देश के हल्दी किसानों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना की धरती से सौगात देते राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन का एलान का एलान किया. देश के किसानों के लिए यह एक राहत भरी और खुश करने वाली खबर थी पर उस किसान के लिए यह सबसे बड़ी खुशखबरी थी. संकल्प को पूरा करने वाली जीत की खुशी थी. जी हा मनोहर शंकर रेड्डी के लिए यह किसी भी खुशखबरी से बड़ी खबर थी, क्योंकि उसके लिए इन्होंने संकल्प लिया था और 11 साल तक कठोर इंतजार भी किया था. पर अफसोस इस बाता का है कि आज शंकर रेड्डी के पास कोई जमीन नहीं बची है.
जब तेलंगाना के महबूबनगर में एक सार्वजनिक सभा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने हल्दी बोर्ड के गठन का एलान किया तब उन्होंने अपना एक वादा पूरा किया जो बीजेपी ने चार साल पहले किया था. पर इस वादे के पूरे होने से पहले की मनोहर शंकर रेड्डी ने 11 साल पहले यह संकल्प लिया था की जब तक हल्दी किसान बोर्ड का गठन नहीं होगा तब तक वो अपने पैरों में चप्पल नहीं पहनेंगे और नंगे पैर चलेंगे. मनोहर शंकर के लिए हल्दी बोर्ड का गठन कराना किसी मिशन से कम नहीं था.
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निज़ामाबाद जिले के मोरथाड मंडल के पालेम गांव में रहने मनोहर शंकर हल्दी किसानों के लाभ के लिए हल्दी बोर्ड गठन कराना चाहते थे. वो खुद भी हल्दी की खेती करते थे. उन्होंने 4 नवंबर 2011 को यह संकल्प लिया था कि जब तक हल्दी बोर्ड का गठन नहीं होगा तब तक वो जूते चप्पल नहीं पहनेंगे. इतना ही नहीं बोर्ड बनने की मनोकामना लेकर आदिलाबाद जिले के इचोदा से तिरुपति में भगवान वेंकटेश्वर के चरणों तक 63 दिन की पदयात्रा भी की थी. द हिंदू के मुताबिक मनोहर शंकर रेड्डी ने जैसे ही टीवी में हल्दी बोर्डके गठन की घोषणा सुनी उन्होंने कहा कि यह सब भगवान की कृपा है.
उन्होंने कहा कि वो 12 साल से बिना चप्पल-जूतों के चल रहे हैं. उन्हें यह उम्मीद थी कि कभी-कभी हल्दी किसानों की मदद के लिए कोई आएगा जो उनके हित की बात करेगा. आज उनका संकल्प पूरा हो गया. पर दुर्भाग्य की बात यह है कि आज शंकर रेड्डी के पास खेती के लिए जमीन नहीं है. एक बिजनेस में हुए नुकसान की भारपाई करने लिए उन्होंने अपनी सारी जमीन बेच दी. हालांकि हल्दी बोर्ड के गठन तक चप्पल नहीं पहनने के संकल्प के इस अनूठे विरोध का आइडिया उनके मनमें 2006 में आय़ा जब उन्होंने आर्मूर में भाजपा नेता मुरलीधर राव द्वारा बुलाई गई किसानों की एक बैठक में भाग लिया. उस बैठक में उन्हें एहसास पता चला कि वो किस प्रकार कर्ज में डूब रहे हैं. क्योंकि हल्दी की खेती में प्रति एकड़ 46,500 रुपये खर्च होते थे. लेकिन रिटर्न केवल 25,000 रुपये का था. बैठक में बीजेपी नेता मुरलीधर राव ने किसानों को सलाह दी कि अच्छी कीमत और बोर्ड बनाने के लिए किसानों को आंदोलन करना पड़ेगा.
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इसके बाद मनोहर शंकर रेड्डी 11 सप्ताह की दीक्षा यात्रा पर निकलें. अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने आर्मूर और बालकोंडा निर्वाचन क्षेत्रों में पदयात्रा की. इस तरह उन्हें 'पसुपु मनोहर रेड्डी' का उपनाम मिला. शंकर बताते हैं कि इस दौरान उनकी हालत को देखते हुए ग्रामीणों और शुभचिंतकों मे शंकर रेडडी को प्रतिज्ञा तोड़ने औक चप्पल पहलले की सलाह दी. हालांकि उन्हें भगवान पर पूरा विश्वास था. उसके बाद उनकी उम्मीद तब जगी जब जब निज़ामाबाद के सांसद अरविंद धर्मपुरी ने अपने चुनाव अभियान के दौरान बोर्ड दिलाने का वादा किया. बोर्ड की घोषण होने के बाद किसानों ने शंकर रेडडी को एक नई चप्पल का तोहफा दिया है.
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