प्राकृतिक खेती को क्यों कहा जा रहा है कृषि का भविष्य, पढ़ें यहां

प्राकृतिक खेती को क्यों कहा जा रहा है कृषि का भविष्य, पढ़ें यहां

प्राकृतिक खेती कृषि का एक ऐसा विकल्प है, जिसमें भोजन में पोषक तत्वों की मात्रा में कमी नहीं आती है. उन्होंने कहा कि वो पिछले 10-12 सालों से प्राकृतिक खेती कर रहे है.

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प्राकृतिक खेती को क्यों कहा जा रहा है कृषि का भविष्य, पढ़ें यहांप्राकृतिक खेती ही है कृषि का भविष्य फोटोः किसान तक

कृषि में हर रोज नए बदलाव हो रहे हैं. रासायनिक खाद का इस्तेमाल हो रहा है. मिट्टी की उर्वर क्षमता कम हो रही है ऐसे में अब यह गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है कि आखिर खेती का भविष्य क्या है. लंबे समय तक धरती को बिना नुकसान पहुंचाए, स्थायी और टिकाऊ खेती कैसे कर सकते हैं? कृषि के क्षेत्र में कार्य करने वाले वैज्ञानिक इसका एक ही जवाब दे रहे हैं, प्राकृतिक खेती. कृषि वैज्ञानिक अब यह कह रहे हैं कि प्राकृतिक खेती ही कृषि का भविष्य है, इसलिए इस विषय पर लगातार शोध जारी है.

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के बिजनेस एंड प्लानिंग डिपार्टमेटं के सीइओ डॉ सिद्धार्थ जायसवाल लगातार प्राकृतिक खेती पर शोध कर रहे हैं. अमृत मिट्टी और अमृत जल विधि से खेती करते हैं. साथ ही अच्छा उत्पादन भी हासिल कर रहे हैं. डॉ सिद्धार्थ बताते हैं कि कृषि से हमारी बहुत सारी उम्मीदे हैं. क्योंकि हम इसमें अपने लिए अनाज उत्पादन कर रहे हैं. इसलिए सबसे पहले हमें पौष्टिक अनाज की जरूरत है, जो हमारी पहली जरूरत है, पर दुर्भाग्य से वो हमें नहीं मिल पा रहा है. साग, सब्जी फसल और फलों में पोषक तत्वों की मात्रा कम होती जा रही है. 

शुद्ध और पौष्टिक भोजन की बढ़ी मांग

प्राकृतिक खेती कृषि का एक ऐसा विकल्प है, जिसमें भोजन में पोषक तत्वों की मात्रा में कमी नहीं आती है. उन्होंने कहा कि वो पिछले 10-12 सालों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. प्राकृतिक खेती के जरिए उपजाए गए उत्पाद में पौष्टिक तत्वों की मात्रा के अलावा रंग, अरोमा, उसका आकार, सब कुछ की मात्रा सही रहती है. उनमें किसी प्रकार के जहरीले तत्व नहीं पाए जाते हैं. इसके अलावा यह बढ़ता ही जा रहा है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल के बाद सभी लोग अब कीटनाशक मुक्त भोजन की मांग कर रहे हैं. लोग जहरमुक्त सब्जी और फल की मांग कर रह हैं.

प्राकृतिक खेती से उम्मीद

इसलिए प्राकृतिक खेती को भविष्य की खेती बताते हुए उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के जरिए हम कम खर्च में खेती करते हुए अधिक पौष्टिक सब्जियां या फसल उगाने में कामयाब हो जाएंगे. यह रासायनिक खेती या जीएम सीड की खेती से संभव नहीं है. यही कारण है कि सभी लोग प्राकृतिक खेती को एक उम्मीद के तौर पर देख रहे हैं. उन्हें लग रहा है कि प्राकृतिक खेती के जरिए ही अब वो खुद और लोगो को पौष्टिक भोजन खिला सकेंगे. इतना ही नहीं प्रकृति को बिना नुकसान पहुंचाते हुए लंबे समय तक खेती भी कर सकेंगे.

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