ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के किसानों के चेहरे अब खिले हुए हैं. किसान जोर शोर से कृषि कार्यों में जुटे हुए हैं. शुरुआत मे दिनों में आई बारिश की कमी के बाद अब फिर से एक बार बारिश में तेजी आने के बाद जिले में अब धान की रोपाई में तेजी आई है. यहां पर जून और जुलाई के शुरुआती चरणों में बारिश की कमी के कारण किसान काफी परेशान थे. कृषि कार्य बाधित हुआ था. पर इसके बाद राज्य में मॉनसून सक्रिय हुआ और अच्छी बारिश हुई इससे पानी की कमी पूरी हुई है और कृषि गतिविधियां बढ़ी हैं. जिले में फिलहाल इतनी बारिश हुई है कि अभी 15 दिनों तक बारिश नहीं होने की स्थिति में भी फसलों को नुकसान नहीं होगा.
स्थानीय मीडिया की खबरों के अनुसार दो अगस्त तक तक सुंदरगढ़ जिले में धान की रोपाई के लिए निर्धारित लक्ष्य 2.21 लाख हेक्टेयर का लगभग आधा 1.02 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हो चुकी है. इसमें 22,000 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में सीधी बुवाई विधि से धान की रोपाई की गई है. जबकि बाकी भूमि पर रोपाई विधि से धान की खेती की गई है. जिले में फिलहाल जिस तरह से कृषि कार्य हो रहा है उससे यह उम्मीद की जी रही है कि अगले 15 दिनों के अंदर 92,000 हेक्टेयर में धान की रोपाई का कार्य पूरा हो जाएगा.
सुंदरगढ़ जिले के मुख्य जिला कृषि पदाधिकारी जेबी महापात्र ने बताया कि चालू खरीफ सीजन के दौरान धान की खेती में जरूर देरी हुई थी पर अब अच्छी बारिश होने के कारण इसमें तेजी आ गई है औऱ जो कृषि योग्य भूमि अभी भी खाली हैं उसमें आने वाले 14 दिनों के अंदर आच्छादन हो जाएगा. जेबी महापात्रने अनियमित म़ॉनसून के पैटर्न का जिक्र करते हुए कहा कि हाल के दिनों में वर्षा की कमी और अधिक वर्षा के कारण कृषि कार्यों पर इसका असर हुआ है. पर इस बीच कभी-कभी अच्छी बारिश हो जाती है इससे खरीफ फसलों की खेती हो जाती है.
इस बार भी ऐसा ही हुआ है. मॉनसून भले ही जिले में देरी से आया पर जुलाई के अंत में हुई बारिश ने किसानों की चिंता कम कर दी है. जुलाई अंत और अगस्त की शुरुआत में हुई अच्छी बारिश किसानों के लिए वरदान साबित हुआ, क्योंकि कई ऐसे किसान भी थे जिन्होंने कम पानी मे धान की रोपाई कर दी थी, ऐसे खेतों में पानी की सख्त जरूरत थी. जिले के भूमि के पैटर्न की बात करें तो यहां पर 3.13 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है जिसमें 63000 मध्यम भूमि है और 95,000 हेक्टेयर जमीन तराई क्षेत्र में पड़ता है. 55,000 हेक्टेयर ऊपरी जमीन है. जबकि 62,000 हेक्टेयर जमीन निचली जमीन है जिसका उपयोग धान की खेती के लिए किया जाता है.
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