग-अलग प्रयोग कर रहे हैं.
राजकुमार आतकरे के खेत में सीताफल, आम, अमरूद, चीकू और नारियल जैसे कई पेड़ हैं. पानी की कमी होने के कारण उन्होंने दो एकड़ में सीताफल की खेती की है. सीताफल को शरीफा के नाम से भी जाता है. इस की खेती के लिए कम पानी की जरूरत होती है. तीन साल में पेड़ तैयार हो जातै है और फल लगते हैं तब तक ही पानी की आवश्यकता होती है. इसके बाद इस पेड़ को जीवित रहने के लिए बेहद कम पानी की जरूरत होती है. इसलिए राजकुमार अतकरे ने सीताफल की खेती करने का निर्णय लिया.
राजकुमार ने 10X15 फीट की दूरी पर सीताफल के पौधे लगाए हैं. ताकि कम मैनपावर में ट्रैक्टर के सहयोग से काम किया जा सके. पानी की कमी के कारण उन्होंने ड्रीप इरिगेशन इंस्टॉल कराया है. इतना ही नहीं पानी का स्ट़ॉक रखने के लिए उन्होने अपने खेत एक बड़ा तालाब भी बनाया है. जिसका आकार 200 फीट X 200 फीट X 39 फीट है. जिसमे लगभग एक करोड़ लीटर पानी जमा हो सकती है. इसी पानी का इस्तेमाल वे आपने खेतों की सिंचाई के लिये करते है. राजकुमार सीताफल की खेती में रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करते हैं इशके कारण उनके फलों में मिठास अच्छी होती है. सोलापूर जिले का वातावरण भी सीताफल के खेती के लिये अनुकूल है जिससे यहां के सीताफल का स्वाद और बेहतर हो जाता है.
राजकुमार आतकरे खेती बागवानी में अच्छी उपज हासिल कर रहे थे, पर जैसे ही उपज को लेकर बाजार में जाते, बाजार में उसकी कीमतें गिर जाती. पहली बार जब वो अपने सीताफल लेकर बाजार गए थे तो उन्हें 150 रुपये प्रति किलो की दर से दाम मिला था. पर जब दूसरी बार जब वो अपने उत्पाद लेकर बाजार गए तो उन्हें 30 रुपये प्रति किलो की दर से दाम मिला. पर इतने कम रेट पर उन्होंने अपने उत्पाद को नहीं बेचा औऱ उसे वो अपने घर ले आएं और उसे प्रसंस्कृत करने का फैसला किया.
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इसके बाद वे मोहोल कृषि विज्ञान केंद्र गये और स्थानीय वैज्ञानिक दिनेश क्षीरसागर से चर्चा के बाद सीताफल का पल्प बनाने का निर्णय लिया गया. उन्होंने मशीन खरीदी और पल्प बनाना शुरु किया. इस पल्प को बाजार में 300 रुपये प्रति किलो का दाम मिला. इस तरह से उन्हें 10 गुना अधिक दाम मिला इससे उनकी उम्मीदें बढ़ गई. तब उन्होंने इसी क्षेत्र में आगे बढ़ने का फैसला किया. पर खेतों में काम करने में दिक्कतें आ रही थीं. 24 घंटे पानी, बिजली नही मिल रही थी. इसलिये उन्होंने चिंचोलो MIDC में एक जगह ली और उस जगह पर एक खाद्य प्रसंस्करण यूनिट की शुरुरुआत की. उन्होंने पल्प निकालने के लिए एक मशीन खरीदी और काम और भी आसान हो गया. इसके बाद आतकरे ने सोचा की सिर्फ पल्प ही क्यों इससे और क्या बनाया जा सकता है.
इसके बाद उन्होंने सीताफल रबड़ी बनाना शुरू कर दिया. खुद का ओरिजिनल प्रोडक्ट होने के कारण उन्हें कीमत अच्छी मिली और उनकी रबड़ी मशहूर हो गई. इसके बाद उन्होंने सीताफल बासुंदी, सीताफल आइसक्रीम, कुल्फी आदि जैसे कई उत्पाद शुरू किए जिनमें वे किसी भी रंग या रसायन का उपयोग नहीं करते. अपने उत्पाद की मांग को देखते हुए उन्होंने बाजार में राजरानी ब्रांड के आउटलेट शुरू किया. अब उनके पास सोलापुर औऱ पुणे में आउटलेट हैं और उन्हें अच्छा ग्राहको का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. इस काम में राजकुमार को अपने बेटे का पूरा सहयोग मिल रहा है. राजकुमार का सपना है कि अब किसान का प्रोडक्ट सीधे खेत से उपभोक्ता के पास पहुंचे.
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सीताफल को शरीर में मौजूद पाचन तंत्र को मजबूत करने और हृदय को मजबूती प्रदान करता है साथ ही यह एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है. सीताफल एनीमिया को दूर करता है. इसके अलावा ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने, त्वचा को स्वस्थ रखने, बालों को पोषण प्रदान करने और शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए भी सीताफल का सेवन किया जा सकता है.
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